हल्द्वानी में ये दो वाकए: लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में…

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है। मैं जानता हूं कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है। हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है, हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है। जो आज साहिब-ए-मसनद हैं कल नहीं होंगे, किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है। सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है…

इन पंक्तियों को रचने वाले शायर राहत इंदौरी साहब भले आज इस दुनिया में न हों लेकिन देश में अमन चैन के दुश्मनों के लिए उनकी गढ़ी ये पंक्तियां सदा सदा के लिए अमर हैं। इन पंक्तियों में चुनौती भी है और चुनौती बनकर टकराने की हिम्मत भी….

इन दिनों देश दुनिया में क्या चल रहा है इसकी जानकारी तो आपको न्यूज चैनल, अखबार, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म से मिल रही होगी लेकिन कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी में क्या चल रहा है, ये दो वाकयों से आप समझिए।

दरअसल, बीते हफ्ते भर में दो ऐसी घटनाएं घटी जिसमें शांत हल्द्वानी शहर हिंदू मुस्लिम के नाम पर तबाह होते होते बचा। पहली घटना, सिंधी चौक पर होलिका मैदान में भक्त प्रह्लाद की मूर्ति का टूटना और दूसरी घटना छड़ायल में मॉड्यूलर किचन कारोबारी नूर मोहम्मद के घर में तोड़फोड़ और वाहन फूंकने की।

हफ्ते भर पहले हल्द्वानी के सिंधी चौराहे के पास सबसे पुराने होलिका मैदान में लगी भक्त प्रह्लाद की मूर्ति खंडित हुई और जैसे ही फेसबुक के ज़रिए ये खबर हिंदूवादी संगठन के लोगों को लगी तो मानो धरती डोल गई। सोमवार रात को ही हिंदूवादी संगठन के लोगों ने मौके पर जमकर हंगामा किया।

इतना ही नहीं घटना का आरोप मुस्लिम समुदाय के लोगों पर लगाने में भी देरी नहीं की। ये मान लिया गया था कि फेसबुक वीडियो के माध्यम से जिस स्मार्टफोन वाले सज्जन ने इस बड़ी खबर से या यूं कहें शहर को अशांत करने के इरादे से शहर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया था, उसकी बात सौ आने सच है। आधी रात तक चले हंगामे को शांत कराने में हल्द्वानी पुलिस के पसीने छूट गए थे। आखिर सामने धर्म की ताकत जो थी।

धर्म के ठेकेदारों ने बुधवार सुबह तक गिरफ्तारी न होने पर पुलिस प्रशासन को फिर से आंदोलन की चेतावनी दी थी। बुधवार सुबह होलिका मैदान के बाहर हंगामे के बीच हनुमान चालीसा भी पढ़ी गई।

इस दौरान मुस्लिम धर्म के लोगों को कोसा गया। जिसे भीड़ में बोलने का मौका मिला उसी ने जमकर भड़ास निकाली। ये मान लिया गया था कि भक्त प्रह्लाद की मूर्ति तोड़ने वाला तो मुस्लिम ही निकलेगा क्योंकि हिंदू तो ऐसा पाप कर ही नहीं सकता।

बकायदा शहर कोतवाली में दोपहर में हनुमान चालीसा का पाठ होना था। हरमोनियम और बाकी बाजा और बिछाने को दरी भी पहुंच गई थी। लेकिन ऐन वक्त पर पुलिस ने सारे प्लान में पानी फेर दिया।

जैसे ही पुलिस ने भक्त प्रह्लाद की मूर्ति तोड़ने वाले आरोपी की पहचान बिहार के दरभंगा निवासी सोनू कुमार यादव के तौर पर की, न जाने कितनों के उस प्लान में पानी फिरा, जो चाहते थे कि काश भक्त प्रहलाद की मूर्ति तोड़ने वाला कोई मोहम्मद सलीम या सुलेमान निकल जाता।

