
देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में शराब, चरस और स्मैक जैसे नशे युवा पीढ़ी को खोखला कर रहे हैं। मैदान से लेकर पहाड़ तक युवा तेजी से नशे के गर्त में धंस रहे हैं।
लम्बे समय से पहाड़ के वो परिवार जिनके परिवार का सदस्य किसी न किसी नशे के चक्कर में बर्बाद हो चला है, वो मांग कर रहा है कि जब गुजरात जैसे राज्यों में शराब बंदी हो सकती है तो देवभूमि उत्तराखंड में क्यों नहीं।
इस बीच आज राज्य की धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड की नई आबकारी नीति 2025 में धार्मिक स्थलों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। जनसंवेदनाओं को देखते हुए शराब की बिक्री पर और अधिक नियंत्रण किया जायेगा।
उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत लेने पर लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी MRP लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।
पिछले दो वर्षों में आबकारी राजस्व में राज्य में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹5,060 करोड़ के राजस्व लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹4,000 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले ₹4,038.69 करोड़ का राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹4,439 करोड़ का लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग ₹4,000 करोड़ की प्राप्ति हो चुकी है।
नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखण्ड के निवासियों को ही जारी किए जाएंगे।
पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी। आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है। स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। आबकारी नीति-2025 में जनसाधारण को मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनाने के विशेष अभियान चलाने का प्रावधान किया गया है। नई आबकारी नीति प्रदेश में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
