रामनगर, प्रेस 15 न्यूज। हमारा समाज लगातार नैतिक पतन की खाई में धंसता जा रहा है। आलम यह है कि जागरूकता के इस दौर में कुछ ऐसे भी अंजान हैं जो अब खुद के साथ साथ दूसरों की जान को भी जोखिम में डालने से नहीं चूक रहे हैं। ताजा मामला रामनगर से है जहां गुलरघट्टी इलाके में एचआईवी संक्रमित किशोरी ने 17 महीने में करीब 20 युवकों को एड्स का मरीज बना दिया।
शरीर सुस्त और ढीला पड़ने पर अस्पताल पहुंचे इन युवकों की जांच हुई तो ये एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। काउंसलर ने जब युवकों से इस कांड की तहकीकात की तो जो जवाब सुनकर काउंसलर के होश उड़ गए।
पता चला कि जिस किशोरी के पास सभी युवक पहुंचे थे वह स्मैक की लती है। स्मैक के लिए रुपयों का इंतजाम करने के लिए किशोरी युवकों को अपने पास बुलाती है।
रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय के एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केंद्र (ICTC) में इलाज कराने पहुंचे युवकों से काउंसलर मनीषा खुल्बे की पूछताछ में कई खुलासे हुए। पता चला कि जो युवक शादीशुदा हैं उनकी पत्नियां भी बाद में उनसे एचआईवी संक्रमित हो गईं।
नैनीताल जिले में एचआईवी पॉजिटिव मामलों के आंकड़ों पर गौर करें तो रामनगर का नाम सबसे ऊपर है। रामनगर में 17 महीने में 45 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए।
अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक एक साल में 26 नए मरीज मिले, इसके बाद अप्रैल से अक्तूबर तक 19 लोग एचआईवी संक्रमित हो चुके है। इनमें 30 पुरुष और 15 महिलाएं शामिल रही हैं। इन्हीं 30 पुरुषों में से 20 युवक इस किशोरी से संक्रमित हुए हैं।
काउंसलर की पूछताछ से खुलासा हुआ कि गूलरघट्टी इलाके में एक गरीब मुस्लिम परिवार की 17 वर्षीय किशोरी को स्मैक की लत लग गई थी। नशे की पूर्ति के लिए जब-जब किशोरी को रुपयों की जरूरत पड़ी तो उसने युवकों को लालच देकर अपने पास बुला लिया। काफी समय तक युवकों को इसका पता नहीं चला। किशोरी की कमजोरी का फायदा उठाकर वे उसके पास पहुंचकर शारीरिक संबंध बनाते रहे।
ये भी समझिए
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (HIV) वह वायरस है जो एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Aids) का कारण बनता है। एचआईवी पॉजिटिव का मतलब एचआईवी वायरस से संक्रमित होना है। हालांकि इसकी चपेट में आने का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति को एड्स है। इसका समय रहते इलाज किया जा सकता है।
लेकिन अच्छी बात यह है कि एचआईवी पॉजिटिव के इलाज के लिए आईसीटीसी से ही दवा मिलती है। एचआईवी तब एड्स बनता है जब किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली में श्वेत रक्त कोशिकाएं बहुत कम हो जाती हैं।