पंचायत चुनाव: कुर्सी की चाहत में भ्रामक प्रचार करने से बाज नहीं आ रहे नेता, खुली पोल

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। पंचायत चुनाव में जीत के इरादे से घर से निकले नेताजी ने ठाना है कि इस बार रास्ते की हर रुकावट को दूर कर देंगे। ऐसे में नेताजी और उनके समर्थक हर वो दांव आजमा रहे हैं जो आम वोटर के बीच भ्रामकता से भरपूर है।

हल्द्वानी में जिला पंचायत सदस्य पद की एक प्रत्याशी के खिलाफ भी विरोधियों ने कुछ ऐसा ही माहौल बनाया। कहा गया कि प्रत्याशी का नाम कभी शहरी तो कभी ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज होता आया है ऐसे में उसका नामांकन निरस्त होना चाहिए। लेकिन विरोधियों का पैंतरा फेल हो गया।

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उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव के अनुसार आयोग के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों पर वर्तमान पंचायत चुनावों में उम्मीदवार की पात्रता के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं।

विशेष रूप से यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी को लेकर विभिन्न अपात्रताएं लागू होती हैं। यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए गए हैं।

इस संबंध में जनसाधारण, संभावित उम्मीदवारों और मीडिया सहित सभी हितधारकों को सूचित एवं स्पष्ट किया जाता है कि उत्तराखण्ड में पंचायत चुनाव पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग स्वयं इस अधिनियम के प्रावधानों से निर्देशित है और अन्य सभी को भी इन्हीं प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए गए हैं, जो निर्देश हैं वे पूर्व से पंचायती राज अधिनियम में प्रविधानित हैं।

अधिनियम में किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचन हेतु मतदाता सूची में पंजीकरण, मताधिकार और निर्वाचित होने के अधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट रूप से वर्णित है:

मत देने और निर्वाचित होने का अधिकार: अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित है, वह ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा। इसी प्रकार के स्पष्ट प्रावधान क्षेत्र पंचायत के लिए धारा 54(3) और जिला पंचायत के लिए धारा 91(3) में दिए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, पंचायत चुनावों में किसी उम्मीदवार की निरर्हता (Disqualifications) से संबंधित प्रावधान केवल उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (ग्राम पंचायत के लिए), धारा 53 (क्षेत्र पंचायत के लिए), और धारा 90 (जिला पंचायत के लिए) में विस्तृत रूप से दिए गए हैं।

उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने अपील की है कि वे ऐसे निराधार प्रचार पर विश्वास न करें और केवल उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के आधिकारिक प्रावधानों तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में अधिनियम का अवलोकन करें अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं आयोग से तुरंत संपर्क करें।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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