नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। सावधान होशियार! अगर आप नैनीताल घूमने आएं और आपको लघु शंका या दीर्घ शंका महसूस हो तो आदतन सड़क किनारे जाने की गलती मत कीजिएगा। अगर ऐसा करते नगर पालिका के किसी जिम्मेदार ने आपको देख लिया तो लघु शंका और दीर्घ शंका से पहले आपकी जेब ढीली हो जाएगी।
नैनीताल शहर और आसपास खुले में शौच मुक्त प्लस (ओडीएफ) किए जाने के संदर्भ में प्राप्त दावों-निकाय में गठित टीम द्वारा सर्वे के आधार पर नगर पालिका परिषद नैनीताल को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है।
ईओ दीपक गोस्वामी के अनुसार, नैनीताल में कोई भी व्यक्ति खुले में शौच/ यूरिनेशन करते हुए पाया जाता है तो उसके विरुद्ध चालानी कार्रवाई की जाएगी। सजा के तौर पर खुले में शौच करने पर 500 ₹ और यूरीनेशन करने पर 100 ₹ का अर्थदंड वसूला जाएगा।
अब सवाल यह है कि ईओ साहब ने तो फरमान सुना दिया लेकिन क्या नैनीताल शहर में पर्यटकों और स्थानीय लोगों के सापेक्ष सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं? क्या जनसामान्य और खासकर महिलाओं की दिक्कतों को समझने का भी नगर पालिका के जिम्मेदारों ने ध्यान रखा है?
अगर रखा है तो खुले में शौच के विरुद्ध जुर्माने का यह आदेश स्वागत योग्य है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो नगर पालिका के जिम्मेदारों को यह तुगलकी फरमान जारी करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
अमूमन देखा गया है कि चाहे नैनीताल हो या हल्द्वानी, सार्वजनिक स्थानों पर पब्लिक टॉयलेट्स की भारी कमी है। यही वजह है कि साल भर सड़क किनारे शौच करना लोगों की मजबूरी है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है जिनका पाला अक्सर बाजार क्षेत्र से पड़ता है।
कुमाऊं के हल्द्वानी जैसे प्रमुख शहर को तो छोड़िए पर्यटक स्थल नैनीताल, रामगढ़, भीमताल, मुक्तेश्वर में भी सार्वजनिक शौचालय या तो हैं नहीं और जो हैं भी उनमें से अधिकतर बदहाल हैं। पर्यटन विभाग के साथ साथ जिला प्रशासन और नगर निकायों के जिम्मेदारों को इस दिशा में भी कदम उठाने का साहस दिखाना चाहिए।