

देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। राजधानी क्षेत्र में 900 बीघा जमीन पर कार्यवाही के दावों के बीच, देहरादून की रायपुर विधानसभा के अंतर्गत नालापानी के समीप खलंगा वन क्षेत्र में 40 बीघा से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण और निर्माण कार्य ने राज्य की भू-प्रबंधन व्यवस्था पर गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति के संस्थापक और उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के प्रदेश महासचिव मोहित डिमरी को जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाली संरक्षित वन भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कार्य चल रहा है, तो वे अपनी टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुँचे। उन्होंने न केवल निर्माण कार्य रुकवाया, बल्कि वहाँ लगे बड़े गेट को भी हटवा दिया।

स्थानीय जनता भी खुलकर इस अतिक्रमण के विरोध में सामने आई और मोर्चा के साथ विरोध दर्ज कराया।
मोहित डिमरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वन भूमि को भू-माफिया के हवाले सरकार की मिलीभगत से बेचा या कब्जाया जा रहा है, तो उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा चुप नहीं बैठेगा। दोषियों को जनता के सामने लाया जाएगा।
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ रातोंरात काट दिए गए, और फिर भी वन विभाग एवं सरकार मौन हैं। स्थानीय लोगों ने खुलासा किया कि इसमें स्थानीय विधायक और वन विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा का आरोप है कि कमजोर भू-कानूनों और राजनीतिक संरक्षण ने आज जंगल तक को लुटने की छूट दे दी है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद उप वन संरक्षक मौके पर पहुंचे और जांच का आश्वासन दिया। मोहित डिमरी ने मांग की कि पूरे क्षेत्र में पेड़ों की गिनती (Tree Census) की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को दोहराया न जा सके।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि चाहे वो भू-माफिया हो, भ्रष्ट अधिकारी हो या सत्ता पक्ष का कोई प्रभावशाली व्यक्ति उत्तराखंड के जंगल, जमीन और जल को लूटने वालों के विरुद्ध हर लड़ाई निर्णायक होगी, और उत्तराखंड में भू माफिया का इस तरह का कृत्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
