हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। पहले छह महीने फिर तीन महीने के बाद अब उत्तराखंड में नगर निकायों के प्रशासकों का कार्यकाल नये बोर्ड के गठन तक बढ़ा दिया गया है।
सरकार की ओर से नगर निगम चुनाव टालने के लिए माननीय हाईकोर्ट में दायर याचिका, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता, ओबीसी आरक्षण और राज्य की प्राकृतिक आपदाओं को आधार बनाया गया है।
हालाकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसे सरकार की सोची समझी प्लानिंग करार दे रही है। कांग्रेस के सूरमाओं का कहना है कि देशभर की तरह राज्य में भी भाजपा के खिलाफ माहौल है।
बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनाव में जनता इस बात का ट्रेलर भी दिखा चुकी है। ऐसे में नगर निकाय चुनाव में बीजेपी हार का सामना नहीं करना चाहती। यही वजह है कि चुनावों को किसी न किसी बहाने से टाला जा रहा है। ताकि समय का उपयोग अपने पक्ष में करने के लिए किया जा सके।
वैसे सरकार की इस मंशा को हल्द्वानी में फलीभूत होते देखा भी जा सकता है। जिस तरह से इन दिनों बतौर नगर निगम की प्रशासक डीएम वार्ड दर वार्ड जनसुनवाई कर रही हैं और भाजपा के छोटे बड़े दिग्गज उन शिविरों का हिस्सा बन रहे हैं, साफ है कि भाजपा समय का सदुपयोग भलीभाती कर रही है। अब जनता के मन में उतरने की ये सरकारी कवायद कितना रंग लाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा।
यानी कुल मिलकर जैसी चर्चाएं हर आमोख़ास के बीच चल रही थी कि सरकार 25 अक्टूबर तक निगम चुनाव किसी हाल में नहीं कराएगी, वह आशंका सचिव के आदेश से सच साबित हुई। एक बार फिर नगर निगम चुनाव कब होंगे? ये सवाल अनसुलझी पहेली बनकर रह गया है।
दो दिसंबर 2023 से डीएम के हवाले छोड़े गए नगर निगम का भविष्य एक बार सरकार ने अपने हिसाब से तय करने का फैसला सुना दिया है। ऐसे में अब तक हाईकोर्ट की तरफ टकटकी लगाए बैठे भावी पार्षदों और मेयर प्रत्याशियों की तैयारी को भी झटका लगा है।
सचिव नितेश कुमार झा की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि प्रदेश के नगर निकायों के बोर्ड का कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को समाप्त होने के फलस्वरूप, उक्त तिथि से पूर्व नगर निकायों में निर्वाचन की कार्यवाही सम्पन्न करते हुए नये बोर्ड का गठन किया जाना था, किन्तु माननीय उच्चतम न्यायालय में योजित रिट याचिका संख्या-278/2022 सुरेश महाजन बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश व अन्य में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 10 मई 2023 के अनुपालन में गठित माननीय एकल समर्पित आयोग से ओबीसी को स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व प्रदान किए जाने संबंधी रिपोर्ट प्राप्त न होने कारण शासन की अधिसूचना दिनांक 30 नवंबर 2023 द्वारा नगर निकायों में अग्रिम आदेशों तक सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया गया है।
लोक सभा सामान्य निर्वाचन-2024 की आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के कारण नगर निकायों की निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न होने में विलम्ब के दृष्टिगत शासन की अधिसूचना दो जून 2024 द्वारा नगर निकायों के प्रशासकों का कार्यकाल 03 माह अथवा नवीन बोर्ड के गठन, जो भी पहले हो तक के लिए विस्तारित किया गया है।
उत्तराखण्ड राज्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है तथा मानसून सीजन में अतिवृष्टि/भूस्खलन/बादल फटना इत्यादि घटनाएं निरंतर घटित हो रही हैं।
उक्त स्थिति तथा निकायों के ओबीसी सर्वे में समय लगने की संभावना के दृष्टिगत नगर निकाय सामान्य निर्वाचन-2024 ससमय संपन्न न होने से निकायों में प्रशासनिक शून्यता की स्थिति उत्पन्न न हो, अतः उक्त विशेष परिस्थितियों के दृष्टिगत नगर निकायों के प्रशासकों का कार्यकाल नये बोर्ड के गठन तक के लिए एतद्द्वारा विस्तारित किया जाता है।