हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। मित्रता, सेवा और सुरक्षा का दम भरने वाली उत्तराखंड पुलिस की साख पर लगातार बट्टा लग रहा है। और यह काम कोई और नहीं बल्कि थाना चौकी में बैठे जिम्मेदार कर रहे हैं।
चोरगलिया थाने के बाद अब हीरानगर चौकी के जिम्मेदारों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।
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साल 2020 में संदिग्ध परिस्थितियों में अपनी बहन को खोने के बाद जब शिक्षक कमल कफल्टिया बीते 11 जुलाई को बहन के बच्चों से मिलने गौलापार के तारानवाड़ गांव पहुंचे तो उनके साथ दूसरे पक्ष के लोगों ने मारपीट की। जब इतने से मन नहीं भरा तो शिक्षक कमल का फोन तक नहर में फेंक दिया।
जिसके बाद जब शिक्षक कमल ने इस गुंडागर्दी के खिलाफ चोरगलिया पुलिस में एफआईआर कराई तो पता चला पुलिस ने एफआईआर का समय ही कई घंटे पीछे कर दिया।
इतना ही नहीं इस दौरान आरोपियों की तरफ शिक्षक कमल के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दी गई। आज दिन तक शिक्षक कमल कफल्टिया न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं। कमल का कहना है कि आरोपियों की साठगांठ गौलापार क्षेत्र के कारोबारी और भाजपा नेता से है, यही वजह है पुलिस आरोपियों का बचा रही है।
बीते रोज शिक्षक कमल अपनी बुजुर्ग मां के साथ न्याय की गुहार लगाने एसएसपी दफ्तर के बाहर पहुंचे थे। जहां एसएसपी के न मिलने के बाद उन्होंने एसपी सिटी प्रकाश चंद्र, सीओ नितिन लोहनी, कोतवाल उमेश मलिक के सामने पीढ़ा रखी। इस दौरान राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। जिसके बाद एसपी सिटी ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया।
अब ताजा मामला हीरानगर चौकी से जुड़ा है। ससुरालियों से जुल्म से तंग एक महिला को हीरानगर पुलिस ने इस कदर परेशान किया कि उसने जिंदगी खत्म करने का मन बना लिया। पीड़ित महिला फरियाद लेकर सीओ नितिन लोहनी के पास पहुंची और हीरानगर चौकी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। आखों में आंसू लिए महिला ने कहा कि यदि उसे सही न्याय नहीं मिला तो वह जान दे देगी।
सीओ नितिन लोहनी को शिकायती पत्र सौंपते हुए हीरानगर निवासी नेहा खंडेलवाल ने कहा कि ससुरालियों ने दहेज को को लेकर कई बार उसके साथ मारपीट की। वह 20 अप्रैल से पुलिस के चक्कर काट रही है, लेकिन पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर रही।
नेहा ने बताया कि 11 जुलाई को उसके साथ दोबारा ससुरालियों ने मारपीट की और कमरे में बंद कर दिया। जिसके बाद नेहा के भाई ने एसएसपी को फोन किया। एसएसपी ने सीओ को तत्काल निर्देशित किया।
सीओ के निर्देश पर पहुंची हीरानगर पुलिस ने नेहा को कमरे से आजाद कराया, लेकिन जांच अधिकारी ने उल्टा नेहा को गलत ठहरा दिया।
नेहा का आरोप है कि हीरानगर पुलिस ने जांच रिपोर्ट बदली और बदले में ससुरालियों से पैसे लिए। जांच रिपोर्ट में न ही नेहा के बयान लिए और न ही मायके वालों के। उल्टा हीरानगर चौकी के जांच अधिकारी ने नेहा को डराया धमकाया। विरोध करने पर मायके वालों को फंसाने की धमकी दी।
नेहा का कहना है कि पुलिस ने उसके साथ मरने के सिवा कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। सीओ नितिन लोहनी के अनुसार, मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। जांच के आदेश दिए हैं और महिला के साथ न्याय होगा।
नैनीताल पुलिस की बात करें तो तो ये कोई पहले मामले नहीं हैं जब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे हों। इससे पहले भी जिले के विभिन्न थाना चौकियों में तैनात पुलिस पर सत्ता पक्ष और प्रभावी लोगों का साथ देने का आरोप लगा है।
अभी कुछ वक्त पहले ही ऐसा ही एक मामला हल्द्वानी के कठघरिया क्षेत्र से सामने आया था जिसमें अनुसूचित जाति की महिला ने अपने साथ हुए जुल्म की शिकायत खुद को मित्र पुलिस के तमगे से शोभायमान करने वाली हल्द्वानी पुलिस से की थी। लेकिन पुलिस के जिम्मेदारों ने पीड़ित महिला को जांच के नाम पर उलझा दिया।
किसी तरह महिला ने हिम्मत की और पूरे मामले और पुलिस अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली की शिकायत कोर्ट से की। नतीजा यह रहा है कि कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और दोषी तत्कालीन हल्द्वानी सीओ भूपेंद्र सिंह और मुखानी थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।
करीब दो साल पहले नौकरी के नाम पर उत्तराखंड में ठगी का गिरोह चलाने वाले हल्द्वानी के जेल रोड और पीलीकोठी निवासी रितेश पांडे के मामले में भी हल्द्वानी कोतवाली और मुखानी पुलिस ने पीड़ित को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
करीब एक महीने तक ठग रितेश पांडे के खिलाफ एक एफआईआर कराने के लिए पीड़ित कोतवाली से लेकर मुखानी थाने के चक्कर काटता रहा। मीडिया के दखल के बाद तत्कालीन एसएसपी पंकज भट्ट के आदेश पर मुखानी एसओ दीपक बिष्ट एफआईआर दर्ज की थी।
हद तो तब हुई थी जब मामले में आरोपी ठग रितेश पांडे की सीएम पोर्टल में हुई शिकायत के जवाब में मुखानी पुलिस ने झूठी और गुमराह करने वाली रिपोर्ट लगाई थी। ऐसे में आप समझ मुखानी थाने की पुलिस ने पीड़ित को न्याय दिलाने में कितनी रुचि दिखाई होगी।
वो बात अलग है पीड़ितों के खून के आंसुओं की जीत हुई और आज रितेश पांडे अल्मोड़ा जेल में अपने कुकर्मों की सजा काट रहा है।