हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी प्राधिकरण ऑफिस में लंबे समय से तैनात जेई अंकित बोरा और शहर के कथित पत्रकार के बीच की साठगांठ का सोमवार को कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत के निरीक्षण के दौरान पर्दाफाश हो गया।
प्राधिकरण के जेई अंकित बोरा और कथित पत्रकार के चंगुल में फंसे मुखानी निवासी और वर्तमान में अमेरिका निवासी पीड़ित व्यक्ति ने कुमाऊं आयुक्त के सामने दलाली की पूरी कहानी ऐसे सुनाई कि एक बार को आयुक्त भी हैरान रह गए। हालांकि आयुक्त के कान में जैसे ही कथित पत्रकार का नाम आया तो उन्होंने कहा कि पहले भी दूसरे मामलों में इसी कथित पत्रकार का नाम सामने आया है।
पीड़ित व्यक्ति ने आयुक्त को बताया कि वह वर्तमान में अमेरिका में रहता है। 1981 में बने घर के रेनोवेशन के नाम पर उसे कथित पत्रकार और जेई ने मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पीड़ित ने लिखित शिकायती पत्र के जरिए कुमाऊं आयुक्त को पूरे मामले से अवगत कराया। पीड़ित ने बताया कि घर का लेंटर उठाने के लिए उसने एक व्यक्ति को करीब 2.50 लाख में ठेका भी दिया है। जिसके बाद आयुक्त ने मौके पर ही एक अधिकारी से उस ठेकेदार को फोन मिलाया।
ठेकेदार से पूछा कि हल्द्वानी में एक 10× 8 का लेंटर उठाना है, कितना पैसा लगेगा?
जवाब में ठेकेदार बोला कि 16 हजार लगेंगे। बातचीत में पता चला कि ठेकेदार बिना किसी तकनीकी डिग्री के ही घरों के लेंटर को उठाने का काम करता है। जिसके बाद आयुक्त ने तत्काल मौजूद अधिकारियों को उक्त ठेकेदार पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए। उन्होंने कहा कि मंडल और जिले में अगर व्यक्ति बिना तकनीकी डिग्री के लेंटर उठाने का काम करता पाया गया तो कार्रवाई तय है।
पूरे मामले में मंथन के बाद कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने मौके पर ही प्राधिकरण के जेई अंकित बोरा को तलब कर दिया। आयुक्त ने जेई अंकित बोरा को तीन दिन के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
आयुक्त ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जा जाएगा और इसकी गहन जांच की जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ताकि नजीर बन सके।
हैरानी की बात यह है जिस वक्त अमेरिका से आया पीड़ित व्यक्ति कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत के सामने अपने साथ हुए सितम की कहानी बयां कर रहा था उस वक्त भी कथित पत्रकार मौके पर ही मौजूद था। हालाकि जैसे ही उसके कान में आयुक्त की आवाज में उसका ही नाम गूंजा तो वह मौके से रफूचक्कर हो गया।
हालाकि भागते भागते कथित पत्रकार ने कुमाऊं आयुक्त के सामने अपने बचाव के लिए अपने जैसे ही एक कथित को भी बुला लिया। हालाकि कुमाऊं आयुक्त के गुस्से के सामने सबकी बोलती भी बंद ही रही।
अब आप कहेंगे कि अपने प्राधिकरण के जेई का नाम तो बता दिया तो कथित पत्रकार का नाम भी लगे हाथ बता दो। उसके नाम को क्यों छिपा रहे हो?
