उत्तराखंड के लोगों को बिजली बिल का झटका, बिजली के दाम 5.62% बढ़े, पढ़िए पूरी डिटेल

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड के लोगों को एक बार फिर बिजली बिल के रेटों में वृद्धि का झटका लगा है। नई बिजली दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की हामी के बाद प्रदेश में बिजली के दाम 5.62 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।

अब ग्राहकों को 100 यूनिट तक 3.40 ₹ से बढ़कर 3.65 ₹ का चार्ज देना होगा। वहीं 101-200 यूनिट तक इलेक्ट्रिसिटी रेट 4.90 ₹ से बढ़ाकर 5.25 ₹ किया गया है। अगर 201-400 यूनिट तक बिजली खपत होती है तो 6.70 ₹ की जगह 7.15 ₹ चार्ज होगा। 400 यूनिट से ऊपर 7.35 की जगह 7.80 ₹ देना होगा।

उत्तराखंड सरकार ने गर्मी में बिजली की बढ़ने वाली मांग के पहले दरों में ये बढ़ोतरी की है। हालांकि कम यूनिट खपत में इसके दाम कम ही बढ़ाए गए हैं। हालांकि राज्य में 100 यूनिट कम बिजली खर्च पर 50 फीसदी बिजली सब्सिडी भी मिलती है।

पिछले साल सितंबर में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा की थी। इसका फायदा उत्तराखंड के करीब 11 लाख ग्राहकों को मिला था। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जन्मदिन पर गरीब बिजली उपभोक्ताओं को ये राहत दी गई थी। 100 यूनिट तक बिजली खर्च पर उपभोक्ताओं को बिल आधा रहेगा।

यूपीसीएल-ऊर्जा निगम के के 12.01 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव के खिलाफ आयोग ने सिर्फ 0.12 प्रतिशत का बिजली के रेटों में इजाफा किया है।

उत्तराखंड में बिजली दरों पर अकेले पीडीएफ के कारण 5.5 प्रतिशत तक का भार पड़ा है। कहा कि उत्तराखंड में बिजली चोरी वाले डिवीजनों और सब डिवीजनों का ऑडिट किया जाएगा।

बिजली योजनाओं के संचालन पर होने वाले खर्च का भी हिसाब देना होगा। आयोग ने सख्ती से यूपीसीएल को सख्त निर्देश दिए हैं कि यूपीसीएल की विजिलेंसट को अब एक्टिव रोल निभाना होगा।

उत्तराखंड के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हो रही बिजली चोरी के खिलाफ ऐक्शन प्लान बनाने की जरूरत है। आयोग का कहना था कि टारगेट पूरा नहीं करने वाले अधिकारी-कर्मचारी या फिर आराम करने को आने वाले अफसरों की जवाबदेही तय करने का समय आ गया है।

आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए कहा कि जनता से स्मार्ट मीटर का सिस्क्योरिटी चार्ज नहीं वसूला जाएगा। निर्देशित किया कि एडिशनल सिक्योरिटी चार्ज की वसूली भी बंद करनी होगी। जबकि यूपीसीएल की ओर से सिक्योरिटी चार्ज की वसूली को बढ़ा दिया गया था।

उत्तराखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग लंबे समय से बिजली की दरों में बढ़ोतरी की मांग कर रहा था। हालांकि विधानसभा चुनाव, फिर निकाय चुनाव के बीच ये फैसला टलता चला गया। विद्युत कंपनियों का कहना है कि बढ़ती लागत के कारण उनके लिए अब ज्यादा भार सहन करना मुश्किल हो गया है। लिहाजा कीमतों में वृद्धि की जानी चाहिए।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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