

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। इन दिनों चिलचिलाती धूप और गर्मी से बचने के हर कोई ठिकाने तलाश रहा है। लेकिन कोई है जो आसमान से निकलने वाली तेज धूप की किरणों और सड़क पर डामर की तपिश के बीच ड्यूटी कर रहा है तो वो पुलिस और होमगार्ड का जवान है।
ये बात कहने का आशय इतना भर है कि आप और हम ये समझें कि ड्यूटी की जिम्मेदारी क्या होती है। तनख्वाह तो हर सरकारी कर्मचारी ले रहा है लेकिन हर सरकारी कर्मचारी यूं ड्यूटी नहीं निभा रहा जैसे पुलिस और होमगार्ड के जवान इन दिनों निभा रहे हैं।
इन दिनों ही क्यों जाड़े और बरसात के दिनों में यानी हर मौसम पुलिस, होमगार्ड और एसडीआरएफ जैसे सुरक्षा बलों के जवान यूं ही आमजन की सेवा में मुस्तैद रहते हैं। यानि ये वो लोग हैं जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा से पुलिस की वर्दी का मान बढ़ाते हैं।
आज ऐसे अधिकतर पुलिसकर्मी हैं जो अपनी लगन और ईमानदारी वाली ड्यूटी के चलते कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। लेकिन खामोश होकर ड्यूटी निभा रहे हैं। ऐसे में इन सच्चे पुलिसकर्मियों के लिए हर दिल से दुआ निकलती है।
इन सबके बीच पुलिस की वर्दी में छुपे कुछ मानुष ऐसे भी हैं जिन्होंने इस खाकी को बदनाम और लज्जित करने की कसम खाई हुई है। इनमें से कुछ तो कभी कभार पकड़ में आ जाते हैं तो कई इतने शातिर हैं कि कभी पकड़ में आ ही नहीं पाते। या यूं कहें कि उनकी करतूत उनकी गेटिंग सेटिंग वाली ढाल से छुप जाती है।
थाने चौकी में बैठे ये वर्दीधारी अपनी जड़ों को आज भुलाए बैठे हैं कि ये किन हालातों में पले बढ़े। लेकिन क्योंकि किसी तरह ये वर्दी ये स्टार कंधे में सज गए हैं तो अब इनसे बड़ा कोई तुर्रम नहीं। फिर जहां देखा वहां माल कमाया और पीछे खुद के और बीबी बच्चों और सात पुश्तों के लिए किसी बेगुनाह और बेबस के आंसुओं की कमाई करने में भी देर नहीं लगाई।
खैर, पुलिस की वर्दी में छुपे इन मानुषों की कहानी तो हम आपसे किसी दूसरी खबर में भी कर लेंगे। पहले आज की खबर आपको बताते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा ने शुक्रवार देर शाम 02 पुलिसकर्मियों के निलंबन के आदेश जारी किए।
नैनीताल के तल्लीताल में तैनात उपनिरीक्षक बबिता पर ड्यूटी से गैरहाजिर और पूर्व में भी लापरवाही बरतने पर गाज गिरी है।
उपनिरीक्षक बबिता, जो नैनीताल के तल्लीताल क्षेत्र में नियुक्त थीं, को ड्यूटी के दौरान अपने कार्यक्षेत्र में अनुपस्थित पाए जाने और पूर्व में भी ड्यूटी के प्रति लापरवाही बरतने के गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। बार-बार चेतावनी के बावजूद सुधार न होने पर एसआई बबिता के खिलाफ एसएसपी ने यह एक्शन लिया।
वहीं, हल्द्वानी में तैनात कांस्टेबल आकाश कुमार धार्मिक प्रकरण में पक्षपात का दोषी पाए जाने पर निलंबन हुआ है।
कांस्टेबल आकाश कुमार, जो हल्द्वानी में यातायात सेल में नियुक्त है, को 24 अप्रैल 2025 को राजपुरा क्षेत्र में घटित एक धार्मिक प्रकरण में निष्पक्षता का उल्लंघन करते हुए एक पक्ष का समर्थन करने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
जारी प्रेस नोट में एसएसपी मीणा ने साफ कहा है कि पुलिस सेवा में कार्यरत प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा, निष्पक्षता और सजगता से करे। ड्यूटी में लापरवाही, गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार और पक्षपात किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
एसएसपी ने सभी पुलिसकर्मियों को चेताया जाता है कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी एवं संवेदनशीलता के साथ करें, अन्यथा उनके विरुद्ध भी इसी प्रकार की सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
सच है कि पुलिस की जिस जिम्मेदारी वाली वर्दी की अपनी एक गरिमा और सम्मान है, उसे तार तार करने से पहले पुलिस कर्मियों को लाख बार सोचना चाहिए। ये तो एसएसपी का एक्शन हुआ कि दोषी एसआई बबीता और कास्टेबल आकाश कुमार सस्पेंड हो गए। लेकिन सोचिए वो ऊपरवाला जब अपना न्याय करेगा तब क्या होगा?
हालाकि जमीन का एक सच ये भी है कि ये दोनों सस्पेंड पुलिसकर्मी कुछ दिन बाद बहाल हो जाएंगे और वापस अपने रौब में होंगे लेकिन एक सच यह भी है कि बाकी पुलिसकर्मियों को इस वाकए से सबक जरूर लेना चाहिए।
एसएसपी की नजर से भले आपकी भ्रष्ट और घिनौनी करतूतों पर न पड़े लेकिन उस नीली छतरी वाले की निगाह आपकी हर करतूत पर है। उसकी अदालत में सस्पेंड बहाल जैसा कुछ भी नहीं होता साहब! सीधे फैसला होता है। इसलिए थाना चौकी में आने वाले हर बेबस लाचार की मदद कीजिए। वर्दीधारी की हैसियत से भी और इंसानियत के नाते भी…
और अगर सिस्टम में रहकर ऐसा करने की हिम्मत न जुटा पाओ तो VRS यानि स्वैच्छिक सेवानिवृति का ऑप्शन तो है ही, इसे भी ले सकते हैं। छल , कपट, भ्रष्ट्राचार की बिरयानी और चिली पनीर से अच्छा रूखी सूखी रोटी और दाल ही सही… रात को नींद भी अच्छी आती है और बीपी शुगर भी कंट्रोल रहता है।
खैर, एसएसपी मीणा की इस सख्ती का असर जिले में वर्दी की गरिमा भूले कितने पुलिसकर्मियों पर होता है, यह तो वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल इस फैसले के बाद आम जनता के उस दर्द में थोड़ा सा तो मरहम लगा ही है जो उसे किसी न किसी पुलिसकर्मी ने कभी न कभी वर्दी की धौंस दिखाकर दिया था।




