शांत शहर को अपराधियों की ऐशगाह बनाना बंद करो, आज फिर खबर बनी हल्द्वानी शर्मसार

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी शहर अपने आप में एक समृद्ध इतिहास समेटे है। इसकी बसावत से लेकर इसे समृद्ध बनाने में यहां के बड़े बुजुर्गों, युवाओं ने हर मुश्किल  का सामना किया है।

यूपी से अलग होकर  उत्तराखंड राज्य की सौगात दिलाने वाले उन आंदोलकारियों में हल्द्वानी के भी जांबाज शामिल रहे, जिनमें शहर की मातृशक्ति के साथ साथ जोशीले युवा भी थे।

कुल मिलाकर कुमाऊं की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला इस हल्द्वानी शहर को सालों से किसानों, व्यापारियों, युवाओं, कर्मचारियों, छात्रों, चिकित्सकों सबने अपने अपने कार्यक्षेत्रों के माध्यम से आगे बढ़ाने और देश दुनिया तक सकारात्मक छवि के साथ पहुंचाने का काम किया है।

आज शायद ही कुमाऊं का ऐसा कोई शहर गांव होगा, जहां के लोग हल्द्वानी में किसी न किसी वजह से न रहते हों। यानी हल्द्वानी शहर अपने आप में कुमाऊं को समेटे हुए है।

कुमाऊं ही क्यों गढ़वाल के लोग भी हल्द्वानी में सुकून से रहते हैं। लेकिन बदलते और बीतते वक्त के साथ अब हल्द्वानी शहर देश भर के लोगों की ठिकाना बनाता जा रहा है। बाहर के लोग यहां रहें और सकारात्मक विचारों और संस्कृति का आदान प्रदान हो, ये अच्छा ही है।

लेकिन चिंता तब होती है जब मूल रूप से दूसरे प्रदेशों के लोग जो हल्द्वानी में व्यवसाय के खातिर डेरा जमाते हैं और फिर अपनी शर्मनाक करतूत को अंजाम देकर हल्द्वानी शहर को बदनाम करने से भी नहीं चूकते हैं।

बीते साल भर में गौर करेंगे तो पाएंगे कि अधिकतर अपराधों में मूल रूप से बरेली, बहेड़ी, रामपुर समेत देश के दूसरे गांव शहरों से आने वाले लोगों ने हल्द्वानी में बढ़ चढ़कर अपराध किए। फिर चाहे चोरी हो, चेन स्नेचिंग, लूट हो, हत्या हो, वसूली हो, ब्लैकमेलिंग हो, भू माफिया या फिर रिश्तों को शर्मसार करने की वारदात…

यहां साफ करते चलें कि हल्द्वानी मूल के लोग भी कई बार हल्द्वानी को शर्मसार करने की वजह बने हैं। लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि बीते कुछ सालों से हल्द्वानी लगातार बाहरी प्रदेशों से आए अपराधियों की ऐशगाह बनता जा रहा है।

हर बार करता कोई है और बदनाम हल्द्वानी शहर होता है। अखबारों और न्यूज चैनल की हेडिंग बनती है कि हल्द्वानी में ये हल्द्वानी में वो…और एक झटके में इस शांत शहर की तुलना देश के दूसरे अशांत शहरों से होने लगती है।

आज एक बार फिर रिश्तों को शर्मसार करती वारदात के खुलासा हुआ। जिसे बरेली मूल के व्यक्ति ने अंजाम दिया।

खबर की हेडिंग बनी कि हल्द्वानी में अवैध संबंधों की पोल खुलने का डर बना किशोर की मौत की वजह।

पुलिस गिरफ्त में आए 34 साल के आरोपी सत्यवीर ने बताया कि जिस 14 साल के धर्मेन्द्र कश्यप को उसने 12 सितंबर की सुबह स्टील फैक्ट्री के जंगल में गला दबाकर मारा, उस धर्मेंद्र की माँ के साथ उसके अवैध सम्बन्ध थे। जिस कारण धर्मेंद्र उससे रंजिस रखता था और हमेशा गाली गलौज करता रहता था।

