हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। आंचल के सफेद दूध की आड़ में काला कारोबार करने वाले मुकेश बोरा का अगला ठिकाना जेल होने वाला है। सत्ता की करीबी भी मुकेश बोरा के काम नहीं आई। आज कोर्ट ने उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू (नॉन बेलेबल वारेंट ) यानी गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।
बोरा के खिलाफ लालकुआं कोतवाली में धारा 376, 506 और पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज है।
वहीं, महिला उत्पीड़न के मामले में आरोपी मुकेश बोरा से कन्नी काटकर भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सख्त संदेश दिया है।
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आरोप है कि मुकेश बोरा क्षेत्र की एक विधवा महिला के साथ लंबे समय से दुष्कर्म कर रहा था। कोर्ट और पुलिस को दिए बयान में महिला ने बताया कि मुकेश बोरा की उसकी 12 साल की बेटी पर बुरी नजर थी। जिसके बाद नाबालिग के भी 164 के बयान दर्ज किए गए।
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जब नाबालिग ने मां के लगाए आरोपों को दोहराया तो मुकेश पर पॉक्सो भी लगा दी गई। इससे पहले ही मुकेश ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई थी। इस बीच पुलिस ने भी बोरा पकड़ने की जहमत नहीं उठाई। हालाकि अब चौतरफा फंसने के बाद अब रविवार से पुलिस बोरा की गिरफ्तारी के लिए भागती दिख रही है।
जबकि सच ये है कि पीड़िता को बार बार बयान के लिए बुलाने वाली लालकुआं और हल्द्वानी पुलिस ने शुरुआत से ही मुकेश बोरा पर सख्ती नहीं दिखाई। दिखाती भी कैसे क्योंकि सामने नैनीताल दुग्ध संघ का अध्यक्ष और भाजपा का वरिष्ठ नेता मुकेश बोरा जो था। हालाकि भारतीय जनता पार्टी ने ये साफ करने में जरा भी देर नहीं लगाई कि मुकेश बोरा नाम का प्राणी भाजपा का सदस्य नहीं है।
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आप मुकेश बोरा के काले नेटवर्क का कमाल देखिए कि उसे अभी तक सिर्फ यूसीडीएफ के प्रशासक पद से ही हटाया गया है। जबकि नैनीताल-लालकुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष पद पर वह अभी भी बना हुआ है।
नैनीताल दुग्ध संघ में लाखों रुपए का पश्मीना रजाई और कंबल घोटाला हुआ। राजस्थान से एक ही नंबर वाला ट्रक एक दिन में दूध लेकर लालकुआं पहुंच गया।
पश्मीना रजाई और कंबल घोटाले की जांच में डेयरी विकास विभाग ने लापरवाही बरती और जब कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की जांच में आरोप सही पाए गए तो तक शासन के निर्देश पर दोबारा जांच शुरू हुई लेकिन सत्ता के करीबी मुकेश बोरा के खिलाफ होने वाली जांच को जबरन लटकाया गया। 15 दिन में जांच अधिकारी को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था लेकिन दो सितंबर तक रिपोर्ट नहीं मिली।
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अब मुकेश बोरा का कांड सामने आने और उसे यूसीडीएफ के प्रशासक पद से हटाने के बाद डेयरी विकास विभाग के निदेशक संजय खेतवाल ने इस मामले में जांच अधिकारी को दोबारा रिमांइडर भेजा है। सोचिए क्या रसूख था मुकेश बोरा का…
और ये रसूख क्यों था, यह जानने के लिए आपको उन तमाम पुरुष और महिला कर्मचारियों से मिलना पड़ेगा जो पूरी ईमानदारी से दुग्ध संघ लालकुआं में नौकरी कर रहे हैं। वही आपको मुकेश बोरा के सत्ता से करीबी होने और पैठ की पूरी कहानी परत दर परत बता सकते हैं।
प्रेस 15 न्यूज के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, मुकदमा लिखने के बाद भी मुकेश बोरा आराम से लालकुआं से हल्द्वानी घूमता रहा। इतना ही नहीं, एक बार मुकेश बोरा अपने परिजन के साथ कठघरिया क्षेत्र के एक गांव में विभूति लगाने एक पुछियार के पास भी आया था। यानी कोर्ट से लेकर भगवान के दर में मुकेश बोरा लगातार हाजिरी लगा रहा था। सूत्रों की मानें तो फिलहाल मुकेश बोरा दिल्ली में छुपा हो सकता है।
इससे पहले कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने नाबालिग के 164 के बयान दर्ज किए गए थे। किशोरी की ओर से बताए घटनास्थल का पुलिस ने निरीक्षण भी किया।
मामले में पुलिस ने मुकेश बोरा और उसके चालक कमल बेलवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। लालकुआं निवासी महिला ने 31 अगस्त को लालकुआं कोतवाली में दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा के खिलाफ तहरीर देकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
महिला ने कहा कि अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर मुकेश बोरा आए दिन उसका शारीरिक शोषण करता था। आरोपी ने अपने दोस्तों के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया। मना करने पर उसने मुझे और मेरे बच्ची को जान से मारने की धमकी दी।
पीड़िता के इनकार करने पर आरोपी के ड्राइवर कमल बेलवाल ने जान से मारने की धमकी दी। एक सितंबर को लालकुआं कोतवाली में आरोपी मुकेश बोरा और उसके चालक कमल बेलवाल पर धारा 376, 506 में केस दर्ज किया। इसके बाद महिला ने आरोपी बोरा पर उसकी बेटी से छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद मुकेश बोरा पर पॉक्सो की धारा बढ़ा दी थी।
प्रथम सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी की कोर्ट ने मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत की याचिका पर बीते बृहस्पतिवार को फैसला नहीं सुनाया। नौ सितंबर यानी आज इस मामले की सुनवाई हुई।
प्रथम सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी की कोर्ट में मुकेश बोरा की ओर से लगे अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को लेकर पीड़िता ने सत्र न्यायाधीश नैनीताल के न्यायालय में एक विस्तृत स्थानांतरण प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
इसमें कहा गया था कि वर्तमान अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र इस न्यायालय से रिकॉल करके किसी अन्य सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए।
पीड़िता के प्रार्थना पत्र पर सत्र न्यायाधीश नैनीताल ने प्रथम सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी के पीठासीन अधिकारी से आख्या मांगी। न्यायिक अनुशासन के कारण प्रथम सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी ने स्थानांतरण प्रार्थना पत्र पर सुनवाई और उस पर होने वाले आदेश तक मुकेश बोरा के अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई स्थगित कर दी थी।
लेकिन आज कोर्ट ने मुकेश बोरा के खिलाफ एनबीडब्ल्यू (नॉन बेलेबल वारेंट ) यानी गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। ऐसे में अब मुकेश बोरा की गिरफ्तारी की खबर नैनीताल जिले की तेज तर्रार और मित्र पुलिस आपको कभी भी सुना सकती है।
कुल मिलाकर मुकेश बोरा की गिरफ्तारी उन पीड़ित महिलाओं के आसूंओं की जीत होगी जो लंबे समय से मुकेश बोरा के उत्पीड़न से परेशान थी।
मुकेश बोरा की गिरफ्तारी के बाद अगर सलीके से जांच हो तो बीते साढ़े पांच साल में दुग्ध संघ में हुए भ्रष्ट्राचार की परत दर परत खुल जाएगी। लेकिन ऐसा होगा उम्मीद नहीं है क्योंकि मुकेश बोरा के काले नेटवर्क में कई कथित इज्ज़तदार और सफेदपोश जो भी शामिल हैं।