हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। भले ही आज 5जी का दौर हो, देश के वैज्ञानिक चंद्रमा में पहुंच गए हों, और हर तरफ बेटियों की सफलता की खबरें सुनने को मिल रही हों लेकिन एक सच ये भी है कि आज भी बहुत सी प्रतिभावान बेटियां दर्द में जी रही हैं।
बेटियों की सफलता आज भी कईयों को चुभ रही है। बेटियां अपनी प्रतिभा के दम पर परिवार और खुद का नाम रोशन कर रही हैं लेकिन अंदर ही अंदर वो दर्द में जी रही हैं।
ऐसा ही एक मामला बीते रोज हल्द्वानी में सामने आया जहां वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के पद पर तैनात एक विवाहित बेटी अपने ही पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत लेकर हल्द्वानी कोतवाली पहुंची।
पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि 2015 में उसकी शादी अलीगढ़ निवासी युवक से हुई। शादी के अगले दिन ही ससुर ने उससे नथ, झुमके, गले का हार तक खुलवा लिए और अपने कब्जे में ले लिए। फिर पति भी मायके से पांच लाख रुपए लाने का दबाव बनाने लगा।
बाद में पता चला कि ससुराल वाले दहेज के लिए बहुओं को परेशान करने और तलाक करवाकर दूसरी शादी करवाने के लिए बदनाम है।
सहायक वन संरक्षक ने अपने पति व ससुरालियों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस ने महिला अधिकारी की तहरीर पर रिपोर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
महिला ने बताया कि अपने पिता की मदद से उसने कोचिंग कर सहायक वन संरक्षक की परीक्षा दी, जिसमें साल 2022 में उसका चयन हो गया। इसके बाद ससुरालियों ने इस शर्त पर ट्रेनिंग पर जाने दिया कि वह सारा वेतन पति को देगी।
वह ट्रेनिंग से लौटी तो दबाव बनाकर ससुरालियों ने कार खरीद ली। इतना ही नहीं देवर और उसके परिवार का भी खर्चा उठाने का भी दबाव बनाया।
पति अक्सर शराब पीकर घर आता था। पति ने चोरी-छिपे बनाए उसके अंतरंग वीडियो को वायरल करने की धमकी दी। इससे डरकर वह अप्रैल 2024 में अपने बेटे को लेकर रिश्तेदारों के घर चली गई।
महिला ने बताया कि उसने जब अपने गहने व कार वापस मांगे तो ससुराली भड़क गए। हर तरफ से परेशान होकर महिला अधिकारी कोतवाली पहुंची और ससुरालियों की करतूत की पूरी स्याह कहानी सुनाई। कोतवाली पुलिस ने पीड़िता के पति ससुर, ननद और देवर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
अब पुलिस दहेज के लोभियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है और कब वन विभाग की इस अफसर बेटी को न्याय मिल पाता है, यह समय के गर्त में है। लेकिन यह घटना समाज के उस दोगले चेहरे को बेनकाब करने के लिए काफी है जो नवरात्रि से लेकर लक्ष्मी पूजन तक देवी के स्वरूप को पूजता है। वैसे बेटियों के पैदा होने पर मन ही मन शोक में डूबने वाले समाज की यह स्याह तस्वीर नई भी नहीं है।