हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड लगातार तरक्की कर रहा है। अब यह तरक्की कहां कहां हो रही है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि जनता है सब जानती है।
इन सबके बीच आने वाली नौ नवंबर को राज्य 24 साल का होने जा रहा है। ऐसे में एक पीढ़ा अब भी खासतौर पर पहाड़ के दूरस्थ और पहाड़ी जिलों में रहने वाले मानुष को कचोटती है कि आखिर कब हमारे अस्पतालों के जिम्मेदारों के श्रीमुख से रेफर शब्द गायब होगा।
यानी कब पहाड़ के लोगों को पहाड़ में ही संपूर्ण इलाज मिल सकेगा, यह सवाल आज 24 बरस के होने जा रहे उत्तराखंड में उठना वाकई प्रदेश को चलाने वालों की मंशा पर संशय करने को मजबूर करता है।
सच कहें तो उत्तराखंड के गांव पहाड़ खाली होने और पलायन का दंश झेलने की एक बड़ी वजह पहाड़ में मौजूद आधी अधूरी इलाज की व्यवस्था भी है। जब जान ही नहीं रहेगी तो कोई पहाड़ में रहकर करेगा भी क्या?
आधी अधूरी चिकित्सा व्यवस्था की पोल आज फिर खुली। पिथौरागढ़ में बीते दिनों गंभीर रूप से घायल 23 वर्षीय मेघा को पिथौरागढ़ के बाद कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भी पूरा इलाज नहीं मिल पाया। जिसके बाद सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए मेघा को हेली एंबुलेंस के माध्यम से हायर सेंटर ऋषिकेश एम्स पहुंचाने के इंतजाम किए।
बीते दिनों पिथौरागढ़ में हुई दुर्घटना में 23 वर्षीय पिथौरागढ़ निवासी मेघा गंभीर रूप से घायल हो गई थी। डॉक्टर के परामर्श के उपरांत मेघा को पिथौरागढ़ से हल्द्वानी सुशीला तिवारी भेजा गया। सुशीला तिवारी में उपचार के बाद डॉक्टरों ने हायर सेंटर एम्स जाने की सलाह दी।
जिसके उपरांत मुख्यमंत्री को उक्त मामले के संबंध में अवगत करवाया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी नैनीताल को घायल मेघा को हेली सेवा के माध्यम से एम्स ऋषिकेश भेजने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, जिला प्रशासन ने नागरिक एवं एवं उड्डयन विभाग उत्तराखंड द्वारा उपलब्ध कराए गए हैलीकॉप्टर के माध्यम से घायल को एसटीएच हल्द्वानी से ऋषिकेश एम्स पहुंचाया गया।
इससे पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट एपी बाजपेयी तथा अन्य अधिकारियों द्वारा सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) जाकर घायल मेघा के स्वास्थ्य का हाल जाना तथा उसे गौलापार स्थित हैलीपैड पहुंचाया गया जहां से हैली सेवा से ऋषिकेश एम्स पहुंचाया गया, जहां उपचार चल रहा है।
काश, पिथौरागढ़ की मेघा की तरह हर पहाड़ी भी खुशकिस्मत होता जिसके इलाज के लिए और जिंदगी बचाने के लिए ऐसे ही बेहतर इलाज की पहल और हेली सेवा मिल जाती। क्योंकि एक सच यह भी आज भी पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में डोली, चारपाई ही जिंदगी बचाने के लिए मरीज को सड़क तक पहुंचाती है। फिर आगे का सफर 108 में तय होता है। काश! हर बार 108 भी समय पर आ जाती तब भी कुछ राहत तो मिल ही जाती…
खैर, अब इस बात का भी स्वागत करना चाहिए कि सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने नागरिक उड्डयन विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस प्रकार के प्रकरणों में अपरिहार्य कारणों से अगर एयर एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती है तो तत्काल हैली सेवा उपलब्ध कराई जाए।