
देहरादून/बागेश्वर, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में इन दिनों जहां एक ओर शासन- प्रशासन और तमाम सरकारी विभाग आपदा राहत कार्यों में जुटे हैं तो वहीं समाज कल्याण विभाग में कुछ अधिकारी और कर्मचारी हर साल की तरह ट्रांसफर रुकवाने और अटैचमेंट के जुगत में लगे हुए हैं। साफ है कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू के आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
समाज कल्याण विभाग उत्तराखंड में बीते 10 जून को निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू के आदेश पर 30 कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश जारी हुए थे। लेकिन 13 जिलों से लेकर हल्द्वानी स्थित मुख्यालय तक स्थानांतरण आदेश को लागू कराने में विभाग लाचार दिखाई दे रहा है। इस खबर को भी “प्रेस 15 न्यूज” ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

सूत्रों के मुताबिक, ट्रांसफर आदेश के दो महीने से ज्यादा के वक्त के बाद भी कई जनपदों में कर्मचारी पुराने जगह पर ही “अंगद” वाला पैर जमाए बैठे हैं तो कहीं संबद्ध यानी अटैचमेंट होने के लिए देहरादून से लेकर हल्द्वानी स्थित मुख्यालय तक में जुगत भिड़ा रहे हैं।
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बताते चलें कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से उत्तराखंड के समाज और शोषित, वंचित तबके के कल्याण से जुड़ी अहम योजनाएं संचालित होती हैं। ऐसे में कुछ योजनाएं ऐसी भी हैं जिनमें संबंधित अधिकारियों के साथ साथ कर्मचारियों का भी खूब मन लगा रहता है। अब यह “अतिरिक्त” मन क्यों लगा रहता है, ये तो जगजाहिर ही है।
यही वजह है कि ट्रांसफर होने वाले अधिकारी कर्मचारियों का कुर्सी पर जमे रहने का मोह छोड़ना मुश्किल हो जाता है। जिसका बड़ा उदाहरण बीते सालों में हुआ छात्रवृत्ति घोटाला है, जिसके चलते कई कर्मचारी, अधिकारी सजा काट रहे हैं तो कुछ अब भी कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
बताते चलें कि अधिकतर जनपदों में 15 से 20 साल से कई अधिकारी कर्मचारी जमे हुए हैं। इस बार भी समाज कल्याण विभाग के निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू के ट्रांसफर आदेश के बाद पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी जिलों में सालों से जमे अधिकारी, कर्मचारियों के बीच हलचल बढ़ी।
एक पर्वतीय जिले में तो ट्रांसफर से भड़की कर्मचारी ने खूब हंगामा भी किया। इतना ही नहीं आरटीआई के जरिए विभागीय ट्रांसफर की पूरी कुंडली तक खंगाल डाली।
भड़के हुए कर्मचारी का आक्रोश था कि आखिर ट्रांसफर आदेश सबके लिए बराबर क्यों नहीं लागू होता? कुछ को नियमों का हवाला दिया जाता है तो कई गेटिंग सेटिंग में माहिर हर साल ट्रांसफर से बच जाते हैं और कुछ अटैचमेंट के ब्रह्मास्त्र से मनमाफिक दफ्तर और कुर्सी पा जाते हैं।
आलम यह है कि जनपदों में तो छोड़िए विभाग के हल्द्वानी स्थित मुख्यालय में भी समाज कल्याण निदेशक का ट्रांसफर आदेश हांफ रहा है। यहां भी आदेश को ताक में रखकर अधिकारी, कर्मचारी अपनी पुरानी कुर्सी में जमे हुए हैं।
ऐसे में कर्तव्यनिष्ठ विभागीय कार्मिकों में चर्चा है कि अगर शासन से पूर्व में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की तरह ट्रांसफर अटैचमेंट के मामले में भी एक जांच हो जाए तो कई जिम्मेदार दिक्कत में फंस सकते हैं।
अगली खबर में उन कर्मचारियों और अधिकारियों के नामों का भी जिक्र करेंगे, जिन्होंने विभाग के मुखिया यानि समाज कल्याण निदेशक के ट्रांसफर आदेश को ताक पर रखा। कौन कहां कब से काबिज है, और कैसे समाज कल्याण विभाग में उत्तराखंड लोकसेवकों के लिए बना वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 दम तोड़ रहा है, ये जानकारी भी साझा की जाएगी।
मामले में जब समाज कल्याण विभाग के निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपदा, वीसी और अन्य शासकीय कार्यों के चलते उन्हें हल्द्वानी की तुलना में देहरादून ज्यादा रहना पड़ रहा है। ट्रांसफर आदेश का पालन होना चाहिए। कुछ विशेष मामलों में विभागीय जरुरत के चलते कर्मचारियों को रोका जाता है।
