संघर्ष से सफलता: रामनगर की शांति ने जैविक खेती, मशरूम उत्पादन और डेयरी उत्पादों से कमाल कर दिया

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रामनगर, प्रेस 15 न्यूज। रख हौंसला वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा, थक कर न बैठ ए मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी जीने का मजा भी आएगा… ये पंक्तियां रामनगर की उद्यमी शान्ति बिष्टानियां के मजबूत इरादों और इच्छाशक्ति को बयां करने के लिए काफी हैं।

जाग्रति स्वयं सहायता समूह, मंगलार से जुड़ी शान्ति बिष्टानियां जैविक खेती, मशरूम उत्पादन और डेयरी उत्पादों के जरिए आत्मविश्वास से स्वावलम्बन की उम्मीद वाली किरण जगा रही हैं। ऐसे में राज्य की धामी सरकार की महिला उद्यमियों को खुशहाल करने की संकल्पना भी साकार हो रही है।

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आज राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकासखंड रामनगर में उद्यमी शान्ति बिष्टानियां की सफलता की कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत से कम नहीं।

शान्ति बिष्टानियां समूह के साथ रोजगार करने के अतिरिक्त दुग्ध उत्पादन व स्वयं के बगीचे (आम व लीची) से भी आर्थिकी को बढ़ा रही है। आज शान्ति बिष्टानियां की अलग-अलग प्रकार की आजीविका गतिविधियों से करीब 10-15 लाख रुपए प्रति वर्ष आय अर्जित हो रही है।

आर्थिक गतिविधियों के साथ ही शान्ति बिष्टानियां द्वारा सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया जाता है। ग्रामीण स्तर पर होने वाले विभिन्न समारोहों स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण आदि कार्य समूह के साथ मिलकर किये जाते है। इनके उद्यम का कुल टर्नओवर करीब 15 लाख रुपए है।

जिसमें शुद्ध लाभ 48 लाख रुपए है। जिसमें 09 लाभान्वित परिवार शामिल हैं। रामनगर के बाजार के साथ साथ विभिन्न राजकीय मेलों और सांस्कृतिक मेलों में स्टॉल के माध्यम से उत्पाद बेचे जा रहे हैं।

साल 2017 में एनआरएलएम के तहत शान्ति बिष्टानियां के समूह को पुनर्गठित कर एनआरएलएम फोल्ड में लाया गया। इसके अन्तर्गत मिलने वाले सीआईएफ एवं सीसीएल से प्राप्त धनराशि से जैविक खेती एवं पशु-पालन किया जाता है। जैविक खेती में मुख्यतः बासमती धान, काला गेहूं, दालें व मौसमी सब्जी उत्पादन किया जा रहा है।

एनआरएलएम के माध्यम से कृषि विभाग, उद्यान विभाग से कर्वजैन्स किया गया और बीज, जैविक खाद आदि की सुविधाऐं प्रदान कराई गईं। जिस कार्य के लिए उनके द्वारा एक लाख सीआईएफ से और मशरूम उत्पादन के लिए एक लाख रुपए सीसीएल से लिया गया।

शान्ति बिष्टानियां ने बताया कि व्यक्तिगत रूप से अपनी आय बढाने के साथ ही समूह स्तर पर सामुहिक रूप से भी 8-10 बीघा भूमि पर (लीज पर) जैविक खेती का कार्य कर रही हैं। उत्पादों का विक्रय स्थानीय बाजार व उन्हें एनआरएलएम से प्राप्त आउटलेट के माध्यम से किया जा रहा है।

उनके समूह द्वारा आम और लीची के बगीचे लीज पर लेकर विक्रय किया जाता है। जिसमें प्रत्येक महिला को विभिन्न गतिविधियों से लगभग 60 हजार से 70 रुपए वार्षिक अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।

इसके अतिरिक्त समूह की महिलाएं व्यक्तिगत रूप से डेयरी और कृषि कार्य से अपने परिवार का पालन-पोषण करती है। आज एनआरएलएम के जुड़ी उद्यमी शांति बिष्टानियां की ये पहल क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

सहायक परियोजना अधिकारी चन्दा फर्त्याल ने बताया कि शान्ति बिष्टानियां ने समूह से जुड़कर प्रशिक्षण लिया और एनआरएलएम के माध्यम से उन्हें योजनाओं की जानकारी मिली। जैविक खेती, मशरूम उत्पादन, डेयरी उत्पादों के साथ साथ सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाया। एनआरएलएम योजना से आउटलेट भी दिया है। आज शांति क्षेत्र की महिलाओं के लिए मोटीवेशन से कम नहीं हैं।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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