हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। भले ही धामी सरकार ने निकाय चुनाव कराने को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हों और निकायों में प्रशासकों के कार्यकाल को तीन महीने के लिए विस्तार दे दिया हो लेकिन सरकार की राह अभी भी आसान नहीं दिख रही है।
हाईकोर्ट ने कार्यकाल खत्म होने के बावजूद नगर निकायों के चुनाव नहीं कराए जाने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब देना होगा।
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याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका में सचिव आरके सुधांशु व नितिन भदौरिया को पक्षकार बनाया है।
नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है।
पूर्व में राज्य सरकार ने दो बार कोर्ट में बयान देकर कहा था कि वह दो जून 2024 तक निकायों का चुनाव करा लेगी लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने न तो चुनाव कराए और ना ही कोर्ट के आदेश का पालन किया। यह एक संवैधानिक संकट की स्थिति है। भारत देश का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है।
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अगर किसी वजह से राज्य सरकार तय समय के भीतर चुनाव नहीं करा पाती है तो उस स्थिति में केवल छह महीने के लिए प्रशासकों को नियुक्त करके प्रशासनिक कार्य करा सकती है, लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रशासकों का कार्यकाल और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया जो माननीय हाईकोर्ट के आदेश, संविधान और राज्य सरकार के कोर्ट में दिए गए बयान के विरुद्ध है।
बताते चलें कि प्रदेश के निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर 2023 को समाप्त हो गया था। जिसके बाद धामी सरकार ने निकायों में छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिए।
इतना ही नहीं दो जून 2024 को प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया। ऐसे में राज्य सरकार की मंशा सितंबर या अक्टूबर में निकाय चुनाय कराने की है।
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वहीं, निकाय चुनाव में तैयारी कर रहे नेताओं में सरकार के इस फैसले से नाराजगी देखी जा रही है। लोकसभा चुनाव के संपन्न होने उम्मीद थी कि सरकार निकाय चुनाव कराने को लेकर गंभीरता दिखाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ओबीसी आरक्षण को लेकर भी निकायों में स्थिति स्पष्ट नहीं है। निकाय चुनाव से पहले सरकार को निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने का फैसला लेना है।
एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने निकायों में ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इसके तहत कई निकायों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण मिलेगा तो कहीं पांच प्रतिशत तक भी आ जाएगा।
अभी तक निकायों में 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का नियम रहा है। इसमें बदलाव के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा। जबकि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और संशोधन को लेकर प्रशासनिक अमले में बीते दिनों तेजी दिखाई गई थी।
ऐसे में सरकार की ओर से 2 जून को एक बार फिर निकायों में तैनात प्रस्तावकों के कार्यकाल को तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया। अब सबकी निगाहें हाइकोर्ट के निर्णय पर टिकी हैं।