

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक में स्थित गांव बसगांव में हुए जमीन फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
पिछले सात महीने से खुली हवा में घूम रहे एक एक आरोपी के भ्रष्टाचार का हिसाब अब होने वाला है।
“प्रेस 15 न्यूज” से विशेष बातचीत में कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत ने स्पष्ट किया है कि लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होली के बाद होनी थी लेकिन इस बीच कुमाऊं आईजी योगेंद्र सिंह रावत का ट्रांसफर हो गया। ऐसे में अब नई आईजी रिद्धिम अग्रवाल भी बसगांव समेत अन्य लैंड फ्रॉड के मामलों पर नजर डालेंगी।
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कुमाऊं आयुक्त ने बताया कि ऐसे में अब 20 अप्रैल तक लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होगी। उन्होंने कहा कि आरोपी कुछ दिन और खुली हवा में घूम लें, फिर अपनी करतूत की सजा भुगतने को तैयार रहें।
आयुक्त ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड में जमीन फर्जीवाड़े के किसी भी आरोपी का बक्शा नहीं जाएगा।
इस बीच कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने उनके आदेश को गंभीरता से न लेने पर सब रजिस्ट्रार रमा तिवारी को सोमवार यानि 7 अप्रैल को दोपहर 12 बजे अपने कार्यालय में तलब किया है।
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दरअसल, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में शामिल ग्राम प्रधान पति से लेकर तमाम दूसरे आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश पूर्व में दो बार सब रजिस्ट्रार को दे चुके हैं। लेकिन सब रजिस्ट्रार ने उनके आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।
“प्रेस 15 न्यूज” संवाददाता को कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने बताया कि बसगांव जमीन फर्जीवाड़े के आरोपियों का मामला सबसे पहले रजिस्ट्रार कार्यालय नैनीताल में आया। ऐसे में सब रजिस्ट्रार को उनके स्तर से दो बार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
इस काम में सब रजिस्ट्रार ने देरी क्यों की और अब तक बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई, यह गंभीर लापरवाही का मामला है। यही वजह है कल यानी सात अप्रैल को सब रजिस्ट्रार रमा तिवारी को कैंप कार्यालय में तलब किया है।
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सूत्रों की मानें तो बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने के लिए सब रजिस्ट्रार की ओर से करीब महीना भर पहले एडीएम फिंचा राम चौहान को पत्र लिखा गया है। लेकिन उस पत्र का क्या हुआ, ये कोई बताने वाला नहीं है।
कुल मिलाकर इस मामले में घोर लापरवाही सामने आई। नतीजा बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों को अब लगने लगा है कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा।
बताते चलें कि कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में होने वाली लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक पर्याप्त मामले न होने की वजह से लंबे समय से नहीं हो सकी है। लेकिन अब 20 अप्रैल के आसपास लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होने जा रही है।
बड़ी बात यह है कि बसगांव जमीन फर्जीवाड़े का यह मामला पहले दिन से कुमाऊं आयुक्त की प्राथमिकता में है। बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाकर कई नाली जमीन ठिकाने लगाने की बात जानकर आयुक्त भी हैरान रह गए थे।
बीते साल अक्टूबर में कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत की जनसुनवाई में बसगांव की 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था।
पता चला था कि गांव के लोगों ने जिन मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा, उनसे बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन खरीद ली। स्वर्ग सिधार चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बना दिए। और प्रधान की मुहर का भी इस्तेमाल हुआ।
आरोप है कि बसगांव ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी की मिलीभगत से छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा निवासी भगवत भंडारी ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवा दिए थे। और बसगांव की कई नाली जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे थे।
इतना ही नहीं फर्जी आधार कार्ड से गांव की जमीन ठिकाने लगाने के मामले के सामने आने के बाद बसगांव में जमीन फर्जीवाड़े के कई दूसरे चौंकाने वाले मामले भी सामने आ चुके हैं जिनमें प्रथम दृष्टया ग्राम प्रधान पति की भूमिका संदिग्ध है।
एक मामले में तो गांव के एक युवा ने आस्तीन खींचकर धोखे से कब्जाई अपनी जमीन का किसी तरह हिसाब बराबर किया है। ऐसे कई मामले बसगांव में इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं।
वहीं, बसगांव में जमीन फर्जीवाड़े के एक के बाद एक मामले सामने आने के बाद राजनीति भी शुरू हो चुकी है। कुछ ग्रामीणों को छोटा मोटा लालच देकर आरोपियों ने अपने पक्ष में किया है तो कुछ गांव में रहकर बुराई मोल न लेने की बात कहकर शांत हो चुके हैं।
गांव में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो जो चाहते तो हैं कि जमीन फर्जीवाड़े में शामिल एक- एक शातिर को उसके कमीशनखोरी वाले कर्मों की सजा मिले लेकिन इस लड़ाई को लड़ने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा। ऐसे में सबकी निगाहें कमिश्नर दीपक रावत की तरफ टिकी हैं।
लेकिन गांव में कुछ जागरूक युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जमीन बचाने के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बनाया है जो अपने स्तर से यह काम कर भी रहे हैं।
कुल मिलाकर बसगांव की जमीन बाहरियों से बचाने को लेकर जैसी जागरूकता दिखाई जानी थी, वैसा नजर नहीं आया। हां, इतना जरूर हुआ कि इस बीच ग्राम सुरक्षा समिति जरूर बन गई।
बसगांव की जमीन ही नहीं ढोकाने वॉटर फॉल के साथ ही श्री कैंची धाम तहसील (पूर्व नाम कोश्याँकुटोली तहसील) के सलकुली गांव निवासी एक गरीब किसान को भी ठगने में बसगांव मामले में शामिल शातिर माफियाओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
इधर, जमीन फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पिछले अक्टूबर से खुलेआम घूम रहे और खुद को बेकसूर बताने में तुले आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन न होने से बसगांव और आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीण भी कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में होने वाली लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक की तरफ टकटकी लगाए हैं।




