हल्द्वानी, प्रेस15 न्यूज। शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय, श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय… देशभर में 8 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा।
प्रतिवर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जानी मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी ने विस्तार से महाशिवरात्रि को लेकर हर बात बताई है। आप भी जानिए क्यों है खास भोलेनाथ से जुड़ा का यह पर्व –
डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि शिवपुराण में वर्णित है भगवान भोलेनाथ के निष्कल यानि निराकार स्वरूप का प्रतीक लिंग इसी पावन तिथि की महारात्रि में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था, इसी कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हो गई। महाशिवरात्रि पर्व देवी पार्वती एवं शिव के विवाह की तिथि के रूप में मनाई जाती है। ( शिवरात्रि प्रतिमाह मनाई जाती है)।
इस शिवरात्रि पर्व पर कुछ खास संयोग बनने जा रहे हैं– सिद्धि योग, शिव योग एवं देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में विराजमान होंगे एवं सूर्य देव, शुक्र, शनि महाराज कुंभ राशि में विराजमान होकर सभी को आय में वृद्धि प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त मकर राशि में चंद्रमा और मंगल की युति महालक्ष्मी योग का निर्माण कर रही है।
जानें महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि (शिवरात्रि) 8 मार्च 2024 रात्रि 10 से 9 मार्च 2024 सांयकाल 6:19 तक ( चूंकि शिवरात्रि में रात्रि की पूजा का विधान है इस कारण शिवरात्रि पर्व 8 मार्च 2024 को मनाया जाएगा )
शिवरात्रि से ही विदित होता है कि शिवरात्रि में पूजा रात्रि के समय की जाती है तो आपको अवगत करा दें शिवरात्रि की पूजा चार प्रहर में करने का विधान है।
महाशिवरात्रि की पूजा का समय
प्रथम प्रहर की पूजा का समय रहेगा सायंकाल 6:14 मिनट से 9:17 तक। दूसरे प्रहर की पूजा का समय रहेगा रात्रि 9:17 से 12:20 तक।
तीसरे पहर की पूजा का समय रहेगा रात्रि 12:20 से प्रातः 3:24 मिनट तक।
चौथे चरण की पूजा का समय रहेगा प्रातः काल 3:24 से 6:32 तक।
महाशिवरात्रि महानिशाकाल काल पूजा मुहूर्त
8 मार्च 2024 11:55 से 8/9 मार्च 2024 रात्रि 12:44 तक।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त हो संपूर्ण घर में मंदिर को स्वच्छ कर स्नानादि करने के उपरांत शिवालय जाकर शिवलिंग पर 108 या 11 लोटा जल अर्पित करें। घर के मंदिर में तिल के तेल से अखंड ज्योत प्रज्वलित करें। भोलेनाथ एवं देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। पंचामृत से स्नान कराएं। शुद्ध जल से स्नान कराएं।
भोलेनाथ एवं देवी पार्वती का श्रंगार करें, देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। पीले चंदन से तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, गन्ने का रस, लौंग, इलाइची, शहद, धतूरा, जायफल, कमल गट्टा, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं, सफेद वस्त्र या बागांबरी छाल अर्पित करें। भगवान भोलेनाथ को हल्दी तुलसी के पत्ते ना चढ़ाएं। केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
भोलेनाथ के 108 नामों का पाठ करें। शिव पुराण का पाठ भी अति शुभ फल कारक रहेगा। इसके अतिरिक्त महाशिवरात्रि पर शिवजी को प्रसन्न करने हेतु अन्य उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि शिवजी को तीन पत्तों वाला 108 बेलपत्र चढ़ाएं।
भगवान भोलेनाथ को भांग अति प्रिय है इसलिए इस दिन भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। केसर युक्त दूध अर्पित करें इससे जीवन में सुख बढ़ता है। जल में गंगा जल मिलाकर शिवजी को अर्पित करें इससे मन प्रसन्न रहता है।
रुद्राभिषेक कर सकते हैं। जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा है उन सभी को शिवरात्रि का उपवास कर देवी पार्वती को सुहाग से संबंधित वस्तुएं चढ़ाने से अति शीघ्र विवाह संपन्न होगा। इस उपवास के रखने मात्र से ही सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
विज्ञान की नजर से महाशिवरात्रि पर्व
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महाशिवरात्रि का पर्व विशेष महत्वपूर्ण है इस रात्रि ग्रह उत्तरी गोलार्ध में इस प्रकार अवस्थित होते है कि मनुष्य के भीतर की उर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है यानी प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है धार्मिक रूप से बात करें तो प्रकृति उस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है इसका पूरा लाभ मनुष्य को मिल सके इसलिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने व रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है।