
नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में लगभग आठ साल से लापता चल रहे महंत सुखदेव मुनि संबंधी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने इस फैसले में, राज्य की जांच एजेंसियों द्वारा मामले को निष्कर्ष तक नहीं पहुंचने पर चिंता व्यक्त की।
महंत सुखदेव मुनि, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, राजघाट, कनखल के महंत थे और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी थे। 16 सितंबर 2017 को हरिद्वार से लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन से मुंबई की यात्रा के दौरान वो लापता हो गए।
ट्रेन के भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचने पर उनके शिष्य को वह अपनी सीट नं. 21, ए-1 पर नहीं मिले। इसके बाद, कनखल पुलिस स्टेशन में उनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
अदालत ने पाया कि लगभग आठ साल बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और इस दौरान जांच को बार-बार एक जांच अधिकारी से दूसरे को हस्तांतरित किया गया। यहां तक कि, एक बार फाइनल रिपोर्ट पेश हुई जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया और फिर से जांच के आदेश दिए।
याचिकाकर्ता महंत सुखदेव मुनि के अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा कि निष्पक्ष और उचित जांच हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और राज्य एजेंसी की लापरवाही के कारण मामले को सी.बी.आई.को सौंपा जाना अनुच्छेद 14 और 21 के तहत अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
न्यायालय ने आज अपने निर्णय में कहा कि देश का एक नागरिक आठ साल से लापता है और जांच एजेंसियां उसका पता नहीं लगा पाई। इससे, न्यायालय की अंतरात्मा हिल गई है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, में यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लापता व्यक्ति के ठिकाने का पता लगाया जाए। इसलिए, न्याय के हित में, मामले की जांच सी.बी.आई.को हस्तांतरित करना आवश्यक समझा गया, ताकि लापता महंत का पता चल सके।
अदालत ने राज्य अधिकारियों/प्रतिवादियों को तत्काल प्रभाव से एफ़.आई.आर.से संबंधित अब तक किए गए समस्त जांच रिकॉर्ड सी.बी.आई.को सौंपने का आदेश दिया है।
(नैनीताल से वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ✍️)








