तराई केंद्रीय वन प्रभाग: हल्द्वानी में फिर चली हरियाली में आरी, तस्करों से किसकी गहरी यारी ?

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। “जंगल में मोर नाचा किसने देखा”…सालों से चली आ रही ये कहावत किसने बनाई होगी, आज हम आपको इस खबर से बताने की कोशिश करेंगे। आप कहेंगे आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। दरअसल, तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के हल्द्वानी रेंज में तैनात कुछ जिम्मेदारों की तस्करों से साठगांठ वाली ड्यूटी ने यह खबर लिखने को मजबूर किया है।

तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के जिम्मेदारों के पुराने रिकॉर्ड से तो आप वाकिफ ही होंगे, अब इनकी नाक के नीचे हुआ ताजा कांड भी जान लीजिए।

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11 और 12 अक्टूबर 2025 की रात रामपुर रोड बेलबाबा मंदिर के पीछे स्थित जंगल में करीब 10 खैर और इतने ही सागौन के पेड़ काटे जाने की चर्चा है। हालाकि मामले की जांच कर रहे वन अधिकारी के मुताबिक, केवल खैर के छह पेड़ काटे गए हैं। मामले में फरार चल रहे आरोपी तस्कर महेंद्र और जगजीत की तलाश जारी है।

“प्रेस 15 न्यूज” संवाददाता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सबसे पहले डीएफओ उमेश चंद्र तिवारी को फोन मिलाया। घंटी गई, काल उठा और जवाब आया कि अभी मीटिंग में हूं और फोन कट। इसके बाद रेंज की एसडीओ मनिंदर कौर को फोन मिलाया गया। लेकिन फोन रिसीव तक नहीं हुआ। आखिर में रेंजर (आरओ) ललित जोशी से संपर्क साधा गया। उन्होंने फोन रिसीव किया और पूरे मामले और विभागीय कार्रवाई की जानकारी दी।

रेंजर ललित जोशी ने बताया कि 20 नहीं केवल छह खैर के पेड़ काटे गए हैं। मामले में आरोपी तस्कर महेंद्र और जगजीत की तलाश जारी है। आरोपियों की ट्रॉली वन विभाग ने पकड़ी है। रेंजर में कहा कि प्रयास रहेगा कि तस्करों को सख्त से सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी हिमाकत न कर सकें।

इधर, वन महकमे में छोटे से बड़े कर्मचारी अधिकारी में इस मामले में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि तस्करों को रेंज के ही एक अधिकारी का “विजयी भवः” का “सेटिंग” वाला आशीर्वाद मिला हुआ है। और रिश्ता भी नजदीक का ही है। यही वजह है कि हरे पेड़ों पर आरी चलाकर दोनों तस्कर आसानी से फरार भी हो गए।

साक्ष्यों के साथ “प्रेस 15 न्यूज” उस अधिकारी को भी बेनकाब करेगा जिसकी शह और इशारे पर तराई  केंद्रीय वन प्रभाग में पेड़ों की तस्करी आम हो चली है।

कहा जा रहा है कि इस बार खैर के साथ साथ सागौन के पेड़ों को भी ठिकाने लगाया गया है। हालाकि रेंजर ललित जोशी साफ कह रहे हैं कि सिर्फ खैर के छह पेड़ कटे हैं।

अब शायद आपको यानी सुधि पाठकों को कुछ कुछ समझ आया होगा कि “जंगल में मोर नाचा किसने देखा”, वाली कहावत आखिर किसने और क्यों बनाई होगी।

फिलहाल चर्चा है कि इस पूरे में मामले में भी हर बार की तरह जिम्मेदार अफसरों को बचाने और छोटे पद पर तैनात कर्मचारी पर गाज गिराने की अंदरखाने तैयारी चल रही है।

हालाकि रेंजर ललित जोशी के इरादों की गहराई पर भरोसा करें तो इस बार तस्करों को बचना मुश्किल है फिर चाहे उनका कितना ही तगड़ा कनेक्शन क्यों न हो।

बता दें कि कुछ महीने पहले ही तराई केंद्रीय वन प्रभाग की हल्द्वानी रेंज में ही 80 से ज्यादा खैर के पेड़ कटान के मामले में फॉरेस्टर और डिप्टी रेंजर को निलंबित किया गया था। मामले में फॉरेस्ट गार्ड को निलंबित जबकि रेंजर को डीएफओ कार्यालय से अटैच कर दिया गया। 13 जुलाई से करीब तीन हफ्ते तक जंगल में खैर के कटे पेड़ों को गिनने का काम चलता रहा।

हल्द्वानी रेंज के मोटाहल्दू क्षेत्र के जंगलों में लंबे समय से तस्कर खैर के पेड़ काट रहे थे। धीरे-धीरे 80 से अधिक पेड़ काटकर ठिकाने लगा दिए गए। इतनी अधिक संख्या में पेड़ कटान से वन विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक हड़कंप मचा था।

पहले मामले में लीपापोती करते हुए फॉरेस्ट गार्ड उमेश को निलंबित कर दिया गया था। बाद में जब रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड के ऑडियो वायरल हुए तो रेंजर को भी डीएफओ कार्यालय से अटैच कर दिया गया।

मामले को लेकर एसडीओ मनिंदर कौर के जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद रेंज के एक फॉरेस्टर और डिप्टी रेंजर को  निलंबित किया गया था।

हालाकि इस कांड के बाद भी तराई केंद्रीय वन प्रभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया। और “जंगल में मोर नाचा किसने देखा” वाली कहावत आज भी बदस्तर जारी है। वन महकमे के जिम्मेदारों की नाक के नीचे लगातार तस्करों के हाथों कट रहे पेड़ साफ बता रहे हैं कि ये गठजोड़ गहरा है।

अब देखना होगा कि विभागीय स्तर पर पेड़ों के अवैध कटान के इस मामले में फरार तस्करों की गिरफ्तारी होती भी है या नहीं। या हर बार की तरह इस मामले को भी दबा दिया जाता है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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