जसपुर, प्रेस 15 न्यूज। जो कहीं मुमकिन नहीं वो उत्तराखंड में सरकारी विभागों में आसानी से हो जाता है। अब शिक्षा विभाग को ही ले लीजिए, एक व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के सहारे एक दो नहीं पूरे 17 साल तक सहायक अध्यापक की नौकरी करता रहा, हर महीने के हिसाब से लाखों करोड़ों तनख्वाह के तौर पर चट गया लेकिन विभाग के अधिकारियों को खबर ही नहीं लगी।
अब जाकर राजकीय प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी कर रहे शिक्षक को जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा) ने बर्खास्त किया है।
जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा हरेंद्र कुमार मिश्र ने अपने आदेश में कहा है कि हरगोविंद सिंह की सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक स्कूल रामजीवनपुर में मृतक आश्रित श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति सितंबर वर्ष 2000 में हुई थी। नियुक्ति पाने के लिए 10वीं, 12वीं और अदीव ए कामिल जामिया उर्दू अलीगढ़ के प्रमाण पत्र लगाए थे।
मामले में कार्यालय खंडाधिकारी अनुसंधान विभाग देहरादून ने 23 नवंबर 2017 द्वारा महानिदेशक विद्यालय शिक्षा देहरादून को बताया था कि हरगोविंद सिंह ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की है।
इस पर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने आरोपी शिक्षक हरगोविंद सिंह को भी पक्ष रखने का मौका देते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए। 30 नवंबर 2017 को आरोप पत्र जारी कर सहायक अध्यापक को निलंबित कर दिया गया था।
जिला शिक्षा अधिकारी हरेंद्र कुमार मिश्रा के अनुसार, इसके खिलाफ आरोपी शिक्षक हरगोविंद सिंह कोर्ट चला गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली के अनुसार बर्खास्तगी नहीं की गई है, जिस पर विभाग ने आरोपी सहायक अध्यापक को बहाल करते हुए उसके शैक्षिक अभिलेखों की पुन: जांच करने के आदेश उप शिक्षा अधिकारी को जांच दिए थे।
उप शिक्षा अधिकारी की जांच में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा निर्गत हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और उर्दू जामिया अलीगढ़ की ओर से जारी की गई अदीव ए कामिल के प्रमाण पत्र कूटरचित पाए गए। इस आधार पर उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अंतर्गत आरोपी सहायक अध्यापक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई है।