UCC implemented in Uttarakhand, applications for live-in relationship देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में यूसीसी लागू क्या हुआ, एक छत के नीचे रहने के लिए विवाह के सात फेरों का बंधन भी खत्म हो गया।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी ने लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी तो देहरादून में एक जोड़ा सबसे पहले लिव-इन रिलेशन का पंजीकरण कराने पहुंच गया।
दोनों ने यूसीसी पोर्टल पर लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराने के लिए आवेदन किया है। अब पुलिस इनके आवेदन की जांच कर रही है। दस्तावेज व दावे सही पाए जाने पर दोनों को लिव-इन में रहने की अनुमति दी जाएगी। जिसके बाद दोनों बिना शादी के एक छत के नीचे एक कमरे में कानूनी संरक्षण के साथ रह सकेंगे।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद इसके कुछ प्रावधानों को लेकर विरोध होने लगा है। खासकर, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर उत्तराखंड के लोग विरोध कर रहे हैं।
लोग कह रहे हैं कि सात फेरों का पवित्र बंधन यूसीसी के बाद अब मजाक बन गया है। लिव इन रिलेशनशिप अपने आप में युवाओं को पथभ्रमित करने वाला रिश्ता है। ऐसे में कानूनी मान्यता मिलने के बाद अब देवभूमि के गांव शहर भी दिल्ली, मुंबई की तरह भटके युवाओं का गढ़ बन जाएगा।
देहरादून में अब तक 193 लोगों ने यूसीसी पोर्टल पर विभिन्न श्रेणियों में आवेदन किया है। विवाह पंजीकरण के अलावा विवाह विच्छेद, विवाह की निरर्थकता का पंजीकरण, कानूनी उत्तराधिकारियों की घोषणा, वसीयत पंजीकरण के लिए आवेदन किए जा रहे हैं।
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को साथ में रहने के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण यूसीसी वेब पोर्टल पर कराना होगा। पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार की ओर से जोड़े को एक रसीद दी जाएगी। इसी रसीद के आधार पर वह जोड़ा किराये पर घर, हाॅस्टल अथवा पीजी में रह सकेगा।
लिव इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण नहीं कराने पर 06 माह का कारावास या 25 हजार ₹ जुर्माना या दोनों का प्रावधान होगा।
लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण करने वाले जोड़े की सूचना रजिस्ट्रार की ओर से उनके माता-पिता या अभिभावक को दी जाएगी। लिव इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उसी युगल की संतान माना जाएगा। इस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।
समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव-इन रिलेशनशिप मामलों में संहिता लागू होने की तिथि से एक माह के अंदर पंजीकरण कराना होगा, जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप मामलों का पंजीकरण, रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक माह के अंदर कराना होगा।
वहीं, ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीके से लिव इन रिश्तों को समाप्त किया जा सकेगा। जोड़े के एक साथी की ओर से रिश्ता समाप्त करने का आवेदन करने पर रजिस्ट्रार दूसरे से पुष्टि करेगा। लिव इन में महिला के गर्भवती होने पर रजिस्ट्रार को सूचना देना अनिवार्य होगा। बच्चे के जन्म के 30 दिन के अंदर स्टेटस अपडेट कराना होगा।
लिव इन रिलेशनशिप पंजीकरण के लिए क्या है जरूरी
महिला की तस्वीर, पुरुष की तस्वीर, उत्तराखंड के निवास का प्रमाण, बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र (यदि बच्चा पैदा हुआ है), बच्चे के गोद लेने का प्रमाणपत्र (यदि बच्चा गोद लिया गया), यदि व्यक्ति तलाकशुदा है तो तलाक के दस्तावेज, विवाह विच्छेद का प्रमाणपत्र, यदि पिछले संबंध की स्थिति विधवा है तो जीवनसाथी की मृत्यु का प्रमाणपत्र, यदि व्यक्ति के पिछले संबंध की स्थिति मृत लिव-इन पार्टनर है तो मृत महिला, पुरुष लिव-इन पार्टनर का मृत्यु प्रमाणपत्र, साझा घराने के स्वामित्व के लिए यूटिलिटी कंपनी का अंतिम बिजली बिल या पानी का बिल, किराये पर साझा किए गए घर के लिए किराया समझौते के साथ सबूत का कोई भी एक दस्तावेज, मकान मालिक से एनओसी।
इसी तरह लिव इन रिलेशनशिप खत्म करने के लिए तमाम कागजात जमा करने होंगे।