
हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी में हर दिन पत्रकारिता शर्मसार होती है। वजह वो लोग होते हैं जिन्होंने इस पेशे को उगाही का शॉर्टकट धंधा माना।
माना ही नहीं बल्कि पीड़ितों और असामाजिक गतिविधियों में शामिल लोगों से जुटाई काली कमाई से जोड़े अपने घर, दफ्तर, चमचमाती कार समेत अय्याशी के साजोसामान से ये साबित करके भी दिखाया कि उनका पत्रकारिता के पेशे में आने का फैसला एकदम सही था।

अब आप कहेंगे ये कौन सी नई खबर आपने बताई। ये सारी कहानी हमें पता है कि कैसे हल्द्वानी में पत्रकारिता के चोला ओढ़े कुछ लोग ब्लैकमेलिंग, देह व्यापार जैसे संगीन अपराधों में शामिल हैं।
इतना ही नहीं इन कथित उगाही गिरोह के पत्रकारों का कद साल दर साल रावण के पुतले की तरह बड़ा हो रहा है। बढ़ते कद को देखकर एक बार को हल्द्वानी के रामलीला मैदान में सालों से रावण का पुतला बनाने वाले बरेली के शम्भू बाबा भी हैरत में पड़ जाएं। हालाकि इस बात को भी हल्द्वानी शहर के वाशिंदे जानते हैं कि इस कद को बड़ा करने में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों का भी बड़ा योगदान रहा है।
आज कुमाऊं के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी यानी कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत के कार्यालय में भी ऐसा ही एक मामला पहुंचा जिसने हल्द्वानी में पत्रकारिता के पेशे की आड़ में काले चेहरे को बेनकाब किया।
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अब आप कहेंगे कि जब सारा मांजरा बता ही दिया है तो लगेहाथ उस कथित पत्रकार का नाम भी बता दो, ताकि हम भी सतर्क हो जाएं।
इतना ही कहेंगे कि इस छोटे से हल्द्वानी शहर में ये पहला व्यक्ति हो, जिसने पत्रकारिता को बदनाम किया हो तो बताएं, ऐसे और इस जैसे कई हैं। तो इस एक नाम को जानकर आप क्या ही करेंगे। वैसे भी अब मामला कुमाऊं आयुक्त के पास पहुंच गया है तो उम्मीद कर ही लीजिए कि नाम भी उजागर हो ही जाएगा। बाकी इतना ही कह सकते हैं कि सतर्क रहिए सुरक्षित रहिए।
वैसे सच कहें तो नाम जानकर आप करेंगे भी क्या। क्योंकि इन जैसों के चंगुल में फंसने वाले भी तो कई बार गलत होते हैं। अगर आप सही हैं तो खुलकर सामने आइए। जब आप यानी पीड़ित इन जैसे दलालों के संपर्क में आ सकते हैं तो हल्द्वानी शहर में बेबाक और जनहित की पत्रकारिता करने वालों के संपर्क में भी आ ही सकते हैं।
आरोप था कि नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में हल्द्वानी के एक कथित पत्रकार ने आपदा में अवसर खोज लिया। आरोपी युवक और पीड़िता दोनों को पत्रकारिता की धौंस दिखाकर रुपए ऐंठने का सुनियोजित प्लान रचा गया। हालाकि कथित पत्रकार के हाथ इस मामले में खाली ही रहे लेकिन चार महीने की जेल के सजा काट चुके आरोपी युवक की शिकायत पर आज आयुक्त के सामने सारा खेल जरूर खुल गया।
शिकायतकर्ता युवक ने आयुक्त के सामने सबूत के तौर पर कथित पत्रकार की फोन कॉल रिकॉर्डिंग सुनाई। बताया कि कैसे उसे मामले में बचाने के लिए दो लाख रुपए मांगे गए। युवक ने कथित पत्रकार द्वारा कोतवाल को भी रुपए देने की बात कही। हालाकि युवक केवल कॉल रिकॉर्डिंग में 20 हजार देने और मामले को मैनेज करने की बात ही साबित कर सका।
हालाकि इस पॉक्सो मामले में आरोपी युवक और कथित पत्रकार के मामले को सबसे पहले सोशल मीडिया में “सत्यमेव विजयते” नाम के पेज में “द संडे पोस्ट” से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार कमल कफल्टिया उठा चुके हैं।
आज आयुक्त दीपक रावत की जनसुनवाई में हल्द्वानी के कथित पत्रकार पर पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामले में मध्यस्थता और धन की मांग करने का आरोप सामने आया। आयुक्त ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर 20 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जांच समिति में एडीएम विवेक रॉय, जिला सूचना अधिकारी गिरिजा शंकर जोशी और जिला प्रोबेशन अधिकारी रहेंगी।सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार मौजूद रहे।
आयुक्त दीपक रावत ने स्पष्ट किया कि पॉस्को जैसे संवेदनशील मामलों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता या हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और दोषी की मदद करना कानूनन अपराध है। ऐसे मामलों को केवल निष्पक्ष और कानूनी प्रक्रिया के तहत निपटाया जाए।
हैरानी की बात यह है जिस कथित पत्रकार के खिलाफ आज आयुक्त के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी बैठी है, इसी शख्स के खिलाफ कुछ महीने पहले अमेरिका में रहने वाले एक व्यक्ति ने प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलीभगत कर ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तब पीड़ित युवक ने लिखित तौर पर कुमाऊं आयुक्त को कथित पत्रकार की शिकायत दी थी।
ऐसे एक नहीं न जाने कितने ही मामले हैं जब हल्द्वानी में पत्रकारिता की आड़ में उगाहीबाजों ने न्याय के लिए भटक रहे पीड़ितों के साथ साथ नशा, देह व्यापार और असामाजिक गतिविधियों में शामिल लोगों से हाथ मिलाया। खुद मालामाल हुए और पत्रकारिता का पेशा बदनाम हुआ। और बड़ा सच यह भी है कि इस पूरे खेल में इन्हें पुलिस और प्रशासनिक अफसरों का भरपूर साथ मिला।

