

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। (कमल जगाती)। जिला नैनीताल के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश कंवर अमनिन्दर सिंह की अदालत ने दहेज प्रताड़ना से हत्या के आरोप में अभियुक्त सुरेश चंद्र को धारा 304B (वैकल्पिक धारा 306) के तहत दोषमुक्त कर दिया।
अदालत ने अभियुक्त के खिलाफ लंबित बंध पत्र और जमानत दस्तावेजों को निरस्त कर दिया और जमानत पर आए अभियुक्त के जमानतियों को उनके दायित्व से मुक्त कर दिया।
अदालत ने अभियुक्तों से कहा कि वे धारा-437 क तहत दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का पालन करें। माल मुकदमा अगर कोई हो, तो उसे निर्धारित मियाद में अपील अथवा अपीलीय न्यायालय के निर्देशों के अनुसार निस्तारित किया जाएगा।
यह है मामला:
रिपोर्टकर्ता रमेश चंद्र ने तहरीर दी थी कि उनकी छोटी बहन भावना देवी उर्फ सरिता का विवाह 22 अप्रैल 2016 को सुरेश चंद्र पुत्र भग राम निवासी धमोला, कालाढूंगी से हुआ था। विवाह के शुरूआत के 2-3 वर्षों तक सब कुछ ठीक था, लेकिन बाद में सुरेश और उसके परिवार ने भावना को दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
सुरेश बात-बात पर भावना से कहता था कि उसके मायके वालों ने कुछ नहीं दिया, और उसे मारने-पीटने लगा। इसके अलावा, भावना के देवर द्वारा भी उसे प्रताड़ित किया जाता था।
विवाह के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया और भावना ने एक बार अपनी बड़ी बहन को फोन किया, जिसमें उसने कहा कि ससुराल वाले उसे मार डालेंगे और उसने मदद की अपील की।
इसके बाद, उसकी बड़ी बहन ने उसे मायके लाकर सुरक्षित किया। हालांकि, कुछ महीनों बाद भावना अपने पति सुरेश के साथ नैनीताल में रह रही थी, जहां भी सुरेश ने उसे फिर से प्रताड़ित किया।
एक दिन भावना ने अपनी बड़ी बहन को फिर से फोन किया, जिसमें उसने कहा कि वह मारपीट से परेशान है और उसे वहां से ले जाया जाए। अगले दिन वादी को यह सूचना मिली कि भावना ने आत्महत्या कर ली है। हालांकि, वादी को संदेह था कि भावना को मारा गया है।
विवेचना और अदालत की प्रक्रिया:
राजेश चंद्र की तहरीर के आधार पर सुरेश चंद्र और मृतका के देवर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। अभियुक्त सुरेश चंद्र को गिरफ्तार किया गया, घटनास्थल का निरीक्षण किया गया, अभियुक्त सुरेश चंद्र के खिलाफ धारा 304 B भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप पत्र दायर किया गया।
मामले को पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नैनीताल के पास भेजा गया, जिन्होंने अभियुक्त को धारा 207 के तहत नकल दी और मामला सत्र अदालत में सुपुर्द कर दिया। अभियोजन द्वारा 11 गवाहों के बयान दर्ज कराये गए।
बचाव पक्ष द्वारा मृतका के संबंध में कहा गया कि मृतका अभियुक्त के साथ संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती थी वह अभियुक्त से संयुक्त परिवार से अलग पक्का घर बनाने की जिद किया करती थी।
अभियुक्त द्वारा उसकी जिद पूरी न करने के कारण उसके द्वारा स्वयं पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली गई। आरोपी सुरेश चंद्र के खिलाफ कोई भी साक्ष्य धारा 304 बी आईपीसी तथा वैकल्पिक धारा 306 आईपीसी का साबित न होने के कारण माननीय न्यायालय द्वारा उसे दोषमुक्त कर दिया।
मृतका के देवर के खिलाफ भी कोई पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाए गए, इसलिए उन्हें आरोपित नहीं किया गया था। इस मामले की संपूर्ण पैरवी विद्वान अधिवक्ता पंकज कुलौरा द्वारा की गई।



