
देहरादून/बागेश्वर, प्रेस 15 न्यूज। सरकारी सिस्टम अंदर ही अंदर काम करता है, बिल्कुल वैसे जैसे कोई विशालकाय मछली (मत्स्य) शांत होकर समंदर में तैरती है और किसी को आवाज तक नहीं सुनाई पड़ती। ऐसे में आम आदमी की क्या बिसात कि उसे भनक लग जाए ।
आप कहेंगे आखिर सीधे सीधे खबर बताने के बजाय हम विशालकाय मछली (मत्स्य), समंदर ये सब कहानी क्यों गढ़ रहे हैं। दरअसल जो विभाग सीधे तौर पर समाज के वंचित, जरूरतमंद लोगों की भलाई के लिए बने होते हैं, उससे जुड़ी गतिविधियां अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। उन्हीं में से एक विभाग है समाज कल्याण विभाग…
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समाज कल्याण विभाग में 10 जून 2025 को 30 अधिकारी- कर्मचारियों के स्थानांतरण हुए थे। लेकिन लंबे समय तक किसी न किसी वजह के सहारे एक भी कार्मिक नहीं हिला। अंगद के पैर की तरह जमे इन अधिकारियों कर्मचारियों की खबर को “प्रेस 15 न्यूज” ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
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जब तत्कालीन निदेशक चंद्र सिंह धर्मशक्तू से इस बारे में बात की गई थी तो उन्होंने स्थानांतरण को सख्ती से लागू करने की बात कही थी। हालाकि उन्होंने विशेष परिस्थितियों में कार्यालय की जरूरत का भी हवाला दिया था। ऐसे में जब धीमी रफ्तार से ही सही जब ट्रांसफर के आदेश ने गति पकड़ी तो अचानक मानो भूचाल सा आ गया।
दशकों बाद अंगदों की जमे पैरों की कुर्सी हिली ही थी कि अचानक सालों पुराना ब्रह्मास्त्र फिर काम कर गया और किस्मत ने करवट ली। खबर है कि ट्रांसफर आदेश में जिन कर्मियों के नाम थे, उनमें से कई नाम फिर से पुराने स्थानों पर सम्बद्ध हो गए।
ये वो कार्मिक हैं सालों और दशकों से एक ही दफ्तर में रहकर उत्तराखंड लोकसेवकों के लिए बने वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 का मखौल उड़ा रहे हैं।
इसके साथ ही कुछ नए अटैचमेंट, ट्रांसफर और म्यूचुअल की बात भी सामने आ रही है।
मामले में जब “प्रेस 15 न्यूज” ने विभाग के सचिव डॉ. श्रीधर बाबू से नए निदेशक के आने पूर्व हुए इन गुपचुप स्थानांतरण के बारे में पूछा तो उनका जवाब दोटूक था। उन्होंने कोई लंबा चौड़ा वर्जन नहीं दिया, बस इतना कहा All Will Be reversed.
अब सचिव साहब के इस जवाब के क्या मायने हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन समाज कल्याण विभाग में गुपचुप हुए खेल ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बताते चलें कि समाज कल्याण विभाग के मुखिया खुद प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री हैं। छह दायित्वधारी (राज्यमंत्री स्तर) तक इस विभाग से जुड़े हुए हैं। इसके बाद भी नियमों की तिलांजलि देते हुए बेखौफ विभाग के सिस्टम में ट्रांसफर, अटैचमेंट और म्यूचुअल का खेल चल रहा है।
अचानक गुपचुप तरीके से होने वाले अटैचमेंट के पीछे किसकी पावर होती है, ये भी आप जानते हैं।
अब देखना है कि विभाग के सचिव डॉ. श्रीधर और चमोली के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा चुके नवनियुक्त निदेशक डॉ. संदीप तिवारी सालों दशकों से एक जगह जमे अधिकारियों और कर्मचारियों के इस खेल पर क्या एक्शन लेते हैं।
देखिए 10 जून 2025 को निदेशक समाज कल्याण की ओर से जारी ट्रांसफर आदेश 👇

















