हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। बरसात के मौसम में चटपटे व्यंजनों का अपना अलग स्वाद होता है। शहर के समाजसेवी हेमंत गौनिया भी शुक्रवार को भागदौड़ के बीच सुकून भरी पेटपूजा की तलाश में तिकोनिया जल संस्थान कार्यालय के सामने वाली गली में भटूरे खाने के इरादे से निकले थे।
ठंडी हवा के झोंकों के बीच स्कूटी से फर्राटा भरते हेमंत जैसे ही भटूरा रेस्टोरेंट के पास पहुंचने वाले ही थे, तभी उनका सामना सड़क पर बैडमिंटन खेलते बच्चों से हो गया।
हेमंत के मुताबिक, बीच सड़क बैडमिंटन खेलते बच्चों को सतर्क करने के इरादे से उन्होंने कई बार हॉर्न बजाया लेकिन बच्चे खेलने में मग्न थे। इस दौरान हल्के से स्कूटी बच्चों से टकरा गई। फिर क्या था, बच्चों के साथ साथ उनके परिजन भी एकजुट होकर हेमंत गौनिया पर भारी हो गए और घेर लिया।
हेमंत ने बताया कि बच्चे और परिजन इतने गुस्से में थे कि उन्होंने हाथापाई शुरू कर दी। जिस कारण उन्हें जान बचाने के लिए मौके पर ही स्कूटी छोड़कर मां वैष्णो देवी मंदिर वाली गली में भागने को मजबूर होना पड़ा। किसी तरह भागते भागते वह अपने घर पहुंचे।
घर पहुंचते ही हेमंत ने कोतवाली पुलिस और वार्ड के पार्षद को फोन कर घटना की जानकारी दी। हेमंत के अनुसार, कुछ देर बाद स्थानीय व्यक्ति और भटूरा रेस्टोरेंट के मालिक उनकी स्कूटी घर छोड़ गए। इस दौरान स्थानीय व्यक्ति ने हेमंत से घटना के लिए खेद भी प्रकट किया। जिसके बाद खुशी खुशी पूरे मामले का पटापेक्ष हो गया।
कुल मिलाकर आज भटूरा खाने की चाहत और बीच सड़क बैडमिंटन खेलने वाले बच्चों ने समाजसेवी हेमंत गौनिया की बेवजह फजीहत करवा दी। पहली बार भटूरे की चाहत उन्हें महंगी पड़ गई।
यही कहा जा सकता है कि काश! बीच सड़क बेडमिंटन खेलते इन बच्चों में से कोई बच्चा भविष्य में उत्तराखंड के लिए जिला, प्रदेश स्तर या राष्ट्रमंडल खेलों समेत ओलंपिक में गोल्ड मेडल ले आता तो समाजसेवी हेमंत भी इस डरावने भागने पर मजबूर करने वाले वाकए को आसानी से भूल पाते। वरना तब तक तो इस सड़क पर भटूरा खाना तो बंद ही समझो।