तो आपको बता दें कि कथित पत्रकार का नाम तो हम एक झटके में खोल दें लेकिन खोल कर करें क्या? कोई एक हो तो नाम खोलें यहां ऐसे कई हैं जो सरकारी विभागों में अधिकारियों और पीड़ितों के बीच सेटिंग के खेल में लगे हुए हैं।
जिनका डेरा अक्सर कोतवाली, तहसील, प्राधिकरण के दफ्तर, डीएम ऑफिस, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय और नगर निगम जैसे जनता से जुड़े कार्यालयों और विभागों के आसपास रहता है।
जहां कोई पीड़ित आया नहीं और उन्होंने उसे लपका नहीं। और अगर किसी दिन सरकारी दफ्तरों में कोई शिकार नहीं मिला तो अपनी गाड़ी शहर की सड़कों और गलियों में घुमा दी। पहले निर्माण कार्य का वीडियो बनाया और फिर संबंधित व्यक्ति को फोन कर नियमों और कानून का डर दिखाया। जो सामने वाला डर गया तो उससे अपनी कथित पत्रकारिता का नाम पर वसूली शुरू कर दी।
इतना ही नहीं कथित पत्रकारों के सताए सिर्फ सरकारी विभागों में आने वाले फरियादी ही नहीं हैं बल्कि शहर के कई दूसरे लोग भी हैं। पिछले दिनों एसडीएम ऑफिस के बगल में स्नेक्स रेस्टोरेंट के मालिक से भी वसूली मांगने के प्रकरण में एक कथित पत्रकार का नाम सामने आया था।
इससे पहले सचिवालय में नौकरी लगाने का झांसा देकर उत्तराखंड के सैकड़ों बेरोजगारों को चूना लगाने वाले नटवरलाल ठग रितेश पांडेय की मामले में भी हल्द्वानी के कथित पत्रकारों का नाम सामने आया था।
बड़ी बात यह है कि कथित पत्रकारों के इस खेल में लंबे समय से सरकारी विभागों में तैनात कुछ कर्मचारी और अफसर भी शामिल हैं।
यही वजह है कि हल्द्वानी में कथित पत्रकारों की फौज बेखौफ होकर आगे बढ़ रही है। लगातार इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है और पीड़ित आंसू बहाने के साथ सरकारी तंत्र और अपनी किस्मत को कोस रहे हैं।
अफसोस आज दिन तक सरकारी तंत्र में बैठे किसी जिम्मेदार ने न तो कोई कथित पत्रकार बेनकाब किया और न ही किसी बड़े अफसर की साठगांठ का ही खुलासा हुआ। अफसर आए गए और ये खेल चलता रहा। यही वजह है कि जिले के सरकारी दफ्तरों में दलाली का ये खेल धड़ल्ले से बदस्तूर जारी है।
बड़ी बात यह है कि कथित पत्रकारों की करतूत के चलते शहर में जन सरोकारों की पत्रकारिता भी बदनाम हो रही है। वहीं, ईमानदारी से अपनी कलम चलाकर जनमुद्दों को उठाने वाले पत्रकारों की छवि भी आमजन के बीच संदेहात्मक और धूमिल हो रही है।
अगर अब भी आपको कथित पत्रकार का नाम जानना ही है तो कुछ दिन इंतजार कीजिए। कुमाऊं आयुक्त ने इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की बात पीड़ित और मीडिया के सामने कही है। हो सकता है कुछ दिन में आयुक्त ही कथित पत्रकार के नाम का खुलासा कर दें।
इससे पहले कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत के प्राधिकरण कार्यालय पहुंचने पर पता चला कि प्राधिकरण कार्यालय के तीन कर्मचारी सुबह 11 बजे तक दफ्तर नहीं पहुंचे है जिनका स्पष्टीकरण लेने को कहा।
उन्होंने इस दौरान दफ्तर में व्यवसायिक और गैर व्यवसायिक निर्माण मानचित्रो की जानकारी ली। प्राधिकरण कार्यालय में 2016 से मानचित्र की फाइल का ऑनलाइन डाटा तैयार किया जा रहा है।
कार्यालय की करीब 10 हजार फाइलों को ऑनलाइन किया जाना हैं जिससे भविष्य के लिए सभी दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे। ऑनलाइन की धीमी प्रगति और लेटलतीफी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सचिव प्राधिकरण विजयनाथ शुक्ल को कार्य में तेजी लाने के साथ ही मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
कहा कि सुनिश्चित किया जाए कि हफ्ते में एक दिन कार्मिक को छुट्टी मिले लेकिन बाकी दिन सभी कार्मिक अपना कार्य करें। साथ ही जिस एजेंसी को यह कार्य दिया गया है वह कॉन्ट्रैक्ट के अनुरूप कार्मिक उपलब्ध कराए जिससे समय पर कार्य पूरा हो सके।
उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि व्यवसायिक और गैर व्यवसायिक मामले एक साथ संचालित हो रहे थे। उन्होंने कहा कि दोनों मामलों का लेखा-जोखा पृथक होना चाहिए तथा वर्षवार फाइलों का लेखा-जोखा ना होने पर उन्होंने वर्षावार फाइलों का लेखा-जोखा तैयार कराने के निर्देश दिये ताकि वरीयता के आधार पर फाइलों का निस्तारण हो सके।
उन्होंने कहा कि लोगों को नक्शों से सम्बंधित कार्यों में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए और फाइलों का तत्काल निस्तारण होना चाहिए। कहा कि बिना अनुमति व्यवसायिक निर्माण कही भी पाया जाता है तो सम्बन्धित के खिलाफ नोटिस के साथ ही चालान की कार्यवाही की जाए।