रामनगर/हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। सोचिए एक तरफ दीपावली की खुशियां बिखरी थी और दूसरी तरफ एक मां और बेटे की सांसों की डोर टूट गई। इतना ही बहु भी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है। इस हाल का अगर पहला कारण तलाशेंगे तो पाएंगे कि काश कार की रफ्तार कम होती तो ये हादसा टल सकता था।
शुक्रवार को उत्तराखंड में हर कोई दीपोत्सव की खुशियों में खोया था। इस बीच कालाढूंगी रोड पर अमलतास मोड़ के पास दो कारों की जबरदस्त भिडंत हो गई। हादसे में ऑल्टो कार में सवार मां-बेटे की सांसों की डोर टूट गई। जबकि उनकी बहू गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को रामनगर के बैलपड़ाव निवासी कमलेश मेहरा (40) पुत्र मोहन मेहरा अपनी मां भुवनी देवी (60) और पत्नी दीपा मेहरा (35) के साथ अपनी ससुराल हल्द्वानी के कमलुआगांजा आ रहे थे तभी अमलतास मोड़ में हल्द्वानी की तरफ से आ रही कार की इनकी ऑल्टो कार से भिडंत हो गई।
हादसे के बाद घायलों को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कमलेश मेहरा और भुवनी देवी को मृत घोषित कर दिया गया। गंभीर रूप से घायल दीपा मेहरा अस्पताल में भर्ती हैं। कमलेश अपने पीछे दो बच्चों को रोता बिलखता छोड़ गए हैं।
मुखानी थाना पुलिस की मानें तो प्रथम दृष्टया ऑल्टो कार चालक चालक की लापरवाही सामने आई है। ऑल्टो कार गलत दिशा में जाकर फॉक्स वैगन कार से भिड़ी है।
सवाल यही उठता है आखिर क्यों लोग कार या बाइक में बैठते ही ये भूल जा रहे हैं कि उनकी रफ्तार उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी। गाढ़ी का एक्सीलेटर दबाइए लेकिन इतना भी मत दबाइए कि वो आपको आपकी मंजिल के बजाय जिंदगी से दूर ले जाए और पीछे घरवाले जिंदगी भर का दर्द झेलते रह जाएं।
एक निवेदन हर उस मां बाप से भी जो अपने लाडले लाडलियों को 18 साल से पहले गाड़ी खरीदकर दिला देते हैं लेकिन ये उनके दिल के टुकड़े सड़क यातायात के नियमों की पालन कर रहे हैं या नही, ये निगरानी करना भूल जाते हैं।
क्या हम सड़क पर होते हादसों से कोई सबक नहीं ले सकते? क्या जरूरी है कि हादसा हमारे साथ ही हो और तब ही हम कुछ सबक लें।
सच ये भी है कि बैलपड़ाव के जिस परिवार के साथ आज ये हादसा हुआ है, पीछे दो मासूम बच्चों और पत्नी को जिंदगी भर का जख्म मिला है, ऐसे कई हादसे पहले भी सड़कों पर हुए हैं। लेकिन आज दिन तक मौत वाली रफ्तार सड़कों पर जारी है। क्योंकि बेलगाम रफ्तार से सबको आगे जो निकलना है…