Holy Kainchi Dham: What Baba Ji said 50 years ago proved true today: हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। बाबा महाराज ने 50 साल पहले ही कह दिया था कि एक दिन विश्व कैंची आएगा और बाबा महाराज का कहा सत्य साबित हो गया है। यह सब संतों की लीला होती है। क्रिकेटर या फिल्मी सितारे तो केवल माध्यम बनते हैं। बाकी परिवर्तन होने पर थोड़ा बहुत तालमेल स्थापित करना पड़ता है।
यह सत्य है कि जब भारी संख्या में भक्त कैंची धाम पहुंचने लगे तो यातायात व्यवस्था से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को बनाने में चुनौती पेश आई। लेकिन राज्य सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रशासन संकल्पबद्ध होकर भक्तों की सुविधा के लिए प्रयासरत है।
कैंची धाम पहुंचने वाला हर भक्त बाबा महाराज का मेहमान है। उसकी यात्रा, उसके अनुभव को उत्कृष्ट बनाना हमारा परम कर्तव्य है। आहिस्ता आहिस्ता सब व्यवस्थाएं दुरुस्त हो गई हैं। मुझे पूरा यकीन है कि बाबा महाराज सब कुछ ठीक तरह से संचालित करवाते रहेंगे।
बाबा महाराज भक्ति के प्रचार प्रसार को अधिक पसन्द नहीं करते थे। वह कहते थे कि भजन गोपनीय होना चाहिए। यह प्रदर्शन का विषय नहीं है। जब भजन से प्रदर्शन जुड़ जाता है तो उसकी पवित्रता ख़तम होने लगती है। प्रचार,प्रसार, प्रदर्शन के कारण ही भक्ति व्यापार बन जाती है। धर्म का धंधा होने लगता है। अंधविश्वास बढ़ता है।
यही कारण है कि बाबा महाराज को फोटो, वीडियो, इंटरव्यू, चर्चा पसन्द नहीं थी। बाबा महाराज सरलता और सहजता को ही पसन्द करते थे। उनकी नज़र में सब एक थे। कोई वीआईपी कल्चर नहीं था।
बड़े से बड़े राजनेता, उद्योगपति भी सामान्य ढंग से बाबा महाराज के सामने आते थे। बाबा महाराज आम आदमी से उसके परिवार के वरिष्ठ सदस्य की तरह मिलते थे, सुख दुख सुनते थे। जब भी कोई प्रभुत्व दिखाने आता तो बाबा महाराज उससे मिलने से इंकार कर देते।
बाबा महाराज के यहां भेदभाव नहीं था। सभी धर्म, जाति, पंथ लिंग के लोगों पर बाबा महाराज की कृपा एक समान रूप से बरसती थी। लोग बाबा महाराज से कुंडली जागरण, ध्यान सूत्र की बात छेड़ते तो वह उन्हें राम नाम जाप और हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए कहते। बाबा महाराज का मूल उद्देश्य यही था कि मनुष्य प्रपंच और जटिल प्रक्रिया से बचे। वह हृदय की पवित्रता और सरलता पर ध्यान दे।
जितना पवित्र भाव होगा, भगवत प्राप्ति उतनी सरल होगी। बाबा महाराज प्रेम और सेवा के संदेश वाहक थे। उनका मूल संदेश यही था कि सभी की सेवा करो, सभी से प्रेम करो, सभी को भोजन कराओ। प्रेम में प्रतिकूल परिस्थितियों को बदलने की ताकत होती है। ऐसा बाबा महाराज कहते थे।
किसी भी तीर्थ स्थल पर आप देवी, देवता की कृपा से ही पहुंचते हैं। इसलिए जो भी लोग कैंची धाम पहुंच रहे हैं, वह बाबा महाराज की कृपा से ही आ रहे हैं। इन लोगों को बाबा महाराज की कृपा प्राप्त होनी है, उनका कल्याण होना है, सो वह कैंची धाम पहुंच रहे हैं।
जब आप सेवा के मार्ग में आएं तो उद्देश्य केवल सेवा हो। सेवा किसी को प्रभावित करने के लिए नहीं होनी चाहिए। न ही सेवा से व्यक्तिगत लाभ लेने की आकांक्षा हो। सेवा के मार्ग में अहंकार की जगह नहीं है। यदि आप अहंकार से भर जाते हैं तो सेवा का सब पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
सभी भक्तों से यही कहना है कि बाबा महाराज को केवल चमत्कारिक कहानियों तक सीमित न रखें। केवल चमत्कार की उम्मीद में कैंची धाम न आएं। रातों रात नसीब बदलने की सोचकर आएंगे तो दुख प्राप्त होगा। बाबा महाराज पात्र को ही अपने निकट रखते हैं।
बाबा महाराज को स्वार्थ नहीं प्यारा, यदि आपकी भक्ति सच्ची है, यदि आपके कर्म अच्छे हैं, आपका हृदय पवित्र है तो आप पर ईश्वर की कृपा जरूर होगी। इसलिए ध्यान सेवा और भक्ति में लगाएं। फल, परिणाम के फेर में पड़ेंगे तो मन अशांत और अस्थिर रहेगा।
राज्य सरकार द्वारा तीर्थ यात्रियों की सुविधा हेतु कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार स्थानीय लोगों के कारोबार, उनकी आर्थिक उन्नति के लिए भी सोच रही है। यह अच्छी बात है। इससे किसी को भी दिक्कत नहीं है। लेकिन समस्या तब पैदा हो जाती है, जब किसी तीर्थ के मूल स्वरूप को ही बदल दिया जाता है।
कैंची धाम में जो ऊर्जा महसूस होती है, वह प्रकृति की कृपा से है। यदि कैंची धाम में सब कुछ अत्याधुनिक हो जाएगा तो फिर वह दैवीय ऊर्जा प्रभावित होने लगेगी। इसलिए चाहे होटल, होम स्टे, फूड कोर्ट निर्माण कार्य हो, यह एक सीमा में ही होना चाहिए।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि तीर्थ की महिमा में तप और त्याग जुड़ा हुआ है। यदि कोई कैंची धाम आकर भी हाई फाई सुविधाएं खोजता है तो फिर उसकी आध्यात्मिक उन्नति बाधित होगी।
बाबा महाराज और श्री सिद्धि मां ने यदि कैंची धाम को गुप्त रखा तो उसकी सबसे बड़ी वजह यही थी कि भीड़, प्रचार के कारण कैंची धाम के प्राकृतिक सौन्दर्य को नुकसान न हो। मेरी निजी राय यह है कि विकास हो लेकिन अनियंत्रित ढंग से न हो। अन्यथा यह विनाश को आमंत्रित करता है।
हम सभी को यह कोशिश करनी चाहिए कि जो भी प्रोजेक्ट बनाए जाएं, वह यह ध्यान में रखकर बनाए जाएं कि यह क्षेत्र संवेदनशील है। यदि पहाड़ियों की संवेदनशीलता को दरकिनार करके प्रोजेक्ट बनाए गए तो उसके भयावह परिणाम होंगे।
साभार: कैंची धाम हनुमान मंदिर के प्रबंधक श्रीमान विनोद जोशी जी से हनुमान दास (आशिक) जी की बातचीत के अंश)