हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। इन दिनों उत्तराखंड के बहुमूल्य जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं, दुर्भाग्य है कि न तो वन विभाग और न ही सरकार इसके प्रति संवेदनशील है। हालाकि जंगलों की आग की खबरें मीडिया में छाने के बाद अब राज्य सरकार हरकत में आती दिख रही है।
बताते चलें कि आपके पसंदीदा डिजिटल न्यूज चैनल प्रेस 15 न्यूज ने कुछ दिन पहले ही नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक की बसगांव वन पंचायत के जंगल तीन दिन से आग की भेंट चढ़ने की खबर दिखाई थी। जिसका वीडियो ट्विटर पर वायरल हुआ तो चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट और सीएम के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने भी संज्ञान लिया।
लेकिन अफसोस अधिकारियों के संज्ञान लेने तक बसगांव वन पंचायत का बहुमूल्य जंगल का बड़ा हिस्सा आग की भेंट चढ़ गया। वन विभाग के अधिकारी एसी दफ्तरों में ही रह गए और बेशकीमती वन संपदा खाक हो गई। ऐसे में नैनीताल जिले में वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों की वनों की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता को आसानी से समझा जा सकता है।
इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने बयान जारी कर कहा कि उत्तराखण्ड के जंगलों की शुद्ध हवा व पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए पर्यटन के माध्यम से उत्तराखण्ड की आय व रोजगार से जोड़ उत्तराखण्ड को देश दुनिया में एक नई पहचान मिल सकती है मगर सरकार तो खनन और आबकारी से ही फुर्सत नहीं मिलना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
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उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के जंगल भीषण आग की चपेट में हैं मगर सरकार के पास जंगल की आग बुझाने के प्रबंधन के कोई भी इंतजाम नहीं हैं। प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौसम में उत्तराखण्ड के जंगल आग की वजह से तबाह हो रहे हैं जबकि सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है। महज खानापूर्ति और गुड वर्क दिखाने के लिए नोडल अधिकारी बनाकर खानापूर्ति की जा रही है।
उत्तराखण्ड कांग्रेस प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने कहा कि जंगल की आग से निपटने के लिए सरकार के पास कोई प्रबंधन नहीं है और ना ही जंगल की आग बुझाने के उपयुक्त उपकरण हैं।
बल्यूटिया ने कहा कि उत्तराखंड में 67 प्रतिशत जंगल हैं जो वैश्विक पर्यावरण के संतुलन के साथ- साथ उत्तराखण्ड के पर्यटन में भी अहम भूमिका निभाते हैं जिससे यहाँ के लोगो को रोजगार का भी लाभ होता है। ऐसे संवेदनशील विषय पर सरकार का कोई दृष्टिकोण नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।