
अल्मोड़ा/हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी, साहित्यकार, शिक्षाविद जुगल किशोर पेटशाली का 79 वर्ष की उम्र निधन हो गया है। वो लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने गुरुवार देर रात अपने चितई अल्मोड़ा स्थित पैतृक आवास में अंतिम सांस ली।
स्वर्गीय पेटशाली अपने पीछे धर्मपत्नी पुष्पा पेटशाली, पुत्र सुनील पेटशाली, गिरीश चंद्र, भुवन चंद्र, शेखर चंद्र, हिमांशु पेटशाली, सबसे छोटे बेटे मुकुल पेटशाली समेत नाती पोतों से भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। उनकी अंतिम विदाई यात्रा शुक्रवार सुबह 10.30 बजे पैतृक आवास से दलबैंड घाट तक जाएगी।

बताते चलें कि जुगल किशोर पेटशाली ने उम्र भर कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण, हिंदी साहित्य लेखन, कुमाऊंनी परंपरागत वाद्य यंत्रों को सजोने में अतुलनीय योगदान दिया।
उनके लोक कला के क्षेत्र में भागीरथ प्रयासों को देखते हुए राज्य सरकार ने देहरादून में एक मॉडर्न लाइब्रेरी संग्रहालय की स्थापना की, जो विशेषकर कुमाऊंनी वाद्य यंत्रों, कुमाऊंनी साहित्य, लोक संस्कृति, स्थानीय पांडुलिपि के प्रमुख केंद्र रूप में अपनी पहचान बना चुका है। जुगल किशोर पेटशाली निधन की खबर ने साहित्यकारों, रंगकर्मियों को शोक से भर दिया है।
हल्द्वानी के पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में उत्तरायणि त्यार और घुघुतिया मेले में आयोजित कार्यक्रम में जब जब जुगल किशोर पेटशाली अपने साहित्य का पिटारा लेकर पहुंचते थे तो श्रोता एकटक उनके विचारों में खो जाते थे। उनकी कविताओं और लेखन में पहाड़ की संस्कृति की खुशबू साफ झलकती थी।
प्रेस 15 न्यूज की पूरी टीम की तरफ से उत्तराखंड के सपूत जुगल किशोर पेटशाली को शत शत नमन…
