नई दिल्ली, प्रेस 15 न्यूज। देश के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने एम्स दिल्ली में आखिरी सांस ली। उन्हें उम्र संबंधी दिक्कतों की वजह से गुरुवार रात 8:06 बजे एम्स में भर्ती कराया गया था।
रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को होगा, जिसके लिए शुक्रवार को आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है। वहीं सात दिन का राष्ट्रीय शोक भी होगा।
डॉ. मनमोहन सिंह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे।
साल 1991 में जब देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। आयात की जरूरत को पूरा करने के लिए देश को बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था। ऐसे दौर में मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री का पद संभाला और अपने फैसलों से बाजी पलट दी।
24 जुलाई 1991 को अपने बजट भाषण में उन्होंने साफ-साफ कहा था कि पूरी दुनिया साफ-साफ सुन ले, भारत अब जाग गया है। देश में मनरेगा और आधार जैसी सौगात देने का श्रेय भी डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने 1993 में साइप्रस में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है।
अपने राजनीतिक जीवन में 1991 से राज्य सभा के सदस्य रहे जहां वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
पूर्व प्रधानमंत्री को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण(1987), भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)।
उनको जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. मनमोहन सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफोर्ड और अन्य कई विश्वविद्यालयों की तरफ से मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गांव में हुआ था।
उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की।
इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी फिल किया। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं’ में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 16-09-1982 से 14-01-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर थे। उनके कार्यकाल के दौरान बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित व्यापक कानूनी सुधार किए गए और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में एक नया अध्याय जोड़ा गया और शहरी बैंक विभाग की स्थापना की गई।
आरबीआई में अपने कार्यकाल के बाद, उन्होंने वित्त मंत्री नियुक्त होने से पहले कई पदों पर काम किया। वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में भारत में उदारीकरण और व्यापक सुधारों की शुरुआत हुई।
डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया जो स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था।