कोतवाली में हनुमान चालीसा पढ़ने का इरादा पाले लोगों को भी आरोपी का नाम बिहार के दरभंगा निवासी सोनू कुमार यादव सुनकर अपना इरादा बदलना पड़ा। उनसे इतना भर न हुआ कि जब हनुमान चालीसा पढ़ने का सारा संगीतमय इंतजाम उन्होंने कर ही लिया था तो प्रभु राम के अनन्य भक्त बजरंगबली की स्तुति कर ही ली जाए।

लेकिन वो ये पुण्य कमाने का साहस नहीं जुटा पाए क्योंकि सामने आरोपी जो मन के मुताबिक नहीं था। हिंदू आरोपी के सारे गुनाह माफ और मुस्लिम के नाम पर कोहराम मचाने को तैयार मानो इस शहर में रहने और बसने का ठेका हिंदुओं ने लिया हो।

दरअसल, कुछ समय पिछले होलिका मैदान में गणेश चतुर्थी का आयोजन हुआ था। यहां गणेश मूर्ति की स्थापना के साथ साथ भव्य टेंट भी लगा था। कार्यक्रम समाप्ति के बाद जब मजदूर टेंट खोल रहे थे तो टेंट के टकराने से पिलर पर रखी मूर्ति जमीन पर गिर कर खंडित हो गई। मजदूर ने मूर्ति को एक किनारे पर रख दिया और मौके से चलता बना।

इधर, मूर्ति खंडित होने की खबर फेसबुक वीडियो के जरिए जैसे ही फैली तो रात तक हिंदूवादी संगठन से जुड़े लोग बड़ी संख्या में होलिका मैदान के बाहर जुट गए।

हंगामे के बीच देर रात मुस्लिम समुदाय के लोग भी भारी संख्या में सड़क पर उतर आए। दोनों समुदायों के आमने सामने आने से पुलिस-प्रशासन के हाथ पैर भी फूल गए थे। कई थानों, चौकियों से पुलिस बल मौके पर पहुंच गया।

सोचिए अगर, मुस्लिम समुदाय के लोग भी अपने ऊपर लग रहे बेवजह के आरोपों के बाद ये कसम खा लेते कि अब शहर को हिला कर रख देंगे तो क्या होता? सवाल उठ रहा है कि क्या इस शहर में हिंदू मुसलमान के अलावा कोई इंसान भी रहता है? अगर रहता है तो फिर क्यों उस आम इंसान की फिक्र किसी को क्यों नहीं होती?

अभी आठ महीने पहले ही हल्द्वानी शहर के माथे पर कर्फ्यू का कलंक लगा है। 48 घंटे से ज्यादा इंटरनेट बाधित रहा। लोग घरों में कैद रहे। वो तो सिर्फ बनभूलपुरा इलाके के असामाजिक तत्वों की करतूत थी जिसने पूरे शहर की छवि को देश दुनिया में खराब किया था। हालाकि तब यह भी कहा गया था कि इस नौबत के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी चूक हुई है। लेकिन पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए कौन? और सवाल उठाने वालों को जवाब भी दे कौन?

सोचिए अगर अपराधी का धर्म देखकर ही शहर का माहौल चलता रहेगा तो क्या यह एक बेहतर समाज की निशानी है? अपराधी अपराधी है, उसे सिर्फ उसी नजर से देखा जाना चाहिए। इस बात को मित्र पुलिस को भी समझने की जरूरत है।

पुलिस की हर संभव कोशिश होनी चाहिए कि अपराधी के प्रति ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए कि अपराध करने से पहले अपराधी हजार बार सोचे। लेकिन सच यह भी है कि कमजोर विवेचना और सबूतों के अभाव में अपराधी कई बार बच निकलते हैं। यही वजह है कि आमजन के भीतर पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल उठते रहते हैं।

