UOU में आज: उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की प्रदर्शनी, एनटीए अध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार जोशी ने किया शुभारंभ

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में 20 वर्षों की प्रगति और 69वें स्वतंत्रता दिवस का दूसरा दिन सितार और राग की सुरम्य धुनों से शुरू हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ गोविंद बल्लभ पंत संग्रहालय, अल्मोड़ा द्वारा आयोजित उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पोस्टर प्रदर्शनी से हुआ, जिसका अवलोकन मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनटीए) के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार जोशी और विवि के कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी द्वारा कर अपने नायकों को याद किया।

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राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा एनटीए के अध्यक्ष व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. प्रदीप कुमार जोशी ने कहा कि छोटी-छोटी बातें, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं, वही हमें एक अच्छा इंसान बनाती हैं। विश्वविद्यालय हर कर्मचारी की मेहनत से बनता है और यहां कोई छोटा-बड़ा नहीं है। समाज के हर तबके के लिए सोचना प्रत्येक शिक्षार्थी और शोधार्थी का कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि शोध परियोजनाएं तभी सफल होती हैं जब वे समाज से जुड़ी हों। सरकार पर निर्भर रहने के बजाय समुदायों और व्यक्तियों को अपने आसपास की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए, क्योंकि अपना शहर और अपना विश्वविद्यालय कैसा होगा यह हमारी छोटी-छोटी सकारात्मक पहलों पर निर्भर करता है।

अपने शुरुआती संबोधन में विवि के आईटी एवं कंप्यूटर साइंस में प्रोफेसर व यूकॉस्ट के डायरेक्टर जनरल प्रो. दुर्गेश पंत ने विश्वविद्यालय की 20 वर्षों की यात्रा को विस्तार से रखते हुए कहा कि किराए के कमरों से शुरू हुआ यह संस्थान आज अपने विशाल भवनों में कार्य कर रहा है और प्रत्येक विद्याशाखा के लिए अलग भवन निर्मित हो रहे हैं।

विश्वविद्यालय को बी प्लस प्लस ग्रेड और 12(B) की मान्यता प्राप्त है। उन्होंने बताया कि यूओयू ने उन क्षेत्रों में भी प्रवेश दिलाया है जहां कोई अन्य विश्वविद्यालय नहीं पहुंच पाया। आज पारंपरिक विश्वविद्यालयों में छात्रों का नामांकन घट रहा है जबकि ओपन लर्निंग में बढ़ रहा है, क्योंकि भविष्य इसी का है।

तकनीकी क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की है प्रवेश से लेकर अधिकांश कार्य ऑनलाइन मोड पर हो रहे हैं। सीमांत और सुदूर क्षेत्रों की तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि नॉलेज कॉरिडोर बनने से विश्वविद्यालय को बड़ा लाभ होगा और पाठ्यक्रमों को एआई-एनेबल यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित बनाकर शिक्षार्थियों तक पहुंचाया जाएगा।

इससे छात्रों को अपनी गति और जरूरत के अनुसार पढ़ने की सुविधा मिलेगी, व्यक्तिगत अध्ययन योजना बन सकेगी, तुरंत प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन मिलेगा, और परीक्षाओं व असाइनमेंट का मूल्यांकन भी तेज़ व सटीक हो सकेगा।

विवि के कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि विश्वविद्यालय अब युवावस्था में प्रवेश कर चुका है और अपने प्रचार-प्रसार को सुदूर तक ले जाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेना होगा।

उन्होंने सुझाव दिया कि यदि विश्वविद्यालय का प्रत्येक सदस्य अपने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया समूहों में पाठ्यक्रमों की जानकारी साझा करे तो यह बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच सकेगा। शिक्षार्थियों को यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि प्रवेश कैसे लें, प्रवेश के बाद क्या होगा और डिग्री मिलने पर उनका भविष्य किस तरह बदलेगा।

कार्यक्रम के दौरान रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल एवं वनमाली सृजन संयुक्त अभियान द्वारा एक पोस्टर का विमोचन किया गया। विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड का भी शुभारंभ हुआ, जिसमें हिंदी विभाग की संकाय सदस्य उपस्थित रहीं।

दूसरे दिन के दूसरे सत्र में भारतीय वन अनुसंधान केंद्र, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. यशपाल सिंह ने कहा शिक्षा का काम हमें जगाना व सचेत करना है। शिक्षा में सबसे पहले अवधारणाएं स्पष्ट करनी होंगी. तभी उसे शिक्षा आनंददायी लगेगी। मानसखंड विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक प्रो.जीसीएस नेगी ने शोध समस्या पर बहुत विस्तार से बात रखी कहा कि सत्य की तह तक पहुंचना ही शोध का एकमात्र उद्देश्य है।

इस अवसर पर मंच पर प्रो. पी.डी. पंत, कार्यक्रम की संयोजक प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. एम.एम. जोशी, प्रो. गिरिजा प्रसाद पांडे, प्रो. एम.एम. जोशी, प्रो. राकेश चंद्र रयाल, डा. शशांक शुक्ला, डा. नागेन्द्र गंगोला समेत विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य और शोधार्थी मौजूद रहे।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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