
हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। नैनीताल जिले की पुलिस और उसकी कार्यशैली लगातार सवालों के घेरे में बनी हुई है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि जो नैनीताल पुलिस आमतौर पर चरस से लेकर देसी शराब के पाउच पकड़ने में लंबा चौड़ा प्रेस नोट जारी करती है।
इतना ही नहीं इन मामलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में भी देर नहीं लगाती, वही नैनीताल पुलिस डीजीपी दीपम सेठ के आदेश पर हुई कार्रवाई को मीडिया से साझा करना जरूरी नहीं समझती।

दरअसल, बीते 30 अगस्त को राज्य के पुलिस मुखिया डीजीपी दीपम सेठ नैनीताल जिले की कानून व्यवस्था को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े थे।
इस बैठक में डीजीपी बारी बारी से सभी थानाध्यक्षों से फीडबैक ले रहे थे। इसी क्रम में जब चोरगलिया थानाध्यक्ष राजेश जोशी की बारी आई तो पिछले वर्ष की एक लंबित जांच और उससे जुड़े साक्ष्य संकलन के मामले में कोताही देख डीजीपी नाराज हो गए। ठीक वैसे ही जैसा इन दिनों नैनीताल जिला पंचायत चुनाव की सुनवाई के दौरान माननीय चीफ जस्टिस जिले के एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा को देखकर हो रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक खबर तो यहां तक है कि डीजीपी दीपम सेठ ने तत्काल चोरगलिया थानाध्यक्ष राजेश जोशी को सस्पेंड करने के आदेश दे डाला। हालाकि इस बात की पुष्टि तो जिले के एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ही कर सकते हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि एसएसपी मीणा से पुष्टि हो तो हो कैसे? क्योंकि वो आमतौर पर हर फोन तो रिसीव करते नहीं। इसलिए हमने भी उन्हें फोन करना छोड़ दिया है। वैसे भी हल्द्वानी में मीडिया को बाइट देने के लिए उन्होंने अपने हिसाब से बाकायदा दिन, समय और पुलिस अधिकारी निर्धारित किया हुआ है।
खैर, पक्की खबर यह है कि डीजीपी के निर्देश के बाद 31 अगस्त को चोरगलिया थानाध्यक्ष राजेश जोशी को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया गया है। हालाकि अभी भी इस कार्रवाई का प्रेस नोट आने का इंतजार है।
ऐसे में फिर वही सवाल उठ रहा है कि हर छोटे बड़े अपराध के मामले में गुड वर्क को प्रचारित और प्रसारित करने वाली नैनीताल पुलिस ने चोरगलिया थानाध्यक्ष पर हुई कार्रवाई को घंटों बाद भी सार्वजनिक क्यों नहीं किया? वो भी तब जब कार्रवाई सूबे के डीजीपी दीपम सेठ के आदेश से जुड़ी हो।
बड़ा सवाल यही है कि आखिर नैनीताल पुलिस जनहित से जुड़ी अहम सूचनाएं मीडिया से दूर क्यों रखना चाहती है? आखिर चोरगलिया थानाध्यक्ष को डीजीपी से मिली फटकार और कार्रवाई को आम जनता को क्यों नहीं जानना चाहिए? ऐसे तमाम सवाल हैं जो लगातार नैनीताल पुलिस की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
बताते चलें कि नैनीताल जिला पंचायत चुनाव के दिन हुए अपहरण कांड की सुनवाई इन दिनों लगातार माननीय हाईकोर्ट में चल रही है। मामले में नैनीताल जिले की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है। जिसे लेकर राज्य के पुलिस मुखिया डीजीपी दीपम सेठ तक को माननीय हाईकोर्ट के समक्ष पेश होना पड़ा था। ऐसे में पूरे राज्य की नजर नैनीताल जिले के पुलिस प्रशासन पर टिकी हुई है और नैनीताल पुलिस है कि अपने सुरूर में मगन है।
