हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव कब तक होंगे, इसे लेकर आशंकाओं के बादल अभी पूरी तरह नहीं छंट पाए हैं।
हालाकि राज्य सरकार ने दो जून 2024 को आदेश जारी कर नगर निकायों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने का फरमान जारी कर दिया हो लेकिन निकाय चुनाव में देरी को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती ने एक बार फिर सरकार के आदेश की हवा निकाल दी है।
इस बीच नगर निकाय चुनावों की चर्चा के बीच अब त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव की भी चर्चा होने लगी है, जिनका पांच साल का कार्यकाल खत्म होने को अब करीब पांच महीने का वक्त बचा है।
इधर, हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव की तय सीमा समाप्त होने के बाद भी सरकार की ओर से चुनाव नहीं कराने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को अवमानना नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार से निकाय चुनाव पर स्थति स्पष्ट करने का आदेश सुनाते हुए अगली सुनवाई 11 जून तय की है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड में नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को समाप्त हो गया था। सरकार ने निकायों को प्रशासकों के हवाले कर दिया।
इस बीच प्रशासकों का कार्यकाल बीते दो जून को खत्म हो गया और सरकार ने दोबारा प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया। जबकि सरकार ने हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में शपथ पत्र दिया था कि 30 जून तक निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने राजीव लोचन साह बनाम राज्य सरकार मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए 09 जनवरी 2024 और 16 अप्रैल 2024 को आदेश जारी कर समय पर चुनाव कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन राज्य सरकार विफल रही है।
अवमानना याचिका में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और अपर सचिव नितिन भदौरिया को पक्षकार बनाते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई है।
इधर, इस सबके बीच सूत्रों की मानें तो भाजपा के चाणक्य चाहते हैं कि निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ कराए जाएं। तर्क दिया जा रहा है कि इससे चुनावों पर आने वाले खर्च की बचत होगी और दोनों चुनाव एक साथ होने पर विकास कार्यों में किसी तरह का व्यवधान नहीं पड़ेगा।
बताते चलें कि राज्य में नगर निकायों का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इस बीच लोकसभा चुनाव सामने आ गया।
जिसके बाद अब राज्य सरकार ने बीते दो जून को निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया। ऐसे में सरकार की मंशा है कि निकाय चुनाव सितंबर या अक्टूबर में हों। हालाकि अभी निकायों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण के साथ ही एक्ट में संशोधन पर निर्णय होना बाकी है।
बताते चलें कि उत्तराखंड में 102 नगर निकाय हैं। इनमें नौ नगर निगम, 45 नगर पालिका, 48 नगर पंचायत हैं। नगर पंचायत बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होता है।
नगर पालिका बाजपुर का कार्यकाल जुलाई, और नगर निगम रुड़की का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है। चूंकि इन दोनों निकायों के परिसीमन को मंजूरी मिल गई है, इसलिए अब 99 निकायों में निकाय चुनाव होने हैं। अब सबकी निगाह 11 जून को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिक गई हैं।