हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। चिराग तले अंधेरा की कहावत आपने खूब सुनी होगी। शनिवार को कुमाऊं आयुक्त और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत के कैंप कार्यालय में यह बात सही साबित भी हो गई।
दरअसल, बाकी फरियादियों की तरह शनिवार को एक महिला फरियादी भी आयुक्त दीपक रावत से न्याय मांगने पहुंची थी। यह महिला फरियादी कोई आम महिला नहीं थी बल्कि इस महिला ने साल 2021 में अपने पति को संदिग्ध परिस्थितियों में हमेशा हमेशा के लिए खो दिया था जो नैनीताल पुलिस में बतौर कांस्टेबल सेवा दे रहे थे। यानी बातें मित्रता, सेवा और सुरक्षा की और अपने ही दिवंगत कांस्टेबल की पत्नी को न्याय नहीं दिला सकी नैनीताल पुलिस।
आज जब मीनाक्षी जोशी आयुक्त के सामने पहुंची तो उन्होंने बताया कि उनके पति उत्तराखंड पुलिस में कांस्टेबल पद पर तैनात थे। 2021 में उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी लेकिन अब तक पुलिस विभाग से पति के देयकों का भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने देयकों के भुगतान और मृतक आश्रित कोटे से नौकरी दिलाने की मांग की।
इस पर आयुक्त दीपक रावत ने नैनीताल एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा को फोन मिलाया और उचित कार्रवाई के निर्देश दिए।
सोचिए, ये कैसी तस्वीर और दृश्य रहा होगा जब एक दिवंगत कांस्टेबल की पत्नी को फरियाद और न्याय की आस में कुमाऊं के सबसे बड़े प्रशासनिक अफसर के पास आना पड़ा। जबकि हल्द्वानी में जिले के एसएसपी से लेकर मंडल के डीआईजी तक बैठते हैं।
इस बात की भी पूरी संभावना है कि आयुक्त के पास न्याय की आस में आने से पहले दिवंगत कांस्टेबल की पत्नी पुलिस अधिकारियों के पास गई हों। लेकिन यह भी सच है उन्हें वहां से सिवाय आश्वासन के कोई उम्मीद न मिली हो।
सवाल यह है कि आखिर जिंदगी खत्म होने के बाद पुलिस महकमा अपने ही विभाग के कर्मचारी के बेबस परिवार की सुध क्यों नहीं लेता? जब तक वो ड्यूटी कर रहा था तब तक वो पुलिस परिवार का हिस्सा था लेकिन जब उसकी जिंदगी छिन गई तो क्यों उसके परिवार और बच्चों की तरफ पलट कर नहीं देखा जाता?
सोचिए, 2021 से उस महिला पर क्या बीत रही होगी जिसके कांस्टेबल पति की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हुई हो और आजीवका चलाने के लिए उसके पास कोई मदद न हो। आज वह उत्तराखंड पुलिस से देयकों के भुगतान और मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की आस में भटक रही है।
फिलहाल, आयुक्त ने तो अपना फर्ज निभा दिया लेकिन उत्तराखंड पुलिस के साथ साथ नैनीताल पुलिस के जिम्मेदार कब तक अपने ही कांस्टेबल के परिवार को न्याय दिला पाते हैं, यह देखना होगा।
काश! उत्तराखंड पुलिस की मित्रता, सेवा और सुरक्षा की बात का कुछ असर नैनीताल पुलिस के दिवंगत कांस्टेबल के बेबस परिवार तक भी दिख जाए, तो इससे अच्छी बात क्या होगी।