हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी में एक के बाद एक छोटी बच्चियों से लेकर बड़ी उम्र की महिलाओं के साथ अपराध सामने आ रहे हैं। अभी नैनीताल रोड में शिक्षक द्वारा दसवीं की छात्रा को अश्लील मैसेज भेजने और छेड़खानी का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब सोमवार को फिर आवास विकास क्षेत्र के एक स्कूल के शिक्षक पर महज पांच साल की मासूम के साथ उत्पीड़न का मामला सामने आ गया।
अगर आपके बच्चे भी स्कूल कॉलेज जा रहे हैं तो यह कड़वा सच जान लीजिए कि आपके बच्चे और बच्चियां स्कूल में भी सुरक्षित नहीं हैं।
बेशर्मी की हद देखिए आज दिन तक प्राइवेट स्कूलों की एसोसिएशन की तरफ से बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बयान तक नहीं आया। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि आपके लाडले बच्चे स्कूल संचालकों के लिए सिर्फ और सिर्फ कमाई का जरिया भर हैं।
साफ है अपराधी मानसिकता के लोगों में पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। ऐसे में नैनीताल जिले की पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।
बीते रोज उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता कपूर ने भी हल्द्वानी के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर चिंता जताई थी।
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उन्होंने कहा था कि नैनीताल रोड के जिस प्राइवेट स्कूल में उन्होंने दौरा किया, वहां का शिक्षक ही 10वीं की छात्रा को अश्लील मैसेज भेज रहा था। हालाकि मामला सामने आने के बाद विद्यालय प्रबंधन ने आरोपी शिक्षक को निलंबित कर दिया लेकिन भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए विद्यालय प्रबंधन ने कोई एक्शन नहीं लिया। साफ है विद्यालय प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं था।
आयोग की अध्यक्ष गीता कपूर की जांच में सामने आया कि प्राइवेट स्कूल के बच्चों को तो छोड़िए प्रिंसिपल तक को चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 की जानकारी नहीं थी। ऐसे में सीडब्ल्यूसी यानी बाल कल्याण समिति और उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के बारे में जानकारी की उम्मीद उनसे क्या ही की जाए।
उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना की अध्यक्षता में बाल अधिकारों एवं बाल सुरक्षा पर नगर निगम सभागार में सोमवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
कार्यशाला में डॉ. खन्ना ने कहा कि बाल्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारण जैसे हिंसाए, घरेलू हिंसा, बाल तस्करी, बाल श्रम, प्रताड़ना तथा शोषण आदि मामलों पर अंकुश लगाना है। उन्होंने कहा कि बाल तस्करी करने तथा बच्चों में मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम करने हेतु अलग सैल बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार यह प्रयास कर रही है कि सरकारी/प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के शोषण को कैसे कम कर सके।
डॉ. खन्ना ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में उत्तराखण्ड में शोषण के अत्यधिक मामले आ रहे हैं। इन सब मामलों में हम सबकी एक नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मामलों की पुनरावृति ना हो इसके लिए सम्बन्धित विभागों के लिए जैसे शिक्षण संस्थान, समाज कल्याण, महिला कल्याण, पुलिस, आरटीओ, श्रम विभाग आदि विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाए।
उन्होंने कहा किसी भी तरह की घटनाओं पर चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर सम्पर्क कर सूचना दे सकते है ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लग सके। उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि समय-समय पर चैकिंग अभियान चलाया जाए।
कार्यशाला में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरीश पंत, जिला शिक्षाधिकारी एसबी चन्द्र, आरटीओ रश्मि भट्ट, जिला प्रोबेशन अधिकारी वर्षा, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष आरपी पंत के साथ पुलिस, शिक्षा, परिवहन विभाग के कर्मचारियों के साथ ही विभिन्न स्कूलों की छात्राऐं उपस्थित रहीं।
