काश! दिखावे और झूठी शान में न पड़ते तो आज पति पत्नी और दो मासूम बच्चों का ये हाल नहीं होता

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हरिद्वार, प्रेस 15 न्यूज। एक पुरानी कहावत है कि जितनी चादर हो पांव उतने ही फैलाने चाहिए। इस बात से आज कई लोग सहमत नहीं हो सकते हैं। उन्हें लगता है कि जब पांव पसारेंगें नहीं तो आगे कैसे बढ़ेंगे। भले चादर छोटी हो लेकिन पांव पसारेंगे जरूर फिर चाहे अंजाम जो हो।

आज के दौर में जब सोशल मीडिया का बोलबाला है और इंसान की निजी जिंदगी भी तमाशा बनकर रह गई है। ऐसे में आप किसी से इससे ज्यादा अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं। लेकिन तय मानिए दिखावे की इस दुनिया में जीने वाले लोग भले फेसबुक, इंस्टाग्राम में आसमान में उड़ लें लेकिन असल जिंदगी में वो खोखले होते हैं।

यह बात आपसे यूं ही नहीं कह रहे हैं। आज दिखावे और झूठी शान के चक्कर में न जाने कितने ही घर परिवार तबाह हो रहे हैं। इसके लिए वो कर्ज लेने से भी नहीं चूक रहे। कर्ज भी ऐसों से ले रहे हैं जो ब्याज माफिया हैं।

ये ब्याज माफिया आज हर छोटे बड़े गांव शहर में पनप गए हैं। यकीन मानिए इन ब्याज माफिया के चंगुल में जो फंसा या तो वो दो तरह से लुटता है पहले अपना बचा खुचा पैसा गंवाता है और जब पैसा भी खत्म हो जाता है तो फिर ब्याज पर जिंदगी चुकानी पड़ती है।

ऐसी ही एक खबर आज आपसे साझा कर रहे हैं। यकीन मानिए इस खबर को आप सुधी पाठकों को बताने और साझा करने का बिल्कुल मन नहीं था। लेकिन फिर ध्यान आया कि समाज को कड़वी सच्चाई से भाग भी तो नहीं सकते।

उम्मीद यही करते हैं कि जो भी इस खबर को पढ़ें खुद भी सजग बनें और औरों को भी सजग करें कि अपनी मेहनत के सिवाय किसी पर यकीन न करें। जो घर में सब्जी खरीदने के भी पैसे नहीं तो नमक के साथ रोटी खाएं। याद रखिए एक बार उधार के रुपयों से घर में सब्जी लाने की लत लग गई तो तो फिर न रसोई रहेगी और न आपका वजूद…

एक लाइन में पूरी खबर को समझना चाहते हैं तो इतना समझ लीजिए कि एक इंसान के फितूर ने न केवल उसकी जान ली साथ में पत्नी को भी जीने की उम्र में मरने को झोंक दिया। इतने तक बात होती तो ठीक, यह व्यक्ति अपने पीछे 05 साल का मासूम बेटा और 12 साल की अबोध बेटी को अनाथ कर छोड़ गया है। कुल मिलाकर और- और पाने की महत्वाकांक्षा या कहें दिखावे और झूठी शान पाने के चक्कर में एक हंसता खेलता परिवार तबाह हो गया।

एक और बात आपसे साझा कर दें कि भले की आज कर्ज से परेशान होकर इस ज्वेलर ने अपना हंसता खेलता परिवार तबाह किया हो लेकिन ये तय है कि इस कर्ज से उसका पीछा मरने के बाद भी नहीं छूटेगा। कर्ज तो उसे चुकाना ही पड़ेगा वो भी सूद समेत। फर्क सिर्फ इतना होगा कि ये सूद ब्याज माफिया के बजाय उस व्यक्ति को देना होगा जिसके जायज पैसे नहीं चुकाए गए हैं।

क्योंकि ये सच कौन नहीं जानता कि शरीर मिटता है आत्मा नहीं…इसलिए हम तो यही कहेंगे कि सोशल मीडिया की छद्दम दुनिया और लोगों को दिखाने के भ्रम से निकलकर अपने वास्तविक किरदार में जीना ही बेहतर है।

हमें मालूम है आप अब पूरी कहानी जानना चाहेंगे। तो वह भी जान ही लीजिए। लेकिन उससे पहले उस चिट्ठी का एक एक अक्षर पढ़ लीजिए जो 35 साल के युवक ने अपनी पत्नी के साथ दुनिया से विदा लेने से पहले लिखा।

सुसाइड नोट और सौरभ और मोना की आखिरी सेल्फी।

मैं सौरभ बब्बर कर्जों के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा। अंत में मैं और मेरी धर्मपत्नी मोना बब्बर अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। हमारी किशनपुरा वाली प्रॉपर्टी (दुकान व मकान) दोनों बच्चों के लिए है। हमारे दोनों बच्चे अपनी नानी के घर रहेंगे। इनका जीवन अब हम पति-पत्नी ने उनके हवाले करके जा रहे हैं। क्योंकि हमें किसी और पर भरोसा नहीं है….यह सब बातें गंगा नदी में अपनी पत्नी के साथ कूदकर जान देने से पहले 35 साल के ज्वेलर्स ने लिखीं।

सौरभ बब्बर की एक ऑडियो भी वायरल हो रही है। जिसमें वह अपने परिचित को फोन कर कहा था कि यह सबको दिखा देना। हम हरिद्वार में है और हम जा रहे है दुनिया अंतिम छोड़कर। हम यहां से छलांग लगा रहे हैं।

गोल्ड किट्टी के चलते कर्ज के तले दबे सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर ने अपनी पत्नी मोना के साथ हरिद्वार में हर की पैड़ी से गंगा में कूदकर जान दे दी। मरने से पहले सौरभ और मोना अपने पांच साल के बेटे संयम और 12 साल की बेटी श्रद्धा को सहारनपुर के गोविंदनगर में उनके नाना-नानी के घर छोड़ गए थे।

सौरभ का शव गंगनहर से बरामद हो गया है जबकि पत्नी का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।

जानकारी के अनुसार, सौरभ की सहारनपुर के किशनपुरा में श्री साईं ज्वैलर्स के नाम से दुकान है, जो गोल्ड किटी जमा करने का भी काम करता था। सौरभ 10 अगस्त को अपने बेटे और बेटी को ससुराल गोविंदनगर में छोड़कर पत्नी मोना बब्बर के साथ हरिद्वार गया था। रात के समय उसने नौकर को फोन किया अब हम इस दुनिया से जा रहे हैं।

सौरभ ने परिजनों को हर की पैड़ी के समीप हाथी पुल से गंगा में कूदने से पहले व्हाट्सएप पर सुसाइड नोट, फोटो और लोकेशन भेजी थी।

पुलिस के अनुसार, सोमवार सुबह रानीपुर पुलिस को सूचना मिली कि गांव जमालपुर खुर्द के पास गंगनहर के किनारे दलदल में एक शव फंसा हुआ है। जिसके बाद पुलिस ने शव को निकलवाया। खबर लिखे जाने तक मोना का शव नहीं मिल सका था।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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