हल्द्वानी: रौसिला गांव के ग्रामीणों के सामने काठगोदाम थानाध्यक्ष की दबंगई, मेरे दफ्तर में कैमरा चलाया तो CRPC का नोटिस थमा दूंगा (VIDEO)

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। सुनो मेरे दफ्तर में कैमरा मत चलाना, अगर चलाया तो सीआरपीसी का नोटिस दे दूंगा… यह बात काठगोदान थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट ने आज सुबह थाने में तब कही जब भीमताल विधानसभा क्षेत्र के रौसिला गांव के दर्जनों ग्रामीण फरियाद लेकर उनके पास पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों की जायज मुद्दे को कवर करने के लिए “प्रेस 15 न्यूज” संवाददाता भी मौके पर थे।

हालांकि थानाध्यक्ष वर्दी के रौब में यह भूल गए कि देश के साथ साथ उत्तराखंड में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं।

देखें वीडियो :   रौसिला गांव के दर्जनों ग्रामीणों के सामने काठगोदाम थानाध्यक्ष की दबंगई👇👇👇

“प्रेस 15 न्यूज” का कैमरा देखते ही दीपक बिष्ट ने दबंगई के अंदाज में कहा कि सुनो मेरे दफ्तर में कैमरा मत चलाना, अगर चलाया तो सीआरपीसी का नोटिस दे दूंगा।

थानाध्यक्ष को जवाब मिला कि ग्रामीणों का दर्द दिखाना कब से अपराध हो गया तो एसओ दीपक बिष्ट बोले – ये मैं नहीं जानता, बस मेरे दफ्तर में कैमरा नहीं चलेगा।

जवाब मिला कि कैमरा तो एसपी सिटी, सीओ और एसएसपी नैनीताल से मिलने आने वाले फरियादियों के सामने भी चलता है तो क्यों आपके दफ्तर में यह नियम है?

एसओ का जवाब आया कि ये मैं नहीं जानता आप मुझे विजुअल दिखाओ जब एसपी, एसएसपी के दफ्तर में आपने कैमरा चलाया हो। यानी थाने के अंदर दबंगई पूरे शबाब पर थी। क्योंकि सामने भोले भाले गांव वाले और हल्द्वानी का एक मात्र पत्रकार था।

जब इस मामले में प्रेस 15 न्यूज संवाददाता ने मौके से ही सीओ नितिन लोहनी का फोन किया तो उनका फोन नहीं उठ सका। हालाकि बाद में सीओ ने बताया कि वह साइबर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बैठक में थे, इस वजह से फोन साइलेंट किया था।

खैर, इसके बाद संवाददाता ने एसपी सिटी प्रकाश चंद्र को मौके से ही फोन मिलाया और एसओ के तुगलगी बयान के बारे में बताया। इसके बाद एसपी सिटी ने फोन पर ही पूरे मामले की जानकारी मौके पर मौजूद राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू से ली। इस बीच एसओ ने फोन लपक लिया और एसपी सिटी प्रकाश चंद्र को अपनी जुबान में मामले की जानकारी दी।

इसके बाद एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने फोन कट कर दिया। इसके बाद गुस्साए दर्जनों ग्रामीण थानाध्यक्ष के दफ्तर से बाहर आ गए और बाहर सीढ़ी में बैठकर अपना रोष जाहिर किया।

ग्रामीणों का कहना था कि आखिर थानाध्यक्ष अपने दफ्तर के भीतर ग्रामीणों से हुई बातचीत को क्यों ढकना चाहते हैं? क्या पत्रकार को वर्दी के दम पर धमकाना जायज है? आखिर मीडिया के कैमरे में वही तो रिकॉर्ड होता जो ग्रामीण और थानाध्यक्ष कहते, फिर क्यों सीआरपीसी की धमकी दी गई?

यह पहला मामला है जब किसी थानाध्यक्ष ने फरियादियों की पीढ़ा को दिखाने से रोका है वो भी थाने के अंदर। हैरानी की बात यह है कि जब काठगोदाम थानाध्यक्ष को यह बताया गया कि मीडिया का कैमरा तो एसपी एसएसपी के दफ्तर में भी चलता है तो उनका कहना था चलता होगा लेकिन मेरे दफ्तर में नहीं चलता।

ऐसे में आप आप ही कहिए इस मामले में पुलिस के किसी वरिष्ठ अधिकारी से क्या वर्जन लें। उनसे क्या पूछे कि आखिर क्यों आपके थानाध्यक्ष ने ऐसा व्यवहार दर्जनों ग्रामीणों के सामने किया? क्या यह नैनीताल पुलिस की मीडिया को डराने या दबाने की तैयारी है?

इधर, ग्रामीणों का कहना था कि बीते चार दिन में अराजक तत्वों ने उनकी दो बाईकों को आग के हवाले कर दिया। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। जबकि आरोपियों को पूरा गांव जानता है, फिर क्यों चंद दूरी पर स्थित काठगोदाम थाने की पुलिस के हाथ अराजकतत्वों तक नहीं पहुंचे।

काठगोदाम थाना पुलिस की सुस्ती का ही असर है कि क्षेत्र के दबंगों ने दो दो बाइक आग के हवाले कर दी।

हालाकि ग्रामीणों की आक्रोश के बाद काठगोदाम थानाध्यक्ष ने आज शाम तक आरोपियों को धरपकड़ने का आश्वासन दिया है।

काश यह आश्वासन ग्रामीणों को पहले दिन यानि 14 दिसंबर को पहली मोटरसाईकिल जलने के बाद मिल जाता तो आज अराजक तत्व दूसरी मोटरसाईकिल जलाने का दुस्साहस नहीं करते। साफ है कि जब तक खाकी में वर्दी की धौंस दिखाने वाले लोग रहेंगे तो आम लोगों को अंग्रेजों के जमाने की ही पुलिस याद आएगी। फिर न्याय की उम्मीद तो छोड़ ही दीजिए।

इस मौके पर प्रमुख राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू, पीड़ित नवीन जोशी, ग्राम प्रधान ललित मोहन तिवारी, रमेश चंद्र जोशी, सूरज जोशी, केवलानंद जोशी, पंकज संभल, राजेंद्र बनवाल, इंदर सिंह मेहता, प्रेम बल्लभ बृजवासी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।

इधर, काठगोदाम थाने में पत्रकार से दबंगई दिखाने का प्रकरण जब तूल न पकड़े और पुलिस की छीछालेदार न हो, एसपी सिटी प्रकाश चंद्र और सीओ नितिन लोहनी ने एसओ दीपक बिष्ट को अपने कार्यालय में तलब किया गया।

एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने एसओ दीपक बिष्ट से कहा कि आपका दफ्तर आपका व्यक्तिगत कक्ष नहीं है। ऐसे में आप किसी पत्रकार को खबर कवर करने से नहीं रोक सकते। जबकि आपके कक्ष में तो पहले से सीसीटीवी लगा हुआ है। भविष्य में ऐसी गलती न करें क्योंकि ऐसी अनियमितताओं से बेवजह ही पुलिस की छवि बेवजह खराब होती है।

एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने कहा कि खबर कुछ थी और एसओ दीपक बिष्ट के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ने उसे अगल मोड़ दे दिया। उन्होंने एसओ को भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत दी ताकि खाकी में आम जन के विश्वास के साथ साथ मीडिया से पुलिस के संबंध मधुर रहें। इस दौरान शहर के कई पत्रकार मौजूद रहे।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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