हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे, इस सवाल का जवाब अगर कोई सही सही दे सकता है तो वो परमपिता परमेश्वर ही हैं। लेकिन सृष्टि के रचनाकार परमात्मा को उत्तराखंड की इस टुच्ची राजनीति से अलग ही रखना ठीक है। हालाकि आखिरी बार सरकार की ओर से माननीय हाईकोर्ट में 25 अक्टूबर से पहले निकाय चुनाव कराने का दम भरा है। लेकिन सरकार के इस दावे पर कोई यकीन नहीं कर पा रहा है।
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दरअसल, हाईकोर्ट की लाख फटकार खाने के बाद भी राज्य सरकार ये बताने को राजी नहीं है कि पिछले आठ महीनों से नगर निकायों को एक तरह से भगवान भरोसे जो रखा गया है, उसका अंत कब होगा। आखिर कब जनता के हितैषी पार्षद चुने जाएंगे और कब नगर पंचायत अध्यक्ष और मेयर चुनकर जनहित के कामों को धार देंगें।
इन सबके बीच सरकार ने उत्तराखंड के सेवानिवृत आईएएस अधिकारी सुशील कुमार को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिया है। सुशील कुमार बीते साल गढ़वाल आयुक्त के पद से रिटायर हुए हैं।
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दरअसल, पिछले आठ महीने से राज्य निर्वाचन आयुक्त (पंचायतराज और स्थानीय निकाय) का पद भी खाली है। ऐसे में निकाय चुनाव को लेकर माननीय हाईकोर्ट का दबाव क्या बढ़ा अब गुरुवार को सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति का फरमान जारी किया है। जिसके बाद सुशील कुमार ने आयोग के दफ्तर पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
सुशील कुमार उत्तराखंड कैडर के 2005 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। अपने कार्यकाल के दौरान सुशील कुमार नगर आयुक्त, देहरादून के साथ ही डीएम पिथौरागढ़ और पौड़ी गढ़वाल भी रहे।
नवनियुक्त राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने उत्तराखंड के श्रम आयुक्त और गन्ना आयुक्त के साथ ही राजस्व विभाग के सचिव और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव के रूप में भी सेवाएं दी हैं।
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अब विकास की आस में निकाय चुनावों की आस लगाए बैठी आम जनता को सुशील कुमार जैसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का कितना लाभ मिल पाता है ये तो वक्त ही बताएगा।