बड़ी खबर: धामी सरकार ने निकाय चुनाव तीन महीने के लिए खिसकाए, आदेश जारी

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। जिसकी आशंका थी वही हुआ। कुछ दिन पहले तक हाईकोर्ट में छह महीने के भीतर निकाय चुनाव सम्पन्न कराने का दम भरने वाली धामी सरकार अब अपने ही वादे से मुकर गई है।

इसके लिए धामी सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता को ढाल बनाया है।

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नतीजा यह है कि उत्तराखंड के नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में धामी सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है।

रविवार को इस संदर्भ में आदेश जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश में लोक सभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के कारण नगर निकायों की निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न होने में देरी हो रही है। इसके चलते प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने और नगर निकायों के बोर्ड का गठन, जो भी पहले हो तब तक के लिए विस्तारित किया गया है।

पिछले साल 2 दिसंबर से राज्य के सभी नगर निकायों में कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासक तैनात हो गए थे। एक्ट के हिसाब से यह प्रशासक दो जून 2024 यानी छह माह तक के लिए ही तैनात हो सकते हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार ने इतने दिनों तक माननीय हाईकोर्ट को क्यों गुमराह किया? क्या लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के बारे में सरकार को पहले से पता नहीं था? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब राज्य की जनता धामी सरकार से पूछ रही है।

यह है आदेश

बताते चलें कि हाईकोर्ट नैनीताल में नगर निकायों के चुनाव कराने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। पूर्व में निर्धारित समयावधि छह माह के भीतर नगर निकाय की चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

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हाईकोर्ट के आदेश 9 जनवरी 2024 के अनुसार, महाधिवक्ता ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी हो जाएगी और निकायों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल उत्तराखंड नगर पालिका अधिनियम, 1916 की धारा 10 ए (4) के तहत छह माह की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जाएगा।

महाधिवक्ता की ओर से स्थिति साफ करने के बाद मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं को निस्तारित कर दिया।

बताते चलें कि जसपुर निवासी मोहम्मद अनीस ने निकाय चुनाव कराने को लेकर और नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने निकायों में प्रशासक की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार के निर्णय को निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी।

उन्होंने कहा कि पहली दिसंबर 2023 को नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासकों की नियुक्ति संबंधी शासनादेश 30 नवंबर को जारी किया गया था। सरकार निकाय चुनाव कराने में टालमटोली कर रही है।

दरअसल, निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद दो दिसंबर से आगामी छह माह यानी दो जून 2024 तक इनमें प्रशासक तैनात हैं। जिलाधिकारियों के स्तर से भी नगर निकायों की जिम्मेदारियां देखी जा रही है। एडीएम स्तर तक के अधिकारी छोटे निकायों में प्रशासक की भूमिका में हैं।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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