इस मामले में कोतवाल राजेश कुमार यादव ने बताया कि बिहार के दरभंगा निवासी सोनू कुमार यादव हल्द्वानी में टेंट कारोबारी के वहां मजदूरी करता है। होली चौक से टेंट उतारने के दौरान सोनू से गलती से भक्त प्रह्लाद की मूर्ति टूट गई। सोनू ने अपनी गलती स्वीकारी जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया।

हैरानी की बात है कि जो पुलिस आम आदमी को उसकी जायज परेशानी पर एफआईआर लिखने के लिए चप्पलें घिसवा देती है उसी पुलिस के कोतवाली में तैनात एसएसआई ने बतौर वादी अज्ञात के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज करा दिया था। अब आरोपी सोनू की पहचान होने के बाद एफआर यानी फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस को बंद कर दिया गया है।

यहां यह भी बताते चलें कि हिंदू मुस्लिम के नाम पर हल्द्वानी शहर को अशांत करने की सोच रखने वाले इनमें से कई हिंदूवादियों के घर में आने वाला सुख और वैभव मुस्लिम समुदाय के लोगों के माध्यम या मदद से ही आता होगा। लेकिन फिर भी शहर को अशांत और बदनाम करने का पल ये नहीं चूकते।

खुद को हिंदूवादी कहने वाले बताएं जो अगर हल्द्वानी में मुसलमानों से इतनी ही असुरक्षा और खुन्नस है तो क्यों मुसलमान के साथ उनके व्यापारिक और दूसरे ताल्लुकात रखते हैं? खुद को सबसे बड़ा राम भक्त कहने वाले ये हिंदूवादी बताएं कि क्यों हल्द्वानी शहर की सबसे पुरानी और शहर के बीचोंबीच होने वाली अद्भुत रामलीला में साउंड सिस्टम और बैंड बाजे का इंतजाम मुसलमान से करवाया गया है?

29 सितंबर यानी शुक्रवार से शुरू हुई दिन की रामलीला का उन्होंने अब तक विरोध क्यों नहीं किया? आखिर उनके राम के दरबार में कोई मुसलमान साउंड सिस्टम और ग्रेट इंडिया बैंड कैसे बजा सकता है?

साफ है धर्म के ठेकेदारों की अपनी अपनी चॉइस है। जहां जहां बस चला वहां चलाया और जहां बस नहीं चला वहां शुतुरमुर्ग की तरह बैठे रहे। सोशल मीडिया का दौर है जितनी मर्जी भड़ास निकालिए।

जो काम पुलिस प्रशासन को करना चाहिए वो काम अब धर्म के ठेकेदार करने लगे हैं। ये सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।

हल्द्वानी में अपनी हिंदू हितेषी और हिंदू ठेकेदार वाली छवि जो बनानी है तो हिंदू मुसलमान तो करना ही पड़ेगा। फिर चाहे कितने ही सोनू कुमार यादव जैसे हिंदू उनकी शहर को तबाह और बदनाम करने वाली साजिश को फेल कर दें।

अब आप कहेंगे हिंदू मुसलमान के नाम पर अशांत करने का ये मामला अकेले हल्द्वानी शहर में थोड़े चल रहा है, ये तो पूरे देश में चल रहा है। फिर खामखां हल्द्वानी के जोशीले हिंदू धर्म के ठेकेदारों को दोष देना कहां तक ठीक है। धर्म के जो ठेकेदार हिंदुओं के नाम से चलते हैं वैसे ही मुस्लिम समुदाय में भी हैं। दोनों तरफ से चंद लोग ये माद्दा रखते हैं कि बिना जांचे परखे वो शहर को तबाह कर देंगे।