आप समझ सकते हैं कि हर साल फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के लिए आपके लाडले बच्चों की सुरक्षा कितना मायने रखती है। ऐसा नहीं है कि हल्द्वानी के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों खासकर छात्राओं को असमाजिक तत्व कोई इसी महीने से ही परेशान कर रहे हों, ये सिलसिला पुराना है। बस बेटियां किसी तरह इसे बर्दाश्त कर रही थी।
दरअसल, नैनीताल रोड के स्कूल में शिक्षक द्वारा 10वीं की छात्रा को अश्लील मैसेज भेजने और छेड़खानी की करतूत सामने आने के बाद जब जिला प्रशासन और नैनीताल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे तो शहर में एक के बाद एक स्कूली छात्राओं के लिए कार्यशाला का आयोजन होने लगा। इतना ही नहीं प्रशासन के अधिकारी भी सड़क पर उतरे। खराब स्ट्रीट लाइटों को सुधारने की जहमत उठाई गई।
हर कार्यशाला में बेटियों ने खुलकर वो सारी बात बताई जो वो हर रोज स्कूल आने जाने के दौरान सड़कों पर झेलती हैं।
आज कमलुवागांजा के एक प्राइवेट स्कूल में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से “बालिकाओं द्वारा असुरक्षित स्थानों के चिन्हीकरण” विषय में कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में पुलिस, स्वास्थ, शिक्षा, परिवीक्षा विभाग से आए अधिकारी मौजूद रहे।
अपर निदेशक, प्रशिक्षण ऋचा सिंह और बाल विकास परियोजना अधिकारी शिल्पा जोशी ने बालिकाओं से ऐसे स्थानों के बारे में पूछा जहां पर वह असुरक्षित महसूस करती हैं। अधिकारियों के मुंह से ये सवाल निकला ही था कि बेटियों में जवाब देने की होड़ मच गई।
छात्राओं ने बताया कि उन्हें रिलायंस मॉल कमलुआगांजा के पीछे आम का बगीचा, कलश गार्डन के आसपास एवम पार्किंग में, गोविंदपुर गरवाल, भगवानपुर रोड ऑटो स्टैंड, आरके टेंट हाउस वाली सड़क के पास दुकानों पर, मैट्रिक्स हॉस्पिटल के पास, बोहरा कॉलोनी, बच्चीनगर, लामाचौड़, भरतपुर, कमलुआगांजा चौराहे के आसपास गलियों में आने जाने में डर लगता है।
इस डर का कारण भी बताते हुए कहा कि इन सभी जगहों पर नशे में लड़के और आसपास निर्माणाधीन बिल्डिंग्स के लेबर झुंड बनाकर बैठे रहते हैं। कुछ चिन्हित स्थानों में चरस, स्मैक और शराब का कारोबार भी चलता है। सुनसान रास्ते में लफंगे पीछा भी करते हैं। ऑटो वाले जानबूझकर सुनसान रास्ते से ले जाते हैं।
छात्राओं ने बेबाकी से बताया कि अंधेरे का फायदा उठाकर लड़के बाइक से आकर गलत तरीके से छूते हैं और भद्दे कमेंट्स भी करते हैं।
कार्यशाला में बालिकाओं ने सुझाव देते हुए कहा कि लेबर का सत्यापन, गलियों में स्ट्रीट लाइट, ऑटो चालक और ई–रिक्शा चालक का सत्यापन, ऑटो या रिक्शा स्टैंड पर या अन्य चिन्हित स्थानों पर पुलिस पेट्रोलिंग होनी चाहिए।
अब कार्यशाला में छात्राओं द्वारा बताए गए असुरक्षित स्थानों और कारणों के साथ समिति अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।
बताते चलें कि इससे पहले हुई कार्यशालाओं में भी विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं ने उन तमाम जगहों का जिक्र किया था जहां से गुजरने में वो असुरक्षित और डरी सहमी रहती हैं।
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि छात्राओं के बताए स्थानों में शायद ही हल्द्वानी की कोई सड़क छूटी हो, जहां शोहदे और असामाजिक तत्व उन्हें परेशान न करते हों। लेकिन इन सबसे अंजान बनकर पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार सोए रहे। कितने डीएम आए कितने एसएसपी आए लेकिन किसी ने भी बेटियों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया।
अब भी जब छोटी छोटी उम्र की बेटियां उत्पीड़न का शिकार बनी तो जिम्मेदार जागने को मजबूर हुए हैं। अब नैनीताल जिला प्रशासन और पुलिस की नींद टूटी है।
उम्मीद करते हैं कि बेटियों को सुरक्षित रखने और भयमुक्त वातावरण देने की जो पहल इन दिनों हल्द्वानी में चल रही है, वो महज मीडिया की सुर्खियां और विभागीय गुड वर्क बनकर ही खत्म न हो जाए।
यह मुहीम हकीकत में रंग लानी चाहिए तभी जिले के लोग पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदारों की इस पहल पर यकीन कर पाएंगे। जिससे हर मां बाप अपने जिगर के टुकड़ों के लिए बेफिक्र हो सकें। बाकी स्कूल संचालकों से तो मां बाप को सिर्फ फीस बढ़ाने की ही उम्मीद है।