आरोपी ने बताया कि मुझे डर था कि कही धर्मेन्द्र उसकी करतूत को अपने पिता रामाशंकर और किसी अन्य को न बता दे। इस वजह से मैंने अपने बच्चे के माध्यम से उसे घर पर बुलाया और स्टील फैक्ट्री के जंगल में जंगली मुर्गा मारने के बहाने ले गया और फिर उसका गला दबाकर मार पर उसको वही जंगल में फेंक आया। हालाकि 13 सितंबर को मृतक किशोर के पिता ने मुखानी पुलिस को तहरीर देकर पहले ही आरोपी सत्यवीर पर शक जता दिया था।

आपको बताते चलें कि हत्यारा सत्यवीर और अपने बेटे को खोने वाले रामाशंकर कश्यप दोनों ही मूल रूप से यूपी के गांव दिमना पऊचा, तहसील मीरगंज जिला बरेली के रहने वाले हैं। फिलहाल दोनों बोरा कॉलोनी कमलुवागांजा में रहते हैं।

इससे पहले पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन लामाचौड़ चौराहे के पास एक शिक्षिका के साथ शैतानी करतूत को अंजाम देने वाला ऑटो ड्राइवर भी बरेली क्षेत्र का ही मूल निवासी था।

हिमाकत देखिए बरेली से आकर हल्द्वानी में कमाई करने वाला यहां आकर शिक्षिका से छेड़खानी करने से नहीं चूका। वो तो हल्द्वानी की शिक्षक बेटी ने हिम्मत दिखाई और बरेली के अपराधी मानसिकता के ऑटो चालक का विरोध किया वरना वह शैतान अपने मंसूबों में सफल हो जाता।

इस घटना के बाद भी मीडिया की हेडिंग बनी कि शिक्षक दिवस पर देवभूमि शर्मसार, हल्द्वानी में बाल बाल बची शिक्षिका…

जिस शिक्षक दिवस के दिन धामी सरकार 17 गुणी शिक्षकों को शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित कर रही थी तब हल्द्वानी की छवि धूमिल करने वाली ये खबर मीडिया में छाई रही। सोचिए क्या वाकई हल्द्वानी अपराधियों का गढ़ नहीं बनती जा रही है?

अब हल्द्वानी को इस हाल में लाने के लिए पुलिस प्रशासन को कोसें, उससे पहले ये सच भी जान लीजिए आज हल्द्वानी शहर जिस तरह से अपराधी मानसिकता और कृत्यों से भर रहा है, उसमें कहीं न कहीं वो लोग भी भागीदार हैं जो बिना खोजबीन के किराया खाने के लिए ऐसे ऐसे लोगों को शरण दे रहे हैं जिनकी असल जगह जेल है।

पुलिस किस किस का सत्यापन करे, अगर यही पुलिस का काम होता तो पुलिस यह काम भी शिद्दत से करती। लेकिन पुलिस को इन जैसे अपराधियों द्वारा फैलाया रायता भी समेटना होता है और भी दूसरे काम होते हैं। बीते कुछ घंटों से पुलिस के सैकड़ों जांबाज मूसलाधार बारिश से बिगड़े माहौल को सुधारने में जुटे हैं।

ऐसे में हल्दानी शहर में बिना सत्यवान के अपराधी मानसिकता के लोगों के बसने का सारा का सारा दोष पुलिस पर मढ़ना ठीक नहीं। शहर के लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

अगर हर शहरवासी ये वादा करे कि पैसों के लालच में वह अपनी दुकान, मकान, खेत, जमीन किसी को भी बिना जांचे परखे नहीं देगा तो हल्द्वानी के बिगड़ते और दूषित होते माहौल को बदला जा सकता है।

तय मानिए सिर्फ और सिर्फ पुलिस की ओर हल्द्वानी का माहौल सुधारने की आस लगाएंगे तो निराशा ही मिलेगी। क्योंकि खाकी अक्सर अपराध होने और तहरीर मिलने के बाद ही एक्टिव होती है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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