आज देश का शायद ही कोई कोना बचा हो जहां बीते कुछ वर्षों से हिंदू मुसलमान के नाम पर धर्म के ठेकेदारों की काली साजिश ने अपना काला रंग न छोड़ा हो। देशभर में कई बेकसूर हिंदू और मुस्लिम इस झगड़े में अपनी जान तक गवां चुके हैं लेकिन फिर भी धर्म के ठेकेदारों को सेहत में फर्क नहीं पड़ा। साफ करते चलें कि हिंदू मुस्लिम के ये ठेकेदार दोनों तरफ हैं लेकिन आज बात हिंदुओं के ठेकेदारों की हो रही है।

जो लोग देश के इस माहौल की सच्चाई समझते हैं वो इस बात को भी मानेंगे कि कहीं न कहीं हिंदू मुस्लिम के बीच लगाई जाने वाली ये आग सोची समझी साजिश का एक हिस्सा होती है जिसके जनक कोई और नहीं इस देश में खुद को जनप्रतिनिधि कहलाना पसंद करने वाले सफेदपोश नेता होते हैं।

फिर वो सत्ता के हों या विपक्ष के। यह सब जानते हुए कि देश की आज़ादी से लेकर विकास की तमाम कहानियों में हिंदू ही नहीं मुसलमान का भी बराबर का योगदान है, फिर भी वो मौके तलाशे जाते हैं जिन्हें हिंदू मुसलमान का रंग दिया जाए।

हल्द्वानी में भी दिनों दिन ऐसे लोगों की तादाद बढ़ रही है हो हिंदू मुसलमान के नाम पर धार्मिक भावनाएं भड़काकर शहर को अशांत करने पर आमादा हैं।

ये वो लोग होते हैं जिनके मुंह से कभी आपने उत्तराखंड के लिए मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून की बात नही सुनी होगी। कभी इन्हें सरकार पर जनसंख्या कानून लागू करने और अपराधियों के प्रति सख्त से सख्त कानून की पैरवी करते हुए आंदोलन करते भी आपने नहीं देखा होगा।

यानी देश की समस्याओं का असल कारण ढूंढने और उनके समाधान के प्रति इनकी कोई रुचि नहीं। इन्हें तो बस अपने आकाओं की माइंडवाश तकनीक से प्रेरित होकर शहर में हिंदू मुस्लिम करना है।

अब हल्द्वानी में बीते दिनों घटी दूसरी घटना भी जानिए जिसे हिंदू मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की गई।

मुखानी थाना क्षेत्र के छड़ायल स्थित देवगंगा विहार में नूर मोहम्मद नाम के शख्स का माड्यूलर किचन का प्रतिष्ठान है। कुछ साल पहले ही उसने यह घर और दुकान खरीदी थी। बताया जाता है कि दमुवाढूंगा निवासी एक युवती उसकी दुकान में काम करती थी। करीब छह महीने पहले युवती ने काम छोड़ दिया था।

बृहस्पतिवार को नूर मोहम्मद दमुवाढूंगा में युवती के घर गया था। शुक्रवार दोपहर आसपास के लोगों के माध्यम से इसकी जानकारी हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोगों को लगी तो वह दोपहर में देवगंगा विहार जा धमके।

जिसके बाद उन्होंने हंगामा करते हुए नूर मोहम्मद की दुकान पर तोड़फोड़ की और घर में खड़ी दो मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया। वहीं, दुकान का कांच भी पत्थर मारकर तोड़ दिया।

तीन घंटे तक मौके पर जमकर हंगामा हुआ। बकायदा नूर मोहम्मद के घर के सामने हनुमान चालीसा पढ़ी गई। इस बीच पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने।

बाद में सिटी मजिस्ट्रेट एपी बाजपेयी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने भी प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया। हंगामा थमता न देख सिटी मजिस्ट्रेट ने हिंदूवादी संगठनों के सूरमाओं की मांग पर नूर मोहम्मद की दुकान और घर को सील कर दिया।

