उत्तराखंड के इस नेता-अफसर की साठगांठ से सैकड़ों हरे भरे पेड़ों पर चली आरी, Supreme Court ने खोली पोल, लगाई फटकार

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में नेताओं और अफसरों के भ्रष्ट गठबंधन की पोल आज खुल गई। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा में पाला बदलने में माहिर हरक सिंह रावत के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने राज्य में नेताओं और अफसरों की साठगांठ को बेपर्दा कर दिया है।

साल 2021 में हरक सिंह रावत के वन मंत्री रहते हुए कालागढ़ रेंज में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर किशन चंद ने मिलकर सारा खेल रचा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन दोनों ने खुद को ही कानून मान लिया था और नियमों की अवलेहना करते हुए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में पेड़ कटवा दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशन चंद पर संगीन आरोप होते हुए भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जबरन उन्हें डीएफओ नियुक्त करवाया था। कोर्ट ने कहा कि यह पूरा मामला नेता और नौकरशाहों की मिलीभगत का उदाहरण है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई पहले से जांच कर रही है। वह दूसरे लोगों की भूमिका की भी जांच करे और तीन महीने में स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपे। सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में टाइगर सफारी बनाने की भी मंजूरी दी है।

हरक सिंह रावत 2017 तक कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन 2017 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और चुनाव के बाद भाजपा सरकार में मंत्री भी बने। भाजपा से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत जनवरी 2022 में फिर से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गए थे। 2022 के विधानसभा चुनावों के ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें