
देहरादून/हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कहते हैं अंधेरगर्दी पर कितना भी पर्दा डाल लो, एक न एक दिन, कभी न कभी पर्दा जरूर उठता है। फिर चाहे सामने कितना बड़ा तुर्रम और जुगाड़बाज ही क्यों न हो। कोई लोकतंत्र की न्याय व्यवस्था से निपटता है तो कोई उस ऊपर वाले की अदृश्य लाठी से…लेकिन निपटता जरूर है।
अब हमें यह सब लिखने को मजबूर करने वाली वजह भी जानिए। दरअसल, उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग में स्थानान्तरण अधिनियम 2017 और अन्य संगत शासनादेशों के प्रावधानों के विपरीत अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर, अटैचमेंट और म्यूचुअल का खेल जोरों पर चल रहा था।
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अधिकारी – कर्मचारी सालों से एक ही दफ्तर में टिके रहने के लिए साहब को मनमाफिक “दक्षिणा” देने को तैयार जो थे। और इन सबके बीच उत्तराखंड लोकसेवकों के लिए बना वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 का खुलेआम मखौल उड़ रहा था।
“प्रेस 15 न्यूज” ने माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जुड़े और छह छह राज्यमंत्रियों वाले इस महत्वपूर्ण विभाग में हो रहे गड़बड़झाले की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस उम्मीद में कि व्यवस्था सुधरे।
लेकिन कहते हैं न हर विभाग में कम ही सही कुछ ऐसे भी अफसर होते हैं जो ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। “प्रेस 15 न्यूज” की खबर का विभाग के सचिव डॉ. श्रीधर बाबू ने त्वरित संज्ञान लिया। जांच हुई, “प्रेस 15 न्यूज” की खबर में लिखी एक- एक बात सच निकली।
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आज 29 अक्टूबर को उत्तराखंड शासन में संयुक्त सचिव धीरेन्द्र कुमार सिंह ने समाज कल्याण निदेशक डॉ. संदीप तिवारी को पत्र लिखकर स्थानान्तरण अधिनियम 2017 एवं शासनादेशों के प्रावधानों के विपरीत विगत दो माह में किये गये सभी ट्रांसफर/अटैचमेंट को तत्काल निरस्त कर की गई कार्रवाई से शासन को अवगत कराने को कहा है।
“माया मिली न राम, ठन ठन गोपाल” जैसी हालत
बुधवार 29 अक्टूबर को जैसे ही ट्रांसफर/अटैचमेंट के खेल पर रोक वाला संयुक्त सचिव धीरेन्द्र कुमार सिंह का यह पत्र समाज कल्याण निदेशालय से होते हुए जिलों में पहुंचा तो मानो तिकड़मबाजों को 440 बोल्ट का झटका लगा। इतने महीनों से लगाई जुगाड़बाजी धरी की धरी रह गई। ठीक “माया मिली न राम, ठन ठन गोपाल” जैसी हालत। हालाकि उनके मुरझाए चेहरों को देख सालों से कुर्सी में जमे अंगद भी सामने आए और उन्होंने हताश अंगदों को All is Well का भरोसा दिया है।
तत्कालीन निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू के कार्यकाल में हुआ “खेल”
समाज कल्याण विभाग में बीते 10 जून 2025 को तत्कालीन निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू ने करीब 30 अधिकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण के आदेश जारी किए थे। लेकिन लंबे समय तक किसी न किसी वजह के सहारे एक भी अधिकारी कर्मचारी नहीं हिला।
लेकिन “प्रेस 15 न्यूज” की खबर के बाद ट्रांसफर आदेश में हलचल हुई और कुछ कार्मिक हिले भी। लेकिन खेल करने में माहिर खिलाड़ी कहां पीछे रहते। और गुपचुप तरीके से अटैचमेंट और म्यूचुअल का खेल चल पड़ा।
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इतना ही नहीं इस दौड़ में ट्रांसफर लिस्ट से इतर कई और कार्मिक भी शामिल हुए। कोई निदेशालय में बैठे किसी बड़े अंगद का करीबी था तो कोई सालों से जमे किसी अंगद का खास यार। सबने निदेशक से मधुर संपर्क साधकर मनमाफिक तैनाती पाई।
इस बीच 12 अक्टूबर 2025 को शासन ने चंद्र सिंह धर्मशक्तू को निदेशक, समाज कल्याण निदेशालय की जिम्मेदारी से हटाते हुए निदेशक मत्स्य विभाग बनाया।
लेकिन जाते जाते भी निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू बड़ा दिल दिखा गए। अब यह बड़ा दिल क्यों दिखा, यह किसी से नहीं छुपा।
ट्रांसफर से महज दो दिन पूर्व 10 अक्टूबर को भी निदेशक धर्मशक्तू शासकीय हित और पारस्परिक स्थानान्तरण जैसे “तोड़” वाले शब्दों के साथ एक बार फिर वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 की हवा निकालने से नहीं चुके।
जो कहा वो कर दिखाया “सैल्यूट टू डॉ. श्रीधर”
मामले में जब “प्रेस 15 न्यूज” ने विभाग के सचिव डॉ. श्रीधर बाबू से नये निदेशक के आने पूर्व हुए इन गुपचुप स्थानांतरण के बारे में पक्ष जाना तो उन्होंने दोटूक जवाब देते हुए बस इतना कहा था कि All Will Be reversed. और यह उन्होंने करके भी दिखा दिया। वाकई उत्तराखंड को ऐसे ही अफसरों की जरूरत है जो माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की नीति को सफल बनाते हैं।
संयुक्त सचिव धीरेन्द्र कुमार सिंह ने समाज कल्याण निदेशक को भेजा पत्र
शासन में संयुक्त सचिव धीरेन्द्र कुमार सिंह ने डॉ. संदीप तिवारी, निदेशक समाज कल्याण निदेशालय हल्द्वानी को लिखे पत्र में कहा है कि अवगत कराना है कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा उत्तराखण्ड लोकसेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण विधेयक-2017 एवं इसी प्रकार कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के शासनादेश संख्या-1155 दिनांक 28.06.2007 व शासनादेश संख्या-187 दिनांक 08.12.2014 के माध्यम से विभागों में कार्मिकों के सम्बद्धीकरण को समाप्त किये जाने सम्बन्धी आदेश निर्गत किये गये हैं।
शासन के संज्ञान में आया है कि समाज कल्याण निदेशालय स्तर से उक्त अधिनियम में उल्लिखित नियमों के विपरीत कतिपय स्थानान्तरण तथा सम्बद्धीकरण किये गये हैं।
अतः शासन स्तर पर सम्यक विचारोपरान्त मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि उक्त अधिनियम एवं शासनादेशों के प्रावधानों के विपरीत विगत दो माह में किये गये समस्त स्थानान्तरणों/ सम्बद्धीकरण को तत्काल निरस्त करते हुए कृत कार्यवाही की सूचना से शासन को अवगत कराने का कष्ट करें।









