
नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखण्ड उच्च न्यायलय ने उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन में हुए करोडों के घोटाले और अनियमितताओं संबंधी याचिका में लंबी सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज किया।
मामले के अनुसार, बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र भंडारी ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर कहा कि वर्ष2006 में उत्तराखण्ड क्रिकेट बोर्ड का गठन हुआ था। जिसको वर्ष2019 में बी.सी.सी.आई.से मान्यता मिली। तभी से बी.सी.सी.आई.इसका संचालन कर फंड देता आया है।

वर्ष 2019 से अब तक बी.सी.सी.आई.ने 22 करोड़ रुपये से अधिक फंड बोर्ड को दे दिया है, लेकिन उस फंड से न तो खिलाड़ियों को सुविधाए दी गई और न ही खेल में उपयोग किया गया। जो भी सदस्य बोर्ड में रहे उस फंड का उपयोग उनके द्वारा अपने निजी हित में ही किया गया।
खेल के नाम पर उन्होंने खिलाड़ियों का पेट केले और पानी से भर दिया। अब होने वाले उत्तराखण्ड क्रिकेट प्रीमियर लीग का ठेका एक ही कम्पनी के मालिक को दिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है। एक आदमी एक ही टेंडर डाल सकता है और इससे जो दो करोड़ रुपये बोर्ड को आने थे, उसे भी बोर्ड के सदस्यों ने माफ कर दिया।
यही नहीं, मैच के दौरान फ्रेंचाइजी कम्पनियां जो अपने उत्पादों का विज्ञापन करने का पैसा देते हैं, उसे भी माफ कर दिया गया। याचिका में न्यायालय से प्राथर्ना की गई है कि इस पूरे मामले की जाँच कराई जाय। ये भी आरोप लगाया कि जो प्रीमियर लीग कराने का टेंडर एक कम्पनी को दिया गया, उसे भी सावर्जनिक किया जाए क्योंकि आज तक उसे सार्वजनिक नही किया गया है।
(नैनीताल से वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ✍️)

