

हल्द्वानी/रुद्रपुर, प्रेस 15 न्यूज। गर्मी शुरू हो चुकी है। सड़क पर भटकने को मजबूर बेजुबान जानवर और सड़क किनारे और डिवाइडर पर लगे पौधे पानी का तरस रहे हैं।
फिर चाहे हल्द्वानी हो या रुद्रपुर, दोनों वीवीआईपी जिलों में सरकारी अमला एसी दफ्तरों में कैद है। कुछ देर के लिए मीडिया के कैमरों की मौजूदगी में जब निकलते हैं तो एसी कार में निकलते हैं। यानी ठंड का एहसास बरकरार रहता है। ऐसे में इन बेजुबान जानवरों और डिवाइडर पर लगे पेड़ पौधों की सुध ले भी तो कौन?
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी और जाने माने पर्यावरणविद डॉ. आशुतोष पन्त ने रुद्रपुर में हरियाली के तबाह होने पर चिंता जाहिर की है।
डॉ. आशुतोष पन्त ने बताया कि 5 अप्रैल को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला गंगा समिति, उधमसिंहनगर की बैठक थी। उन्होंने भी इस बैठक में पर्यावरणविद के तौर पर नामित सदस्य होने के नाते प्रतिभाग किया था।
बैठक में जाते समय देखा कि रुद्रपुर हल्द्वानी मार्ग पर सिडकुल के सामने पौधे सूखकर मरने की कगार पर आ गए हैं। जिले में 2 साल पहले G – 20 समिट के पहले पंतनगर से लेकर रुद्रपुर काशीपुर रामनगर तक रोड डिवाइडर पर बहुत सुन्दर फ़ूलों के पौधे लगाए गए थे। इनकी संख्या हजारों में थी और खर्च भी लाखों आया होगा। आज इनकी ये दुर्दशा है कि पानी देने वाला नहीं है। कोई सिंचाई नहीं हो रही है, पौधे मरने लगे हैं। यदि तुरन्त सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गयी तो ये सब पौधे बेमौत मारे जाएंगे।
डॉ. आशुतोष पन्त ने बताया कि पिछले वर्ष भी ऐसी ही स्थिति थी तब उन्होंने नगर निगम के आयुक्त से पानी की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया था। आयुक्त नरेश चंद्र दुर्गापाल ने संवेदनशीलता दिखाई और निगम की ओर से पौधों की सिंचाई की व्यवस्था हुई लेकिन तब तक 35 से 40 प्रतिशत पौधे सूखकर मर चुके थे।
अब गर्मी का मौसम शुरू होते ही फिर पौधे सूखने लगे हैं। एक बार फिर डॉ. आशुतोष पन्त ने जिलाधिकारी से पौधों को बचाने के लिए लिखित गुहार लगायी है।
बताते चलें कि सड़कों की देखरेख और डिवाइडर के पौधों की सिंचाई की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की है पर वो आखें मूँदे पड़े हैं।
डॉ. आशुतोष पन्त ने कहा कि आप देहरादून जाएं या बरेली दिल्ली कहीं भी जाएं, आप देखेंगे कि डिवाइडर पर पौधों का नियमित रूप से अच्छा रख-रखाव हो रहा है पता नहीं उधमसिंहनगर जिले में पौधों पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है।
डॉ. आशुतोष पन्त ने पीढ़ा जाहिर करते हुए कहा कि मैं हल्द्वानी रहता हूं महीने दो महीने में कभी रुद्रपुर आना होता है। मैं जब भी पौधों की दुर्दशा देखता हूं जो भी प्रयास हो सकता है करता हूं। एक बार तो मैंने खुद 2 टैंकर पानी डाला था पर व्यक्तिगत रूप से साल भर ऐसा करना सम्भव नहीं है। फिर जिस विभाग की य़ह जिम्मेदारी है जिसको बजट मिलता है वह अपनी ड्यूटी क्यों नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य और दुख है कि इन रास्तों से रोज हजारों लोग गुजरते हैं जिनमें नेता भी होते हैं, अधिकारी भी होते हैं, कर्मचारी और सामान्य नागरिक भी होते हैं पर कोई भी इन पौधों पर ध्यान नहीं देता है। आखिर समाज इतना संवेदनहीन क्यों हो गया है?
डॉ. आशुतोष पन्त ने कहा कि जिलाधिकारी महोदय ने उनके आग्रह पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश तो दिए हैं देखिये अब वो क्या करते हैं। यदि तत्काल पानी नहीं मिला तो पौधों का बचना मुश्किल है।



