देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। रक्षाबंधन का दिन जहां एक तरफ घरों में खुशियां बिखर रही थीं तो गढ़वाल के रिखणीखाल विकासखंड के गुठेरथा ग्राम पंचायत के तोक गांव कोटा में पांच साल के मासूम आदित्य को गुलदार घर के आंगन से उठा ले गया।
नन्हा आदित्य मां के साथ रक्षाबंधन पर नानी के घर आया था। जैसे ही परिजनों को पता चला तो कोहराम मच गया।
गुठेरथा समेत आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीण मासूम की तलाश में जंगल खंगाल रहे हैं। वहीं, रिखणीखाल के कानूनगो प्रीतम सिंह ने बताया कि घर से करीब डेढ़ किमी दूर झाड़ियों में बच्चे का एक पैर मिला है। अब उसके बचे होने की उम्मीद कम ही है। फिर भी तलाश जारी है।
ग्राम प्रधान मीनाक्षी देवी के अनुसार, कोटा गांव के निवासी भारत सिंह की बेटी अर्चना देवी की शादी विकासखंड के उनेरी गांव में हुई थी। रक्षाबंधन पर अर्चना सोमवार सुबह अपने पांच साल के बेटे को लेकर मायके आई थी। दिनभर परिवार ने पर्व की खुशियां मनाई।
देर शाम करीब सात बजे घर के पास घात लगाकर बैठे गुलदार ने बच्चे पर हमला कर दिया और मासूम को लेकर झाड़ियों में गायब हो गया। घटना के बाद क्षेत्र में दहशत बनी हुई है। देवियोखाल और गुठेरथा क्षेत्र में गुलदार के हमले की यह पहली घटना है।
सवाल यही है कि आखिर कब तक गुलदार के आतंक से पहाड़ के लोगों की खुशियां छिनती रहेंगी। यह कोई पहला वाकया नहीं है जब किसी मासूम को गुलदार ने अपना शिकार बनाया हो। हर बार हादसे के बाद ही वन विभाग और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचते हैं। आखिर क्यों वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आदमखोर गुलदार की भनक नहीं लगती? साफ है अधिकारी अपने एसी दफ्तरों से बाहर नहीं निकलते और फील्ड कर्मचारी किसी तरह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। कुल मिलाकर नुकसान उत्तराखंड के लोगों का हो रहा है।
क्या वन विभाग के अधिकारी मासूम आदित्य की जिंदगी वापस लौटा सकते हैं। आज कोटा गांव में भीड़ बनकर खड़ा प्रशासन ये वादा कर सकता है कि आगे फिर कोई जंगली जानवरों का शिकार नहीं बनेगा?
यही वजह है कि आज जानवरों का आतंक भी पहाड़ी मूल के लोगों को पहाड़ से पलायन करने को मजबूर कर रहा है। सत्ता और नौकरशाही को छद्म दिखावे के अलावा खाली होते गांवों से कोई वास्ता भी तो नहीं है।