उत्तराखंड: (बड़ी खबर) कब बनेगा सिंगटाली पुल? सड़क पर फूटा गुस्सा, उमड़ा जनसैलाब

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ऋषिकेश, प्रेस 15 न्यूज। कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर प्रस्तावित सिंगटाली मोटर पुल का निर्माण न होने से रविवार को क्षेत्रीय जनता का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा।

यहां लोगों ने कुछ समय के लिए नेशनल हाईवे बाधित कर सरकार की अनदेखी और उदासीनता के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया।

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में “सिंगटाली पुल के निर्माण के लिए” क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि, विभिन्न राजनीतिक दलों, समाजसेवियों, युवाओं और मातृशक्ति का जनसैलाब एकजुट हुआ।

इस दौरान लोगों ने गंगा में डुबकी लगाकर धरना स्थल पर हुंकार भरी। दिल्ली, चंडीगढ़, गुड़गांव एवं अन्य जगहों से भी बड़ी संख्या में मूल निवासियों ने पहुंचकर इस जनभावना में अपनी सहभागिता दी।

जिलाधिकारी से वार्ता के बाद मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी नरेंद्र नगर, देवेंद्र सिंह नेगी ने जनता को विश्वास दिलाया कि 15 दिन के भीतर सिंगटाली पुल के निर्माण से संबंधित ठोस निर्णय जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

समिति ने सरकार को स्पष्ट शब्दों में बताया कि चार धाम यात्रा प्रारंभ होने तक यदि सिंगटाली पुल के निर्माण की ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो क्षेत्रीय जनता चार धाम यात्रा को बाधित करने पर विवश होगी।

इस आंदोलन के संयोजक एवं मूल निवास भू कानून समिति के नरेंद्रनगर संयोजक विकास रयाल “कर्मयोगी” ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार की नींद सिंगटाली की पुकार से नहीं टूटी, तो चार धाम यात्रा भी सिंगटाली पुल की भेंट न चढ़ जाए, सरकार के पास अभी भी समय है ओर क्षेत्रीय जनता की मांग को नजरअंदाज न करे।

मूल निवास भू कानून समिती के संस्थापक संयोजक श्री मोहित डिमरी ने कहा कि सिंगटाली पुल का निर्माण अब टाला नहीं जा सकता। यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो चार धाम यात्रा जैसी महत्वपूर्ण यात्रा भी इस जनाक्रोश से अछूती नहीं रहेगी।

समिति के संयोजक लुशुन टोड़रिया ने कहा कि सिंगटाली पुल क्षेत्र के जीवन का सवाल है, यह सिर्फ एक विकास कार्य नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों की सांसें बचाने की जिद है। यदि आज क्षेत्रीय जनता शांत हैं, तो यह हमारी सभ्यता है, कमजोरी नहीं।

पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एस एस पांगती, उदय सिंह नेगी, विनोद बर्थवाल ने बताया कि यह लड़ाई पिछले 2 दशक से लड़ी जा रही है लेकिन अब मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के जुड़ने से अब यह लड़ाई निर्णायक मोड पर पहुंचेगी।

राजेश्वरी मैठाणी ने कहा सरकार को महिलाओं की पीड़ा को समझना पड़ेगा। बरसों से इस क्षेत्र की माताएं-बहनें कठिनाई झेल रही हैं। अब हमारी चुप्पी टूट चुकी है। सिंगटाली पुल के बिना क्षेत्र का विकास अधूरा रहेगा।

बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, प्रवक्ता हिमांशु रावत, संजय सिलस्वाल ने सरकार को चेतावनी दी और कहा कि सरकार के पास चार धाम यात्रा शुरू होने तक का समय है। यदि सिंगटाली पुल का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ नहीं किया गया तो आंदोलन और व्यापक होगा और इसकी चपेट में शासन और पर्यटन दोनों आ जाएंगे।

इस आंदोलन में दिनेश चंद मास्टर, बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एस एस पांगती, सिंगटाली पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी, मूल निवास भू कानून के केंद्रीय सचिव मनोज कोठियाल, गढ़वाल सभा दिल्ली के महासचिव पवन मैठाणी, उक्रांद के आशुतोष नेगी, आशीष नेगी, प्रमिला रावत, पूर्व सैनिक संगठन के सत्या कंडवाल, उषा डोभाल, शशि रावत,उषा जोशी, पुष्पा रावत, विनोद बर्थवाल, बॉबी रांगड़, विपिन नेगी, शांति प्रसाद थपलियाल, सुनील राणा, आशुतोष मैठाणी, पंकज मैठाणी, विजेंद्र जेठूडी, शिव शकर रयाल, के अलावा विभिन्न गांवों के ग्राम प्रधान शामिल थे।

बताते चलें कि कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने के लिए गंगा पर प्रस्तावित सिंगटाली मोटर पुल की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति की फाइल शासन में अटक गई है।

मोटर पुल का काम शुरू न होने से स्थानीय लोगों ने चारधाम यात्रा से पहले आंदोलन की चेतावनी दी है।2006 में कौडियाला-ब्यासघाट मोटर मार्ग की स्वीकृति के साथ ही सिंगटाली में गंगा पर करीब 150 मीटर का मोटर पुल भी स्वीकृत था। लेकिन सड़क निर्माण के दौरान अधिकांश बजट खर्च होने से मोटर पुल का निर्माण अधर में लटक गया था।

2019 में विश्व बैंक पौड़ी की ओर से सिंगटाली में मोटर पुल निर्माण के लिए मृदा परीक्षण का काम शुरू किया था। लेकिन सरकार ने मोटर पुल का निर्माण का काम रुकवा दिया था।

18 मई 2021 में जनदबाव के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शासनादेश जारी करवाया था। लोनिवि श्रीनगर गढ़वाल ने उसी स्थान पर पुल निर्माण के लिए डीपीआर तैयार की थी। यह डीपीआर 114 करोड़ ₹ की बनी थी। उक्त राशि को ज्यादा बताकर शासन ने किसी दूसरे स्थान का चयन कर डिजाइन और डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए थे।

2022 में लोनिवि ने सिंगटाली झूला पुल के ऊपर की साइट की जगह को चिह्नित किया था। मार्च 2025 में लोनिवि श्रीनगर गढ़वाल ने 58 करोड़ की डीपीआर को शासन को भेजी थी। लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी सिंगटाली मोटर पुल की फाइल शासन में अटकी हुई है।

सिंगटाली मोटर पुल के बनने से पौड़ी गढ़वाल जिले के सात विकासखंडों के एक हजार गांवों को लाभ मिलेगा। देहरादून से नैनीताल की कुल दूरी में करीब 45 किमी की कमी आएगी।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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