मामले में पुलिस ने युवती से पूछताछ की है। उसने युवक के साथ अपनी पुरानी पहचान बताई है। इसमें युवती ने अभी तक कोई शिकायत नहीं दी है। यानी आप अभिभावकों से यह अपील नहीं करेंगे कि अपने बच्चों को सही परवरिश और संस्कार क्यों नहीं देते। अपने बेटों के साथ साथ बेटियों को भी ये बताएं कि अपना हर कदम अपने मां बाप और धर्म के राह पर चलकर करे।

कुल मिलाकर एक बार फिर शहर को अशांत करने का मौका खोजा गया। एसएसपी कह चुके हैं कि कोई भी संगठन अगर शहर का माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिसका असर भी दिखा।

पुलिस ने पुलिस ने नूर मोहम्मद की पत्नी की तहरीर पर शहर को अशांत करने की साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है।

छड़ायल में माड्यूलर किचन कारोबारी नूर मोहम्मद के घर में तोड़फोड़ और वाहन फूंकने के मामले में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री विपिन पांडे और विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री गिरीश पांडे समेत 200 अज्ञात लोगों पर आगजनी, तोड़फोड़ और बलवा की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पुलिस को दी तहरीर में रेहाना ने कहा कि उनके पति नूर मोहम्मद की देवगंगा विहार छड़ायल नायक गैस गोदाम रोड पर माड्यूलर किचन की दुकान है। 26 सितंबर को उसके पति अपनी दुकान पर काम करने वाली महिला के घर किसी काम से गए थे। वहां रहने वाले लोगों ने इस पर उनके साथ मारपीट की और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया।

इसके बाद विपिन पांडे ने सोशल मीडिया में पोस्ट डालकर उनके घर के सामने लोगों को हनुमान चालीसा पाठ के लिए बुलाया। 27 सितंबर को विपिन पांडे और गिरीश पांडे के नेतृत्व में दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच उनके घर और दुकान के बाहर 100-200 लोगों की भीड़ जुट गई।

भीड़ ने उनकी दुकान के शटर और अंदर शीशे का दरवाजा तोड़कर शोरूम का सामान तोड़ दिया। साथ ही घर के अंदर चहारदीवारी में रखीं तीन बाइकों में आग लगा दी। घर में भी आग लगाने की कोशिश की। पुलिस ने किसी तरह मामला शांत किया। इस दौरान विपिन पांडे, उसके साथियों ने धार्मिक नारे लगाकर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। भय के कारण वह अपने बच्चों के साथ घर नहीं जा पा रही हैं।

इधर, भाजयुमो के विपिन पांडे और विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री गिरीश पांडे पर मुकदमे से गुस्साए हिंदूवादी संगठनों ने सोमवार को कोतवाली में हंगामा किया। एसपी सिटी प्रकाश चंद्र के निष्पक्ष जांच के आश्वासन पर कार्यकर्ता कोतवाली से जाने को तैयार हुए।

सोचिए ये शांत और सौहार्द के लिए जाने जाने वाले हल्द्वानी की कैसी तस्वीर बनती जा रही है। जहां पुलिस प्रशासन की काहिली कहें या मजबूरियां, भीड़ तंत्र हावी हो रहा है। और धर्म से बेहतर भीड़ जुटाने का आसन माध्यम भी तो कोई नहीं है।

बस इतना भर कहिए कि हिंदू और मुस्लिम इंसान नहीं बल्कि पूरा का पूरा हिंदू और मुस्लिम समुदाय खतरे में है फिर देखिए भीड़ तंत्र का गुंडाराज… यानी इंसानी जान से बढ़कर, मानवता से बढ़कर कुछ लोगों के लिए धर्म की दुकान है। जब हल्द्वानी जैसे शहर का ये हाल है तो बाकी देश में कैसा होगा, आसानी से समझा जा सकता है।

काश! भीड़ तंत्र पर यकीन रखने वाले ये लोग कभी देश और प्रदेश की सत्ता में बैठे हुक्मरानों से भी देश और प्रदेश में आमजन के हालात बदलने के लिए भीड़ जुटाने की हिम्मत दिखा पाते?

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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