

देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। आज के सोशल मीडिया के दौर में खबरों- सूचनाओं की सत्यता और विश्वसनीयता पर अक्सर सवाल उठते हैं। फेक न्यूज से सस्ती लोकप्रियता और लाइक, कमेंट, शेयर पाने की होड़ में हर दूसरा सख्श शामिल है जिसके चलते पत्रकारिता जैसे जन सरोकारों वाले पेशे पर भी सवाल उठते हैं।
कल यानी 30 जून को हिंदी पत्रकारिता दिवस है। हर साल 30 मई का दिन भारत में हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1826 में 30 मई के दिन हिंदी का पहला अखबार प्रकाशित हुआ था। जिसका नाम था ‘उदन्त मार्तण्ड’। यह एक साप्ताहिक अखबार था।
हालांकि एक सच ये भी है कि समय बीतने के साथ अब इस दिन पत्रकारों और पत्रकारिता के हित में गोष्ठियों और सेमिनारों में बड़ी बड़ी बातें ही होती हैं।
अब असल खबर भी जानिए जिसके लिए हमने ये पूरी भूमिका तैयार की है। हिंदी पत्रकारिता दिवस से ठीक एक दिन पहले दैनिक समाचार पत्र ने भ्रामक समाचार प्रकाशित कर पत्रकारिता को सिर झुकाने पर मजबूर किया है। जिसके बाद महामहिम राज्यपाल के कार्यालय को स्पष्टीकरण देने पर मजबूर होना पड़ा है।
सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन ने बताया कि अमर उजाला द्वारा दिनांक 29 मई 2025 के अंक में यह प्रकाशित किया गया है कि “राजभवन में लटका अध्यादेश, पूरे दिन खाली रहीं 7478 ग्राम पंचायतें”, जो कि तथ्यों से परे और भ्रामक है।
स्पष्ट किया जाता है कि ग्राम पंचायतों से संबंधित अध्यादेश शासन के संबंधित विभाग द्वारा दिनांक 28 मई 2025 को ही राजभवन को प्राप्त हुआ। इससे पूर्व राजभवन को ऐसा कोई अध्यादेश प्राप्त नहीं हुआ था, अतः उसे लंबित रखने या विलंब करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
राजभवन द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।



