भीमताल, प्रेस 15 न्यूज। ये हवा उत्तराखंड में बीते कुछ समय से खूब चल रही है कि पहाड़ की जमीनों को दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान वालों ने साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर ठिकाने लगा दिया है। यानी भू कानून की धज्जियां उड़ाने वाले सिर्फ और सिर्फ प्रदेश के बाहरी लोग हैं।
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लेकिन आज जो सच इस खबर के जरिए आप जानेंगे तो पाएंगे कि पहाड़ को खोखला बाहर के लोग नहीं बल्कि पहाड़ी मूल के लोग ही कर रहे हैं। वो भी एक दो साल से नहीं बल्कि सालों साल से… पटवारी से लेकर तहसीलदार, विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन के जिम्मेदारों की मिलीभगत से पहाड़ को खोखला करने वालों का खेल बीते कुछ सालों से चरम पर है। यानी पहाड़ को खोखला करने के लिए बिल्डर माफिया तो यूं ही बदनाम हैं , असल गुनहगार तो सरकारी सिस्टम में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे वो जिम्मेदार हैं जो रिश्वत खाने में माहिर हैं।
यानी सरकारी विभागों के अधिकारियों और सत्ता में बैठे मठाधीशों को रिश्वत खिलाइए और पहाड़ में जो मर्जी कीजिए। ध्यान रहे जो अगर आपने किसी भी अधिकारी को उसके मन मुताबिक रिश्वत नहीं दी तो यह भी तय है वो अपनी पावर का इस्तेमाल कर गढ़े मुर्दे भी खोद देगा। और फिर मीडिया के जरिए वो खेल रचेगा जिससे आप उसे रिश्वत देने पर मजबूर हो जाएं।
आज कहानी उस कंस्ट्रक्शन कंपनी की जिसका नाम शिखर कंस्ट्रक्शन है। हालाकि इस कहानी में सामिया ग्रुप भी शामिल है लेकिन उसे दरकिनार करते हुए आज पूरा सरकारी अमला शिखर कंस्ट्रक्शन के पीछे पड़ा है। क्यों पड़ा है यह भी आप समझ ही गए होंगे।
पहाड़ को खोखला कर खुद को शिखर में पहुंचाने वाली कंपनी भले आज निशाने पर है लेकिन इस खेल में कई दूसरे भी शामिल हैं। इन कंस्ट्रक्शन कंपनी की कश्ती में भवाली, भीमताल से लेकर हल्द्वानी, देहरादून तक जिम्मेदार ठिकानों में “ईमानदार” छवि और पेशे का नकाब पहने लोग सवार हैं।
दरअसल कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की ओर से बताया गया कि उन्हें ईमेल के जरिए शिकायत मिली थी कि क्षेत्र में शिखर कंस्ट्रक्शन कंपनी की मनमानी चरम पर पहुंच गई है जिसके चलते पहाड़ तबाह हो रहा है।
सवाल यह भी उठ रहा है आज दिन तक पहाड़ की चिंता करने वाले और आयुक्त को ईमेल करने वाले ये लोग कहां सोए थे? क्या इस शिकायत के पीछे शिखर कंस्ट्रक्शन को बदनाम करने और मानसिक दबाव देने की सोची समझी प्लानिंग है? यह सवाल भी जांच का विषय है। क्योंकि शिखर कंस्ट्रक्शन एक दो साल से नहीं बल्कि कई सालों से भीमताल समेत पहाड़ों में दूसरी जगहों पर व्यावसायिक निर्माण कर रहा है।
फिलहाल शिकायत का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को कुमाऊं आयुक्त और मुख्यमंत्री सचिव के साथ साथ जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक रावत ने भीमताल क्षेत्र में शिखर कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया।
सामने आया कि शिखर कंस्ट्रक्शन की ओर से भीमताल क्षेत्र के डोब ल्वेशाल में (सनी लेक प्रोजेक्ट के नाम) से आवासीय कॉलोनी बनाई गई है। 15-16 लोगों ने आयुक्त को ई-मेल से शिकायत कर बताया था कि बिल्डर ने पार्क की जमीन बेच दी है जबकि जिला विकास प्राधिकरण की ओर से स्वीकृत नक्शे में पार्क दर्शाया गया है।
जांच में पता चला था कि सभी फेज में बने करीब 15 से अधिक पार्क को अवैध तरीकों से बेचा जा चुका है।
जिस पर आयुक्त ने खरीद फरोख्त पर रोक लगाने के निर्देश और नियमों का पालन नहीं करने वालों पर नियमानुसार आर्थिक दंड या चालानी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने नक्शे का बोर्ड लगाने और ठेकेदार का सत्यापन कराने के निर्देश दिए।
लोगों ने बताया कि नक़्शे के अनुसार पार्क की भूमि का नक़्शा पहले सिने कलाकार चंद्रचूड़ सिंह के नाम पर था जो अब शिवम जिंदल को दे दी गयी है।
शिखर कंस्ट्रक्शन के सनी लेक प्रोजेक्ट के फेस 1, 2 और 3 के दौरान कुमाऊं आयुक्त को कई खामियां मिली। जिस पर आयुक्त ने तहसीलदार, वन विभाग और प्राधिकरण के अधिकारियों को निरीक्षण कर और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
बताया कि प्राधिकरण से फेस 2 में 160 फ्लैट बन चुके हैं। लेकिन एसटीपी का प्रावधान नहीं है। साथ ही क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पहले चालानी कार्रवाई भी की गई थी। लेकिन फिर भी शिखर कंस्ट्रक्शन कंपनी की मनमानी नहीं थमी।
नक्शा देखने के दौरान आयुक्त ने कहा कि 65 मीटर से कम में निर्माण त्रुटि या नक्शा बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान पाया कि बिना अनुमति के अवैध तरीके से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है, जिस पर उन्होंने पटवारी को तीन दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट देने की बात कही।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में करीब 200 से अधिक बांज और अन्य पेड़ों को शिखर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने काट दिया है। जिस पर आयुक्त दीपक रावत ने वन विभाग के अधिकारियों को जांच के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने वन विभाग की भूमि में अवैध तरीके से रह रहे लोगों का नियमानुसार चालान करने के निर्देश दिए।
फिलहाल इस खबर के बाद उम्मीद थी कि शिखर कंस्ट्रक्शन की ओर से अपना पक्ष रखा जाएगा लेकिन उनकी तरफ से किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं हुआ। क्योंकि इस मामले में असल सच्चाई क्या है, वही बेहतर बता सकते हैं।